आइए, इस नव सीजन का अभिनंदन करें
इस दुनिया में जिंदा रहना है तो दिल बड़ा रखिए। वरना जीवन व्याकरण के जैसा हो जाएगा। और आप अ आ इ ई करते रह जाएंगे। जैसे आजकल लोगों के रंग-ढंग, सोच-समझ और विचार बदल रहे हैं। वह टेढ़ा-मेढा लग सकता है। अभी तक आपने सुना होगा कि आम, जामुन, सेब, अमरुद, अनार आदि का सीजन आता है। बुखार, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों का सीजन आता है। देश में चुनाव का भी सीजन आता है। विवाह-शादियों का सीजन आता है। और भी बहुत सारी चीजों का सीजन आता ही रहता है। आप लोगों का आज तक इन्हीं सब सीजन से पाला पड़ा होगा।
लेकिन आजकल महावीर बुद्ध की धरती पर एक नया सीजन भी अवतरित हुआ है और आप उसके बारे में सुनकर दहल ही जाएंगे। दहलना भी चाहिए क्योंकि पहले कभी यह सीजन न तो सुना गया था और न तो देखा गया था। इस सीजन के बारे में कोई नेता और मंत्री कहता तो आप थोड़ा रिलैक्स हो सकते थे कि चलो नेता जी तो कुछ भी बोलते रहते हैं। उनकी बातों को सीरियस क्या लेना। उनकी सौ बातों में से तो दो बातें ही सच होती है। बाकी बातें यूं ही बोलते रहते हैं। चिंता किस बात की करनी है। या उनकी बातों को चुनावी प्रोपेगेंडा समझकर टाल सकते थे।
यदि कोई अभिनेता कहता तो आप कह सकते थे कि एक्टर है, अपनी एक्टिंग की दुकान चमकाने के लिए कह रहा है। और अपने आप को प्रमोट करने के लिए ऊटपटांग कह रहा है। यह सोचकर भी अपने आप को संतोष दे सकते थे। और चैन से जी सकते थे लेकिन हर किसी की बात को इतने हल्के में नहीं लिया जा सकता है। और वह भी उन लोगों की बात को जिनके ऊपर आपने अपनी सुरक्षा का भार डाला है। या जिनके हवाले पूरे प्रदेश की जान की सलामती भार डाला हो।
खैर जब बिहार पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी ने कहां की इस सीजन में खून-खराबा, मार-काट, मर्डर तो होता ही रहता है। तो आपको मानना ही पड़ेगा, की मर्डर का भी एक सीजन होता है। आखिर सरकारी आदमी को नकारने की जनता को गुंजाइश कहां है। इसीलिए अपने मन को समझा कर मरने की प्राथमिक शुरुआत कर देनी चाहिए। पता नहीं कब आपके मरने की घड़ी आ जाए।
खैर इस नव सीजन ज्ञान के लिए आपको उनका आभारी रहना चाहिए कि उन्होंने पहले सचेत कर दिया। उन्होंने सचेत करके अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली है। अब आप देखिए और आपका नसीब देखें। समय से पहले आपको सूचना दे दिए यह क्या कम है।
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