शुरुआत में ही सिखाएं बेटों को महिला का सम्मान करना

महिला अपना जीवन अपनी इच्छा से नहीं जी सकती क्या कारण है इसका? सिर्फ एक यही कि पुरुष प्रधान समाज। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में कई रचनाएं प्रकाशित की जाती हैं कि इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिएं, इन्हें रोकना चाहिए, लोगों को समझाना चाहिए। लेकिन क्या यह हो सकता है? हमारे कहने या सुनने से कुछ बदल जाएगा? मुझे नहीं लगता कि इस तरह कुछ होता है। यदि सुबह को बेटी या महिला काम करने के लिए घर से बाहर जाती हैं तो सायं को पता नहीं होता कि वह किसी हालात में घर वापिस आएगी। जब तक बेटी या महिला घर नहीं आती तब तक परिवार वाले घबराये रहते हैं। क्या इसके लिए समाज ज़िम्मेदार है? नहीं इसके लिए हम ज़िम्मेदार हैं। कोई भी काम किसी दूसरे इन्सान को कहना बहुत आसान होता है।  कठिन तब होता जब उसे स्वयं किया जाये। यदि हम उस काम की शुरुआत अपने घर से ही करें तो क्या यह ज्यादा कारगर नहीं होगा? हम आम तौर पर घरों में देखते हैं कि लड़के अपनी बहनों को स्कूल, कालेज, ट्यूशन स्वयं छोड़ने जाते हैं यहां तक कि कई लोग तो बाज़ार तक भी महिलाओं के साथ ही जाते हैं। यदि हमारे लड़कों को अपनी बहन, मां या पत्नी की इतनी चिंता है कि उनके साथ कोई बदतमीजी न करे, कोई छेड़छाड़ न करे, यदि लड़का अपनी बहन, मां या पत्नी की सुरक्षा चाहता है तो क्या दूसरों के घर की लड़की या महिला किसी की इज्जत नहीं होती।
जहां तक मुझे लगता है कि माता-पिता को अपने बच्चों को विशेष रूप से अपने बेटे को बचपन से ही लड़कियों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। यदि हम अपनी बेटियों से यह आशा रखते हैं कि वह किसी गलत काम में शामिल न हो तो फिर लड़कों की गलतियों को नज़र अंदाज़ क्यों किया जाता है। आजकल प्रतिदिन लड़कियों के साथ होती बदसलूकी इस बात की गवाह है कि हमारा समाज एक आदर्श समाज कहलाने का अधिकार नहीं रखता। घर का माहौल ऐसा हो, बच्चों के पिता द्वारा उनकी मां का हमेशा सम्मान होता हो। दोनों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना हो। अधिकतर घरों में माता-पिता के प्रतिदिन होते झगड़े का सीधा प्रभाव बच्चों की मानसिकता पर भी पड़ता है।  पिता घर का मुखिया होने के कारण अधिकतर लड़कों द्वारा ही अपने पिता जैसा रूप धारण करता है। वह अपनी पत्नी के साथ भी कई बार ऐसा व्यवहार करता है जैसा कि किसी समय उसकी मां के साथ हुआ होता है। लड़कों को बचपन से ही महिला वर्ग का सम्मान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। अपने गौरवमय इतिहास का उदाहरण देकर लड़कों को समझाने का प्रयास करना चाहिए कि हम उस सभ्याचार के मालिक हैं जहां हमारे बुजुर्गों ने पराई महिलाओं की इज्जत की रक्षा की है। इसलिए ज़रूरी है कि लड़कों में महिलाओं के सम्मान करने के गुण को उनका स्वभाव बनाना चाहिए। 
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