तांबे के बर्तन में रोज़ पानी पीने से क्या होगा ?
‘दीदी, कल हमारी टीचर कह रही थीं कि हमें रोज़ाना तांबे के बर्तन में पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से क्या होगा?’
‘तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना एक प्राचीन आयुर्वेदिक परम्परा है।’
‘लेकिन इससे होगा क्या?’
‘बता रही हूं, थोड़ा सब्र रखो।’
‘सॉरी।’
‘इस परम्परा को आज भी सेहत के लिहाज़ से बहुत फायदेमंद माना जाता है।’
‘अच्छा।’
‘दरअसल, आयुर्वेद में बताया गया है कि जब पानी को तांबे के बर्तन में कम से कम 8 से 10 घंटे रख दिया जाता है तो उसमें तांबे के अति सूक्ष्म कण घुल जाते हैं। ऐसे पानी को ताम्रजल कहते हैं।’
‘ताम्रजल से हमारे शरीर को क्या लाभ होता है?’
‘तांबे के अति सूक्ष्म कण जब हमारे जिस्म में प्रवेश कर जाते हैं, तो वह अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और हमारी इम्युनिटी यानी शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को भी बढ़ा देते हैं।’
‘ताम्रजल कौन-कौन से रोगों से लड़ने में मदद करता है?’
‘आज अनेक कारणों से दिल संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, हार्ट अटैक आदि। ताम्रजल प्राकृतिक रूप से दिल के लिए सुरक्षा कवच का काम कर सकता है। तांबे के गुण खून को साफ करने, अच्छे कोलेस्ट्रोल (एचडीएल) को बढ़ाने व खराब कोलेस्ट्रोल (एलडीएल) को कम करने में मदद करते हैं। इससे दिल की धमनियां साफ रहती हैं और ब्लॉकेज की आशंका कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त यह हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।’
‘क्या और भी फायदे हैं या बस?’
‘ताम्रजल हाजमा दुरुस्त करता है, जिगर व गुर्दों को डिटॉक्स करता, गैस व बदहजमी में राहत देता है। त्वचा के लिए भी यह लाभकारी है।’
‘क्या आधुनिक विज्ञान भी ताम्रजल के लाभ बताता है?’
‘नेशनल लाइब्रेरी ऑ़फ मेडिसिन, अमरीका की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार ताम्रजल में अनेक गुण हैं।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर