निकट आ रहा है करतारपुर गलियारा खुलने का दिन

करतापुर साहिब गलियारा के शुभ उद्घाटन का समय नज़दीक आ रहा है। पाकिस्तान ने फैसला कर ही दिया है कि भारत के साथ हालात जितने भी खराब हों, सीमा रेखा पर चाहे जितना भी तनाव हो, दोनों तरफ की सरकारें आपस में बातचीत करें या न करें, चाहे बातचीत के दरवाज़े बंद हो जाएं, परन्तु करतारपुर गलियारा ज़रूर खुलेगा। बाबा गुरु नानक की नगरी ज़रूर सजेगी। गुरुद्वारा साहिब के खुले दर्शन-दीदार ज़रूर होंगे। गुरुवाणी की मीठी आवाज़ दिलों में छिप कर बैठी ऩफरत को ज़रूर प्यार में बदलेगी। मौसम बदल रहा है। गर्मी कम हो रही है, फिज़ा खुशगवार हो रही है और इससे भी बड़ी खुशी यह है कि वर्षों की ऩफरत और दिलों की दूरियां खत्म होने जा रही हैं। सिख कौम से होने वाला बे-इन्साफ समाप्त होने जा रहा है। किसी सरकार को कोई हक नहीं है कि वह केवल राजनीति के लिए लोगों को उनके धार्मिक अस्थान से दूर रखे या दर्शनों से रोके। अगर दुनिया विकास कर गई है, मानवाधिकारों की बात करती है तो ऐसी प्रत्येक सोच पर मोहर लगनी चाहिए, शीघ्र और आवश्यक। आप भारत के निवासी सोच रहे होंगे कि आजकल पाकिस्तान में करतारपुर गलियारे पर क्या काम हो रहा होगा? कई प्रश्न आपके मन में उथल-पुथल मचा रहे होंगे। दिलों को तसल्ली नहीं मिल रही होगी। कोई अंजान खौफ परेशान करता होगा कि करतारपुर गलियारे का ‘ड्रॉप सीन’ क्या होगा? यह राजनीतिक खेल है या सचमुच ही पाकिस्तान सिख भाईचारे के लिए कुछ करना चाहता है? 8 या 9 नवम्बर को गलियारा खुलेगा भी अथवा नहीं? कहीं संयुक्त राष्ट्र जनरल असैम्बली वाले भारत-पाक हालात रास्ते की रुकावट न बन जाएं। जिस तरह अमरीका में होते हुए एक प्लेटफार्म पर इकट्ठे होते हुए दोनों देशों के प्रधानमंत्री दूर-दूर रहे, करीब नहीं आये, बातचीत नहीं की, हाथ तक नहीं मिलाए, तो अब तक हालात नहीं बदले, बल्कि हर गुज़रते दिन से तनाव कम होने के स्थान पर बढ़ता ही जा रहा है, तो यह चल रहा तनाव करतारपुर की रोशनी को खराब तो नहीं कर देगा? ऩफरत की आंधी कहीं खुशियों पर मिट्टी न डाल दे। अमन का दीया जलने से पूर्व ही बुझ न जाए। दर्शन के स्थान पर एक बार पुन: दूरियां मुकद्दर में न लिख दी जाएं। नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। आप सभी जिस प्रकार गुरु पर विश्वास रखते हैं, बिल्कुल इसी तरह इस बात पर भी विश्वास रखें कि करतारपुर गलियारा ज़रूर खुलेगा। ऩफरत की सीमा मिटनी शुरू हो जाएगी। बस, थोड़ा-सा इंतज़ार रह गया है। इस बार बाबे ने ज़िम्मेदारी उठाई है। दिलों को मोम किया है। बाबे ने रास्ता दिखाया है। बस, आप इस रास्ते पर चल कर आने की तैयारी करें। इस तरह आएं जिस प्रकार वर्षों के प्यासे पानी के पास आते हैं। जैसे एक परिवार के लोग एक-दूसरे को मिलने आते हैं। खुशियों की मन्नतें-मुरादें मांगते हुए आएं। आंखों में आंसू लेकर आएं परन्तु जाते हुए दिलों का सुकून वापिस लेकर जाएं। उम्मीदें लेकर आएं और जाते हुए दुआएं देकर जाएं। बार-बार आएं, यह सोच कर आएं कि आप परदेसी नहीं हो, दुश्मन देश नहीं आएं, अपितु अपने घर से निकल कर दूसरे घर में आए हो। मह़फूज हो, प्यार बढ़ाने आए हो। ऩफरत को हमेशा के लिए मिटाने के लिए आए हो। अब वह समय आ गया है जब हम आपको बताना चाहते हैं कि करतारपुर में क्या हो रहा है? अब यह एक प्रोजैक्ट नहीं रहा, अपितु एक नई दुनिया आबाद हो चुकी है। स़ाफ-स्वच्छ दुनिया जहां केवल श्रद्धा, अमन और प्यार ही प्यार है। यह दुनिया शिद्दत से बाहें खोल कर आपको अपने गले से लगाने के लिए तैयार हो चुकी है। बाबा गुरु नानक जी अपने सिखों का इंतज़ार कर रहे हैं।  गलियारे पर निर्माण कार्य जुलाई में 80 प्रतिशत सम्पूर्ण हो चुका था, अब तो काम चरम सीमा पर है। मुख्य मार्ग, पुल का निर्माण और गुरुद्वारा साहिब के आस-पास इमारतों का निर्माण भी पूरा हो गया है। पाकिस्तान ने अपना काम समय सीमा से पूर्व ही पूरा कर लिया है, जो यह व्यक्त करता है कि पाकिस्तान इस गलियारे को हर स्थिति में खोलना ही नहीं चाहता, अपितु दिलों की दूरियों को कम करना चाहता है। अब तक सिख भाईचारे के साथ होने वाली बेइन्स़ाफी को खत्म करना चाहता है। करतारपुर में लंगर खाना, दर्शन खाना, प्रबंधकीय ब्लाक, शौचालय, पानी, गैस बिजली एवं प्रत्येक कार्य का प्रबंध किया जा चुका है। गुरु साहिब का जो कृषि का क्षेत्र था, उसका विकास और खंडा साहिब तथा 150 फुट ऊंचा निशान साहिब लगाने का काम भी सम्पूर्ण होने वाला है, जो भारत से भी स्पष्ट तौर देखा जा सकेगा। गुरु साहिब का कुआं और आम का वृक्ष भी मौजूद है और उनको सुरक्षित रखने के लिए पाकिस्तानी इंजीनियरों ने विशेष कार्य किया है। सीमांत ट्रमीनल, मार्ग पर गुरुद्वारा साहिब में जहां-जहां गाड़ियां खड़ी करने का स्थान है, वहां का काम भी पूरा हो चुका है। इसके साथ ही लैंड स्केपिंग और पौधे लगाने का कार्य भी पूरा हो चुका है। आपको यह जानकर भी खुशी होगी कि गुरुद्वारा साहिब की एक ईंट को भी नहीं छेड़ा गया है। गुरुद्वारा साहिब पहले की तरह आबाद है। बस अब आप आएं और नया इतिहास अपने हाथों से लिखें। अपने स़फर से ही मंज़िल आबाद करें और अपनी आंखों से देखें कि हमने बाबे की दुनिया को किस तरह सजा-संवार कर आपके लिए रखा है। आप अपनी दुनिया को आबाद करें। ऩफरत को खत्म करें। दुआ करें प्यार की बस्ती आबाद रहे और हम आपका ‘स्वागत’ करते रहें। सुनें, करतारपुर की आवाज़ सुनें। यह आप सभी को बुला रही है। आप जहां भी हो, आ जाएं। बाबे ने इस क्षेत्र में अमन-शांति के लिए आपका चयन किया है। आ जाएं, और दूरियां हमेशा के लिए खत्म कर दें। रुकना नहीं और थकना नहीं।