शहरों में चूहों की बढ़ती फौज

शहरों में चूहों की बढ़ती आबादी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे बीमारियों और आर्थिक नुकसान का खतरा बढ़ रहा है। अनुमान है कि अकेले अमरीका में चूहों से जुड़ी समस्याओं के कारण हर साल करीब 3000 अरब रुपए का आर्थिक नुकसान होता है। लेकिन अलग-अलग शहरों में इनके प्रकोप की तुलना के लिए ठोस आंकड़ों की कमी है। 
इस संबंध में युनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड के शहरी पारिस्थितिकीविद जोनाथन रिचर्डसन द्वारा साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और घटते हरित क्षेत्र चूहों की बढ़ती संख्या के मुख्य कारण हैं। तापमान बढ़ने और बगीचों व खुले इलाकों को रिहायशी और व्यावसायिक क्षेत्रों में बदलने से चूहों को अनुकूल परिस्थितियां मिल रही हैं।
चूहे बहुत चालाक और अनुकूलनशील जीव हैं, जो हज़ारों सालों से इंसानों के साथ रह रहे हैं। वे कचरे, सीवर और सड़क किनारे मिट्टी के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल बिल बनाने और भोजन प्राप्त करने के लिए बखूबी कर लेते हैं।  
रिचर्डसन के अध्ययन में पाया गया कि जिन शहरों में तापमान तेज़ी से बढ़ रहा है और जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, वहां चूहों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है। ठंड का मौसम आम तौर पर चूहों के प्रजनन और भोजन खोजने की गतिविधियों को धीमा कर देता है। लेकिन गर्म जलवायु में वे तेज़ी से प्रजनन करते हैं और आसानी से भोजन जुटा लेते हैं। इसके अलावा शहरी इलाकों की अधिक जनसंख्या का मतलब है अधिक रेस्टोरेंट, कूड़ेदान और कचरा, जो चूहों के लिए पर्याप्त भोजन स्रोत उपलब्ध कराते हैं।
अध्ययन में शामिल 16 शहरों में से वॉशिंगटन डी.सी. सबसे ज्यादा प्रभावित पाया गया। पिछले 20 वर्षों में यहां चूहों की संख्या बोस्टन की तुलना में तीन गुना और न्यूयॉर्क सिटी की तुलना में 1.5 गुना तेज़ी से बढ़ी है हालांकि अमरीका का नगरीय प्रशासन हर साल चूहों पर नियंत्रण के लिए करीब 50 करोड़ डॉलर (4250 करोड़ रुपए) खर्च कर रहा है।  
कुछ शहरों ने ज़रूर चूहों की संख्या को सफलतापूर्वक कम भी किया है। इनमें टोक्यो, लुइविले (केंटकी) और न्यू ऑरलियन्स शामिल हैं, जिससे यह पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में चूहों की समस्या को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे:-  
1. सख्त कचरा प्रबंधन-टोक्यो में कचरे के प्रभावी निपटान और कड़े नियमों के कारण चूहों को पनपने के लिए भोजन और आश्रय नहीं मिल पाता है।  
2. जागरूकता अभियान- न्यू ऑरलियन्स में लोगों को सिखाया जाता है कि वे अपने घरों और कचरा क्षेत्रों को चूहों से मुक्त कैसे रखें और चूहे दिखने की सूचना जल्द से जल्द दें।
3. सामाजिक दबाव- टोक्यो में सोशल मीडिया पर चूहों की समस्या सामने आते ही होटलों और व्यवसायों द्वारा तुरंत कार्रवाई की जाती है।
4. दीर्घकालिक निगरानी- चूहों की संख्या पर सतत नज़र रखने से यह समझने में मदद मिलती है कि कौन से उपाय प्रभावी हैं और कहां सुधार की आवश्यकता है।
रिचर्डसन की टीम के मुताबिक चूहों की समस्या पर काबू पाने के लिए अधिक संसाधन लगाने और नियंत्रण टीमों का विस्तार करने की आवश्यकता है। नगरीय प्रशासन और नागरिक मिलकर कचरा प्रबंधन, जागरूकता और बेहतर शहरी योजनाओं को प्राथमिकता दें, तो समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। (स्रोत फीचर्स)

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