गलतियों पर खुद को कैसी-कैसी सज़ा देते हैं बड़े खिलाड़ी 

क्या आप जानते हैं इस समय आईसीसी रैंकिंग में दुनिया के नंबर-1 बल्लेबाज आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ  पहले टेस्ट की पहली पारी में महज 4 रन पर आउट होने के बाद क्या किया था ? जी, हां स्टीव ने खुद को एक ऐसी सजा दी थी, जिसे सुनकर कई आम लोग ही नहीं, खुद क्रिकेटर भी चौंक जायेंगे। ब्रिस्ब्रैन क्रिकेट ग्राउंड से 3 किलोमीटर दूर स्थित होटल तक स्टीव टीम बस में नहीं बल्कि दौड़ते हुए गये थे। जबकि हमें मालूम होना चाहिए कि स्टीव जैसे सेलिब्रिटी खिलाड़ी के लिए थकान से ज्यादा उनके प्रशंसकों की भीड़ परेशानी बन सकती थी। लेकिन इन तमाम खतरों को जानते-समझते हुए भी इस ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ने यह किया। उन्होंने खुद इस सजा का औचित्य भी बताया। मीडिया के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब मैं कामयाब होता हूं तो कामयाबी का जश्न चॉकलेट से मनाता हूं। इसलिए अगर फेल हो जाता हूं तो खुद को सजा भी देता हूं। ये दोनों ही चीजें जरूरी हैं।’ गौरतलब है कि पाकिस्तान के साथ सीरीज के इस पहले टेस्ट में स्मिथ को यासिर शाह ने बोल्ड किया था। यही नहीं इस लेग स्पिनर ने 11वीं पारी में 7वीं बार इस बल्लेबाज को आउट किया था। ऐसे में कहीं न कहीं स्मिथ के अंदर खुद के प्रति खुद की यह खुन्नस भी रही होगी कि आखिर बार-बार वह इसकी बॉल के फंदे में क्यों फंस जाते हैं, क्या उनके पास इसकी कोई काट नहीं है ? मीडिया के साथ बात करते हुए स्टीव ने स्वीकारा  ‘फेल होने पर सजा के तौरपर कभी जिम में ज्यादा पसीना बहाता हूं, कभी मैदान के चक्कर लगाता हूं।’’ हालांकि स्टीव ने कहीं न कहीं अपने फेल होने की वजह भी बतायी उन्हीं के शब्दों में ‘हमने वहां (ब्रिसबेन) एक बार ही बैटिंग की। जब मैं क्रीज पर पहुंचा तब तक टीम का स्कोर 351 रन पर एक विकेट था। इसलिए मैंने रन बनाने में जल्दबाजी दिखाई। एक तरह से मैंने खुद ही तेजी से रन बनाने का यह दबाव अपने सिर पर ले लिया। हालांकि मैं दबाव के हालात में ज्यादा अच्छी बैटिंग करता हूं। लेकिन तब जब नेचुरल दबाव हो।’ कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि बड़े खिलाड़ी अपनी परफॉर्म को लेकर हमेशा बहुत सर्तक रहते हैं। अगर उन्होंने कोई ऐसी गलती कर दी जिसे कोई और नहीं जान पाया या जान भी गया हो तो उनके कद के कारण कोई कुछ कह न पाया हो (यहां तक कि मैनेजमेंट भी) ऐसी स्थितियों का बड़े और ईमानदार खिलाड़ी बेजा फायदा नहीं उठाते बल्कि खुद को अपनी की हुई गलती की सजा देते थे। हिन्दुस्तान में क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी अपनी गलतियों के लिए खुद को सजा देते थे क्योंकि उनका कद इतना बड़ा था कि मैनेजर से लेकर बीसीसीआई तक उनसे कुछ कहने की स्थिति में कभी नहीं होती थी, कैप्टन की तो बात ही छोड़िए। लेकिन जब भी सचिन किसी ऐसी बॉल पर आउट हो जाते थे, जिसकी मेरिट आउट करने वाली नहीं होती थी तो वह रात में जब सारे खिलाड़ी सो रहे होते थे तब वह मशीन से या कई बार बस आभासी तरीके से ही और कई बार किसी स्थानीय या कि अपने ही साथी खिलाड़ी की मदद से प्रैक्टिस किया करते थे। इस सन्दर्भ में एक और बड़े खिलाड़ी राहुल द्रविड़ का किस्सा भी बहुत मशहूर है। खुद इसे मीडिया से एक बार राहुल द्रविड़ ने शेयर किया था। राहुल के मुताबिक, ‘मैंने और सचिन ने सिंगापुर में 1996 में पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में साथ में बल्लेबाजी की थी। इस दौरान मैं रनआउट हो गया था। तब सचिन ने इस पर काफी नाराजगी दिखाते हुए कहा था कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए। सिर्फ  क्रिकेटर ही नहीं, बाकी खेलों के तमाम खिलाड़ी भी खुद को ऐसी ही सजा देते हैं। साल 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक और साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में सुबह पांच बजे अभ्यास के लिए जाते थे। लेकिन जिस दिन देर हो जाती थी तो उन्हें अपने गुरु सतपाल पहलवान से 100 उठक-बैठक की सजा मिलती थी। सुशील यह सजा तो भुगतते ही थे। लेकिन प्रैक्टिस सेशन खत्म होने के बाद वह उस दिन 100 उठक-बैठक और लगाते थे, यह उनको खुद के लिए खुद ही दी गयी सजा होती थी, जिसका खुलासा एक बार खुद सतपाल पहलवान ने किया था।  इसी तरह लॉन टेनिस के विख्यात खिलाड़ी रोजर फेडरर भी गलत शॉट मारने की सजा प्रैक्टिस के दो घंटे बढ़ाकर या जिम में अतिरिक्त पसीना बहाकर देते हैं। कहने का मतलब बड़े और कामयाब खिलाड़ियों को अनुशासन का पाठ सिखाने की जरुरत नहीं पड़ती, वह खुद ही खुद को यह पाठ पढ़ाते रहते हैं।