अनेक रोगों की प्राकृतिक औषधि है चोकर


कई गृहणियाँ ऐसी होती हैं जो आटे को छान कर उसमें से उसके चोकर को निकालकर फेंक देती हैं क्योंकि वे या तो चोकर के गुणों से परिचित नहीं होती हैं या फिर मुलायम रोटी खाने की आदी हो चुकी हैं। जो ऐसा करती हैं उनके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि चोकर स्वास्थ्य की महासंजीवनी होती है। यह चोकर उस अनाज का छिलका होता है जिसे पीसकर आटा बनाया गया है।  यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाकर इम्यूनो-ग्लोबुलीन्यस की मात्रा रक्त में बढ़ाता है। ऐसी स्थिति में दमा, एलर्जी, एवं एड्स जैसे रोगों में भी इसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है।
आटे में गेहूँ के वजन का पाँचवां भाग चोकर होता है किंतु इसी पाँचवें भाग में गेहूं के सभी पोषक तत्वों का तीन चौथाई हिस्सा समाया होता है। इसका रासायनिक विश्लेषण करने पर पता चला कि मामूली चोकर में तीन प्रतिशत चिकनाई, बारह प्रतिशत प्रोटीन तथा एक तिहाई भाग स्टार्च होता है।
चोकर में चूने और अन्य खनिज लवणों की मात्रा भी काफी होती है। एक पौण्ड चोकर वाले आटे में चार ग्रेन कैल्शियम होता है जो शरीर की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त होता है। आटे का चोकर निकाल दिये जाने पर उसमें स्थित कैल्शियम भी निकल जाता है। कैल्शियम शरीर के लिए एक अत्यावश्यक तत्व होता है। प्राकृतिक रूप से इस तत्त्व के न मिलने पर शरीर के कई अंग कमजोर होने लगते हैं। अपने भोजन में बारीक छने आटे अथवा मैदे का प्रयोग करने वालों के दांत अन्य लोगों की अपेक्षा जल्दी गिर जाते हैं या खोखले हो जाते हैं।
चोकर कोष्ठशोधन में तो हरी सब्जियों तथा फलों की तुलना में भी अच्छा साबित हुआ है। यह कोष्ठ को शुद्ध रखता है, साथ ही उसे बल और स्फूर्ति भी प्रदान करता है। कोष्ठ क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में चोकर मदद करता है।
बाजार से खरीदे गये आटे का चोकर लाभदायक नहीं माना जाता।॒ घर में गेहूँ खरीदकर उसे अच्छी तरह से धोकर, बीनकर सुखाकर पिसाये गये गेहूँ का चोकर ही लाभदायक होता है। स्वास्थ्य के लिए चोकर युक्त आटे का बहुत ही महत्त्व है। अत: स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए एवं परिवार के सभी सदस्यों को बलवान व स्फूर्तिवान बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि चोकर युक्त आटे की रोटी का ही व्यवहार किया जाए। (स्वास्थ्य दर्पण)
-आनन्द कुमार अनन्त