विज्ञान में सहमति की एक संस्कृति है प्लूटो अवनति दिवस
आज प्लूटो अवनति दिवस पर विशेष
हर साल 24 अगस्त को मनाया जाने वाला प्लूटो अवनति दिवस वास्तव में विज्ञान के मूल्य-साक्ष्य, समीक्षा, स्पष्ट परिभाषाएं और सार्वजनिक संवाद की स्वस्थ परंपरा का सबूत है। यह हमें याद दिलाता है कि विज्ञान कभी स्थिर नहीं रहता, जैसे ही उसके पास पहले से बेहतर जानकारी आती है, वह अपनी धारणा को बदलने में एक क्षण की भी देरी नहीं करता। साल 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ (आईएयू) ने प्लूटो का ग्रह का दर्जा खत्म कर दिया था और उसे बौना ग्रह की कैटेगिरी में डाल दिया था। इस प्रक्रिया का मूल संदेश यह था कि विज्ञान में परिभाषाओं और मानकों की सटीकता महत्वपूर्ण होती है, न कि बहुमत। खगोलीय पिंडों को ग्रह मानने के लिए कुछ स्पष्ट मानदंड होते हैं जैसे सौरमंडल की परिक्रमा, उनका गोल आकार और उनकी कक्षा की साफ-सफाई। कक्षा की साफ-सफाई से आशय यह है कि कोई ग्रह अपनी कक्षा में अपना अकेला पिंड होता है, उसके पास इतनी गुरुत्वाकषर्ण शक्ति होती है कि वह अपने आसपास के छोटे पिंडों को अपनी ओर खींचकर अपना ही हिस्सा बना लेता है या फिर उसे कक्षा से बाहर फेंक देता है। अत: उन्हें अपना स्थायी उपग्रह बना लेता है। जिस दिन अवनति का यह निर्णय लिया गया था, उसे ही अब प्लूटो अवनति दिवस कहते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि विज्ञान में खुले विचारों, बहसों और सत्यापन की प्रक्रिया का सम्मान होता है।
24 अगस्त, 2006 को आईएयू की प्राग में बैठक हुई थी, इसी बैठक में ग्रहों पर नई परिभाषा का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के तहत प्लूटो नई परिभाषा में फिट नहीं बैठ रहा था, जिससे उसे ग्रह की परिभाषा से अलग करके बौना ग्रह घोषित कर दिया गया। हालांकि यह निर्णय आसान नहीं था, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के 2500 खगोलविदों में से इस बैठक में सिर्फ 424 खगोलविद ही मौजूद थे। इनमें भी सबकी राय एक नहीं थी कि प्लूटो को बौने ग्रह की कैटेगिरी में डाल दिया जाए। कई खगोलविदों ने इस पर लंबी चौड़ी बहस की थी लेकिन वृहत्तर वैज्ञानिक समुदाय के मुताबिक ग्रह की परिभाषा अस्पष्ट थी और नये बड़े क्षुद्र ग्रह जैसे एरिस की खोज ने इस धारणा को और जटिल बना दिया था। अब यह स्थिति थी कि प्लूटो और एरिस जैसे पिंडों को ग्रह कहने पर सैकड़ों और पिंडों को ग्रह मानने की स्थिति पैदा हो जाती है।
ऐसे में आईएयू ने यह स्पष्ट मानदंड लागू किए, जिस कारण पहले से चले आ रहे, नौ ग्रह कम होकर आठ ग्रह रह गये। इसलिए प्लूटो अवनति दिवस एक तारीखभर नहीं है, यह विज्ञान की संस्कृति और उसके दर्शन की प्रभावी जीत का दिन भी है। प्लूटो अवनति दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि विज्ञान अपनी किसी धारणा पर कभी भी चिपका नहीं रहता। जिस दिन उसे उससे बेहतर तार्किक धारणा मिल जाती है, वह पिछली धारणा को ऐसे भूल जाता है, जैसे वह कभी थी ही नहीं, प्लूटो अवनति दिवस इस बात का सबूत है। इस घटना से कुछ और बड़ी बातें निकलकर सामने आती हैं।
इस घटना से पता चलता है कि विज्ञान में निर्णय सामूहिक होते हैं। प्लूटो को ग्रह से बौना ग्रह बनाने का फैसला किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि इंटरनेशनल आस्ट्रोनोमिकल यूनियन का था। आईएयू की बैठक में वोटिंग के जरिये यह अंतिम निर्णय हुआ था। क्योंकि आईएयू ने ग्रह की सर्वसम्मति से जो परिभाषा तय की थी, प्लूटो उसमें फिट नहीं बैठ रहा था। तीन मानदंडों में से एक में खरा न उतर पाना, प्लूटो की अवनति का कारण बना लेकिन जो लोग प्लूटो की अवनति से आहत थे, उन्होंने इस पर बहस नहीं की क्योंकि वैज्ञानिक समुदाय भावनाओं पर नहीं तर्कों पर विश्वास करता है।
विज्ञान में कोई भी परिभाषा कभी भी स्थायी नहीं होती और ऐसा भी नहीं होता कि एक बार कोई धारणा ठुकरा दी जाए तो वो हमेशा के लिए ठुकरा जाती है- नहीं। कई बार एक बार विज्ञान की कोई धारणा ठुकरा दी जाए और बाद में पता चले वो सही है, तो दोबारा से उसे बड़े दिल से स्वीकार कर लिया जाता है। विज्ञान का कोई भी सच सार्वकालिक सच नहीं होता। वह तब तक के लिए सच है, जब तक कोई उससे बड़ा सच सामने नहीं आ जाता। इसलिए विज्ञान में व्यक्तिगत असहमति मायने नहीं रखती। कई खगोलविद अभी भी इस बात से सहमत नहीं है कि प्लूटो बौना ग्रह है। ये आज भी प्लूटो को एक सम्पूर्ण ग्रह करार देते हैं, लेकिन इन्हें अपनी बात सही साबित करने के लिए जितने तथ्यों और तर्कों की ज़रूरत हो सकती है, उनके पास ये तथ्य और तर्क उतने नहीं हैं।
भविष्य में अगर प्लूटो की स्थिति को बदलने लायक प्रमाण मिल गये तो आईएयू बिना किसी अपराधबोध के इसे फिर से ग्रह स्वीकार कर लेगा। संक्षेप में प्लूटो अवनति दिवस से पता चलता है कि विज्ञान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया मौजूद है और असहमति के बावजूद प्रमाण आधारित चर्चा होती है तथा सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं। इसलिए विज्ञान की सहमति खुले और बड़े मन से होती है। यही कारण है कि प्लूटो अवनति दिवस कोई पछतावे का नहीं बल्कि प्रेरणा का दिन है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर