नौजवानों का संताप

जिस तरह 300 से अधिक भारतीय नौजवान जिनमें से ज्यादा पंजाब और हरियाणा से संबंध रखते हैं, को मैक्सिको से वापिस भारत भेजा गया है, यह नौजवानों की त्रासदी की कहानी है। आज ऐसी त्रासदी से देश भर में हज़ारों नौजवान जूझ रहे हैं, वह कार्य करना चाहते हैं, परन्तु उनके पास कार्य नहीं है। वह अवसरों की तलाश में हैं, परन्तु अवसर खो गये प्रतीत होते हैं। इस देश में पैदा हुआ नौजवान आखिर क्या करे? कहां जाए? किस तरफ देखे? आज यह घर-घर की कहानी बन चुकी है। इसीलिए आज देश के अधिकतर नौजवान विदेश जाना चाहते हैं। वह किसी न किसी तरह यहां से निकलना चाहते हैं। उनको उम्मीद है कि शायद वहां उनको किसी तरह अच्छा जीवन जीने के लिए मिले। इसलिए जहां भी कोई अवसर मिलने की सम्भावना होती है, नौजवान उस तरफ चल पड़ते हैं। नौजवानों के कनाडा और आस्ट्रेलिया जाने के विस्तार सभी के सामने हैं।  लाखों ही नौजवान अभिभावकों या रिश्तेदारों या किसी न किसी अन्य से पैसे लेकर यहां से भागने के लिए उतावले हैं। इन देशों में अब तक भारत का अरबों रुपया पहुंच चुका है, परन्तु यह सिलसिला लगातार जारी है। देश के शासकों ने अधिकतर लोगों को निराशा ही दी है। नौजवान बेरोज़गारी की चक्की में पिसते जा रहे हैं। अपनी इस दौड़ में बहुत सारे सफल भी हो जाते हैं, परन्तु अधिकतर पर कठिनाइयों और दुखों के पहाड़ भी टूट पड़ते हैं। ऐसे भारतीय नौजवानों के विदेशों में धक्के खाते होने के अनेक ही दुखद समाचार भी मिलते हैं। माल्टा जैसे दर्दनाक कांड होते रहते हैं। अब मैक्सिको से वापिस लौटे नौजवानों की कहानी भी दुख भरी है। ट्रैवल एजेंटों द्वारा सिखाये गये ढंग-तरीके अपना कर वह किसी न किसी तरह अपने लक्ष्य के निकट पहुंच जाते हैं। मैक्सिको से वापिस भेजे गये ये नौजवान वहां की सीमा से अमरीका में दाखिल होना चाहते थे, यह सिलसिला गत कई वर्षों से जारी है। इस तरह हज़ारों ही नौजवान अमरीका पहुंचने में सफल हो गए और हज़ारों ही अन्य उस देश की अलग-अलग जेलों में सड़ रहे हैं। अमरीका ने ़गैर-कानूनी ढंग से अपने देश में दाखिल होने वाले लोगों के बारे में कड़ा रवैया अपना लिया है। अधिकतर नौजवान मैक्सिको-अमरीकी सीमा द्वारा अमरीका में दाखिल होते हैं। इसको देखते हुए जून के महीने में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पड़ोसी देश मैक्सिको को यह धमकी दी थी कि यदि उसकी सीमाओं से यह सिलसिला जारी रहा, तो वह मैक्सिको से आयात होने वाली सभी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ा देंगे। इस दबाव के कारण मैक्सिको ने अपने देश में ़गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हुए लोगों के प्रति कड़ा रवैया अपना लिया है। इस रवैये के घेरे में ही भारतीय नौजवान भी आ गए। अमरीकी अधिकारियों के अनुसार अब तक लाखों ही लोग वहां ़गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हो चुके हैं। वर्ष 2018 में ऐसे 4 लाख लोग पकड़े गए थे। आंकड़ों के अनुसार गत समय के दौरान ़गैर-कानूनी ढंग से अमरीकी सीमा में दाखिल होने वाले 2400 के लगभग भारतीय वहां की जेलों में बंद हैं, इनमें से अधिकतर पंजाबी हैं। मैक्सिको पहुंचने के लिए एजेंटों द्वारा इन नौजवानों को महीनों की कवायद करनी पड़ती है। इनको पहले इक्वाडोर द्वारा कोलम्बिया, पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, होंडुरस तथा ग्वाटेमाला देशों में से गुज़रना पड़ता है। मैक्सिको पहुंच कर वह किसी न किसी तरह प्रयास करते हैं कि वह सीमा लांघ कर अमरीका में दाखिल हो जाएं। इन नौजवानों में से बहुत सारे पिछले महीनों में किस तरह के स़फर और कठिनाइयों से गुज़रे उसकी उन्होंने दुख भरी कहानियां भी सुनाई हैं कि कैसे उनको जंगलों में से गुज़रना पड़ा, कैसे उनको भूख से लड़ना पड़ा, शरणार्थी शिविरों में जानवरों की तरह रहना पड़ा। ऐसी मुसीबतें आज अलग-अलग देशों में हमारे नौजवान झेल रहे हैं।  यह त्रासदी हमारे देश की है, हमारे नौजवानों की है, जिसका निकट भविष्य में कोई हल दिखाई नहीं देता। आज नौजवानों के ऐसे संकट को हल करने के लिए देश में जितनी बड़ी योजनाबंदी की ज़रूरत है, वह नदारद है। ऐसी स्थिति में दर्द का यह स़फर कितनी देर तक जारी रहेगा, इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है। हमारे देश के नेता देश के विकास और खुशहाली के बारे में नित्य-दिन बड़े-बड़े बयान देते नहीं थकते। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द