विश्व शांति में संयुक्त राष्ट्र का योगदान

विश्व भर में प्रतिवर्ष 24 अक्तूबर को ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर हस्ताक्षर कर संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया था। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् ही सन् 1929 में राष्ट्र संघ (लीग ऑफ  नेशंस) का गठन कर दिया गया था, जिसका उद्देश्य दूसरे संभावित युद्ध को रोकना था लेकिन 1930 के दशक में दुनिया के द्वितीय विश्व युद्ध की ओर झुकाव को रोकने के उद्देश्य में राष्ट्र संघ काफी हद तक प्रभावहीन रहा। यही वजह रही कि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विजेता देशों ने मिलकर एक ऐसा संगठन बनाने का प्रस्ताव रखा, जो दुनियाभर में शांति कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके और इस प्रकार इसी प्रस्ताव के आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया गया।
 द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक समतापूर्ण और न्यायोचित बनाने के लिए एक ऐसे नए संगठन की स्थापना का विचार उभरा और यह विचार पांच राष्ट्रमंडल सदस्यों तथा आठ यूरोपीय निर्वासित सरकारों द्वारा 12 जून 1941 को लंदन में हस्ताक्षरित अंतर-मैत्री उद्घोषणा में पहली बार सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त हुआ। इस उद्घोषणा के अंतर्गत एक स्वतंत्र विश्व के निर्माण हेतु कार्य करने का आव्हान किया गया, जिसमें लोग शांति व सुरक्षा के साथ भयमुक्त वातावरण में रह सकें तथा निजीकरण एवं आर्थिक सहयोग के मार्ग की खोज कर सकें। इस घोषणा के उपरांत 14 अगस्त 1941 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल तथा अमरीकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे संयुक्त राष्ट्र के जन्म का सूचक माना जाता है। इसी चार्टर का समर्थन करने वाले 26 देशों ने 1 जनवरी 1942 को वाशिंगटन में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। नवम्बर-दिसम्बर 1943 में अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल तथा सोवियत संघ के प्रधान स्टालिन ने तेहरान में मुलाकात कर संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना के लिए विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श किया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मुख्य मित्र राष्ट्र नेताओं की प्रथम बैठक थी। अगस्त से अक्तूबर 1944 के बीच सोवियत संघ, अमरीका, चीन तथा ब्रिटेन के प्रतिनिधियों द्वारा वाशिंगटन के डम्बर्टन ओक्स एस्टेट में कई बैठकें आयोजित कर एक शांतिरक्षक विश्व संस्था बनाने की रूपरेखा तैयार की गई और उसी के आधार पर दुनिया भर के 50 देशों के प्रतिनिधियों के बीच 1945 में बातचीत हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद 25 अप्रैल 1945 को अमरीका के सैन फ्रांसिस्को में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ, जिसमें उपस्थित सभी देशों ने संयुक्त राष्ट्रीय संविधान पर हस्ताक्षर किए। उस समय पोलैंड सम्मेलन में उपस्थित नहीं था लेकिन उसके हस्ताक्षर के लिए जगह रखी गई, जिस पर बाद में पोलैंड ने भी हस्ताक्षर कर दिए। 26 जून 1945 को सभी 50 देशों ने चार्टर पर हस्ताक्षर किए और सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी देशों के हस्ताक्षर के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया, जिसने 1929 में स्थापित राष्ट्र संघ के ढ़ांचे और उद्देश्यों को अपनाया। 24 अक्तूबर 1945 से यह चार्टर प्रभावी हो गया, जिसके बाद से ही प्रतिवर्ष 24 अक्तूबर को ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश थे संयुक्त राज्य अमरीका, फ्रांस, रूस तथा यूनाइटेड किंगडम, जिनकी द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम भूमिका थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विजेता देश नहीं चाहते थे कि विश्व में फिर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध जैसे हालात उत्पन्न हों। इसी सोच के चलते 1945 में ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ अस्तित्व में आया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद शुरूआती दिनों में ही भारत भी इसके साथ जुड़ गया था और धीरे-धीरे दुनिया के अन्य देश भी संयुक्त राष्ट्र के साथ जुड़ते गए। 50 सदस्यों के साथ शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों की संख्या आज दुनियाभर में 193 हो चुकी है, जिनमें से लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश हैं। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को अंतर्राष्ट्रीय चिंताएं और राष्ट्रीय मामलों को संभालने का अवसर मिलता है।  संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य उद्देश्य हैं युद्ध रोकना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, सभी देशों के बीच मित्रवत संबंध कायम करना, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, निर्धन तथा भूखे लोगों की सहायता करना, उनका जीवन स्तर सुधारना तथा बीमारियों से लड़ना। इन उद्देश्यों को निभाने के लिए 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा प्रमाणित की गई। संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग है संयुक्त राष्ट्र महासभा, जो सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करती है। इसी महासभा में हर तरह के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होती है और समस्याओं का समाधान निकाला जाता है। संयुक्त राष्ट्र का एक और महत्वपूर्ण अंग है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। संयुक्त राष्ट्र की अपनी कोई स्वतंत्र सेना नहीं होती बल्कि उसकी इसी सुरक्षा परिषद को सदस्य देशों की सेनाओं को विश्व शांति के लिए दूसरे देशों में तैनात करने का अधिकार प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र के अन्य महत्वपूर्ण अंगों में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय इत्यादि प्रमुख हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपनी कई प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम हैं, जिनमें विएना में स्थित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी परमाणु निगरानी का कार्य करती है। हेग में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध आयोग पूर्व यूगोस्लाविया में युद्ध अपराध के संदिग्ध लोगों पर मुकद्दमा चलाने के लिए बनाया गया था।  दुनियाभर के बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा की देख-रेख के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) गरीबी कम करने, आधारभूत ढ़ांचे के विकास तथा प्रजातांत्रिक प्रशासन को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहा है। रोम में स्थित विश्व खाद्य कार्यक्रम के जरिये भूख के विरूद्ध लड़ाई लड़ी जा रही है। नैरोबी में स्थित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) पर्यावरण की रक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। पेरिस में स्थित संस्था संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान एवं सांस्कृतिक परिषद का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान संस्कृति और संचार के माध्यमों से शांति और विकास का प्रसार करना है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने कई कार्यक्रमों और एजेंसियों के अलावा 14 स्वतंत्र एजेंसियों से इसकी व्यवस्था गठित होती है, जिनमें विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन इत्यादि शामिल हैं, जिनका संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सहयोग व समझौता है।

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