पाक अधिकृत कश्मीर के हालात
वैसे तो विगत कुछ वर्षों से पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में लोगों द्वारा किसी न किसी मुद्दे को लेकर आन्दोलन किए जाने के समाचार मिलते ही रहते हैं परन्तु विगत कुछ समय से ये आन्दोलन ब़गावत में बदलते दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान के एक बड़े प्रांत बलोचिस्तान में दशकों से हालात प्रशासन के नियन्त्रण में नहीं आ रहे। अ़फगानिस्तान के साथ लगते दूसरे बड़े प्रांत ़खैबर पख्तूनख्वा में भी प्रतिदिन गोलीबारी होती रहती है। सेना की ओर से तालिबान और अन्य विद्रोहियों को दबाने के लिए बड़ी कार्रवाइयां की जाती हैं। यहां तक कि कुछ दिन पहले अपने ही लोगों पर जहां हवाई जहाज़ द्वारा बमबारी करने का भयावह समाचार भी मिला था। इस मामले को लेकर उसके अ़फगानिस्तान के साथ भी संबंध बेहद बिगड़ चुके हैं। यह सब कुछ तो जारी ही है दूसरी ओर पाक अधिकृत कश्मीर में तो अब व्यापक स्तर पर गड़बड़ होने के समाचार नश्र होने शुरू हो गए हैं। हज़ारों ही लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सुरक्षा बलों की गोलियों से 12 मौतें हो चुकी हैं। सैकड़ों ही लोग घायल भी हो गए हैं।
वहां की संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी ने वह कुछ कर दिखाया, जिससे पाकिस्तान के शासक भी हैरान और परेशान हो गए हैं। पानी और बिजली की कीमतों के साथ-साथ बढ़ती बेरोज़गारी के कारण यहां के लोग पाकिस्तानी शासकों से बेहद तंग हैं। यहीं से पाकिस्तान पिछले साढ़े तीन दशकों से भारत के विरुद्ध आतंकवादी शिविर चला रहा है, जिन्होंने भारत को रक्त-रंजित कर रखा है। विगत अवधि में भारत के 50,000 से भी अधिक नागरिक और सुरक्षा कर्मी यहां के शिविरों से ट्रेनिंग लेकर आने वाले आतंकवादियों के हाथों मारे जा चुके हैं, परन्तु पाकिस्तान अपनी ऐसी नापाक कार्रवाइयों से बाज़ नहीं आ रहा, परन्तु अब वहीं पर उसे बड़ी चुनौती मिल रही है, जहां वह भारत के विरुद्ध अपनी जेहादी लड़ाई लड़ता रहा है। अवामी एक्शन कमेटी ने तो संयुक्त राष्ट्र तक को पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को बचाने की अपील की है। वहां भारत के पक्ष में भी स्वर उठ रहे हैं, जिन्हें लेकर पाकिस्तान यह आरोप लगा रहा है कि इन कार्रवाइयों के पीछे भारत का हाथ है, परन्तु विगत लम्बी अवधि से पाकिस्तान वहां जो ज़हरीला बीज बो रहा है, उसी फसल को ही उसे अब काटने के लिए विवश होना पड़ रहा है। यह गड़बड़ पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ्फराबाद से लेकर रावलकोट, कोटली और नीलम वैली जैसे स्थानों तक पूरी तरह फैल चुकी है। ब़ागी नेताओं ने यहां तक कहा है कि वह पड़ोसी देशों से भी सहायता की मांग कर रहे हैं और यदि ये देश हमारी सहायता के लिए आगे आते हैं तो वे पाकिस्तानी सेना का प्रभावशाली ढंग से मुकाबला कर सकते हैं।
पाकिस्तान प्रशासन ने यहां हर प्रकार के संचार साधनों पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया है और शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए हैं। कई प्रदर्शनकारी इस सीमा तक हिंसक हो चुके हैं कि उन्होंने पुलिस के सैकड़ों ही जवानों को बंधक बना लिया था और मीलों लम्बे विरोध प्रदर्शन में इन जवानों को शामिल करके उनसे पाकिस्तान की सरकार के विरुद्ध नारेबाज़ी भी करवाई गई थी। रावलकोट जो कभी कश्मीर में जेहाद के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. का प्रमुख केन्द्र था, आज पाक अधिकृत कश्मीर की पाकिस्तान से आज़ादी की मांग का केन्द्र बिन्दु बन गया है। अभी तक जन-जीवन पूरी तरह ठप्प है, बाज़ार बंद हैं, सड़कें सूनी हैं और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह ठप्प कर दी गई हैं। पाकिस्तान आज उस मुहाने पर पहुंच गया प्रतीत होता है जहां आगे उसके लिए रास्ते बंद हो गए हैं। आतंकवादियों का गढ़ बन चुके और आर्थिक रूप से पूरी तरह कंगाल हो चुके इस देश का अब रब्ब ही राखा है। नि:संदेह इस देश में हो रही स्थान-स्थान पर ऐसी टूट-फूट ने इसके अस्तित्व पर लगे प्रश्न-चिन्ह और भी गहरे कर दिए हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द