आलू से बल्ब कैसे जलाएं?
बच्चो! क्या आलू से कोई बल्ब जलाया जा सकता है? आप सोच रहे होंगे कि सर कैसा अटपटा सवाल कर रहे हैं। लेकिन यह सच है। अगर हम आलू बैटरी तैयार कर लेंगे तो इलेक्ट्रिक बल्ब को जलाया जा सकता है। है न कमाल की बात। चलिए, अब मैं आपको आलू बैटरी बनाना सिखाता हूं और फिर उससे बल्ब भी जलाना सिखाऊंगा। हां, यह भी बताऊंगा कि आलू से बल्ब जला कैसे।
देखो! मेरे पास दो बड़े आकार के आलू हैं, दो कॉपर वायर हैं, दो कीले हैं जिन पर जिंक की कोटिंग है, एक छोटा एलईडी बल्ब है जो बहुत ही कम वोल्टेज का है, दो एलीगेटर क्लिप्स हैं, एक चाकू है और वोल्टेज मापने के लिए एक मल्टीमीटर है। चूंकि ये आलू काफी बड़े हैं, इसलिए मैं इन्हें चाकू से बीच में से आधा काट रहा हूं। देखो आलू की जो फ्लैट सरफेस है वह बिना हिले आराम से मेज़ पर टिक गई है। अब मैं आलू के इन दोनों टुकड़ों में एक एक कील घुसाऊंगा, काफी गहरी, लेकिन यह सुनिश्चित करते हुए कि कीलें आलू के आर-पार न हो जायें। यह हो गया। इसके बाद करते यह हैं कि आलू के दोनों टुकड़ों में एक-एक कॉपर वायर को घुसाते हैं, यह ध्यान रखते हुए कि वायर व कील आपस में लगभग 1-2 इंच के फासले पर हों यानी अधिक करीब नहीं हैं। अब हमें करना यह है कि एलीगेटर क्लिप का इस्तेमाल करते हुए एक आलू के कॉपर वायर को दूसरे आलू की कील से जोड़ना है। इसके अगले चरण में हम लाइट बल्ब सेट अप करते हैं, इस तरह से कि एलीगेटर क्लिप प्रयोग करते हुए पहले आलू के फ्री कॉपर वायर को बल्ब के एक टर्मिनल से जोड़ देते हैं। फिर दूसरे आलू की फ्री कील को बल्ब के अन्य टर्मिनल से एलीगेटर क्लिप की मदद से जोड़ देते हैं।
मैंने बहुत ही कम वोल्टेज का एलईडी लाइट बल्ब लिया है। अगर मैं ऐसा न करता तो आलू से पर्याप्त पॉवर न मिल पाती। एक बार जब सारे कनेक्शन सही से जुड़ गये हैं तो देखो, यह क्या हुआ। एलईडी लाइट बल्ब जल उठा। है न कमाल की बात। अगर यह न जलता तो मैं यह चेक करता कि सभी कनेक्शन टाइट व सही हैं या नहीं। मल्टीमीटर से हम आलू बैटरी द्वारा उत्पादित वोल्टेज को माप सकते हैं।
क्या आपको मालूम है कि आलू बैटरी से बल्ब क्यों जला? दरअसल, इस प्रयोग से हमें मालूम होता है कि केमिकल रिएक्शन से बिजली का निर्माण भी किया जा सकता है। हमारा सर्किट आलू से बना था, जो इलेक्ट्रोलाइट का काम करता है, यानी वह पदार्थ जिसमें फ्री आयन्स होते हैं और जो इलेक्ट्रिसिटी कंडक्ट करता है। कॉपर वायर और जिंक कोटिंग वाली कीलें इलेक्ट्रोड्स का काम करती हैं। एलीगेटर क्लिप्स मेटल को कनेक्ट करने का काम करते हैं, सर्किट पूरा करने के लिए। एलईडी लाइट बल्ब से मालूम होता है कि बिजली का निर्माण हो रहा है। आलू में फास्फोरिक एसिड होता है जो जिंक व कॉपर से रियेक्ट करता है। जिंक में केमिकल रिएक्शन (ऑक्सीडेशन) होता है, वह इलेक्ट्रॉन्स खोता है जो कील से कॉपर वायर में आ जाते हैं और एलईडी लाइट बल्ब को जला देते हैं। आलू में पॉजिटिवली चार्ज्ड हाइड्रोजन आयंस कॉपर इलेक्ट्रोड की ओर जाते हैं, जहां उन्हें इलेक्ट्रॉन्स (रिडक्शन) मिलते हैं। सर्किट पूरा हो जाता है और इलेक्ट्रान फ्लो निरंतर जारी रहता है। इस तरह केमिकल एनर्जी, इलेक्ट्रिकल एनर्जी मंर बदल जाती है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर