नई तकनीक का रिश्तों पर पड़ता प्रभाव

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब मानव का जन्म होता है तो विरासत में उसको कई तरह के रिश्ते मिलते हैं। जैसे मां-बाप, भाई-बहन, पति-पत्नी, मौसी-मौसा, बुआ इत्यादि।  ये रिश्ते जहां उसका शारीरिक विकास करने में मदद करते हैं, वहीं दूसरी ओर नया जीवन देने में भी सहायक है। प्राकृतिक का कोई भी इन्सान इन रिश्तों से दूर नहीं रह सकता। इसी प्रकार जीवन में बाकी रिश्ते तो साथ-साथ चलते हैं, सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता पति-पत्नी का होता है। जहां दोनों में प्यार के साथ थोड़ा बहुत टकराव, लड़ाई-झगड़ा भी होता है, जिससे इन सबका असर पड़ता है, बच्चों पर जिनकी सारी ज़िंदगी इस लड़ाई-झगड़े में निकल जाती है। आज भाई-भाई का दुश्मन है। बात चाहे ज़मीन की हो या घर के बंटवारे की, माता-पिता को रखकर कोई खुश नहीं होते हैं। इनमें प्यार तो क्या प्यार नाम का पौधा ही पनपना बंद हो जाता है। यही माता-पिता अपने बच्चों पर जान छिड़कते हैं, वहीं उनके बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो उनकी जान के दुश्मन हो जाते हैं।वहीं दूसरी ओर कुछ दोस्त जो छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, उनकी आपसी लड़ाई इतनी गहन हो जाती है कि माता-पिता तक पहुंच जाती है। मनुष्य का खून जहां दिन-प्रतिदिन सफेद होता जा रहा है, वहीं वह एक दूसरे को अपनी आंखों के सामने सहन नहीं कर पाते। आधुनिक टैक्नोलॉजी ने लोगों को आधुनिक बनाया है, वहीं दूसरी ओर मनुष्य को एक-दूसरे से दूर कर दिया है। एक व्यक्ति किसी अन्य के साथ सारा दिन बात नहीं कर सकता। समय नहीं बिता सकता वहीं फोन पर सोशल साइट पर घंटों व्यस्त रहता है। बच्चों पर भी इन सोशल मीडिया की गेम्ज़ का असर ज्यादा हो रहा है। जहां एक ओर बच्चे सीखते तो हैं ही लेकिन ज्यादा समय बिताने के कारण खुद का व्यवहार उतना ही हिंसक कर लेते हैं। परिवार के साथ भी वैसे ही पेश आते हैं।दुनिया में ऐसी कई समस्याएं हैं, जो इन्सान को उससे तो क्या उन सब रिश्तों से भी दूर करती है। जो मुसीबत में उनके काम आते हैं। हर मनुष्य तनावग्रस्त है। कई तरह के उपचार के बाद भी वह उस समस्या से उभर नहीं पाता। क्योंकि समस्या यह है कि वह अंदर से खुश नहीं है। अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष ने मानव को घेर लिया है। आजकल कई ऑनलाइन गेम देखने-सुनने को मिलती हैं। कई लोग तो इन गेम्ज़ का शिकार भी हुए हैं और मौत के मुंह में जा चुके हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को समय देना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए आज संयुक्त परिवार बहुत मायने रखता है। नई पीढ़ी को सही सोच की ज़रूरत है। नई पीढ़ी की यही नई सोच नए भविष्य को पैदा करती है। अगर रिश्तों में आपसी प्रेम होगा तो तभी हमारा राष्ट्र तरक्की कर सकता है।

          —हरप्रीत कौर