" कोरोना संकट में धान की रोपाई " पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक रिश्ते टूटने के नहीं कोई संकेत

जालन्धर, 8 मई (मेजर सिंह): गेहूं की कटाई व खरीद का कोरोना संकट में बेहद जोखिम भरा काम मुकम्मल करने के बाद अब किसानों, मज़दूरों व सरकार के लिए धान की रोपाई का बड़ा चुनौतीपूर्ण काम सामने आ गया है, मज़दूरों की कमी को पूरा करने के लिए किसानों व सरकार ने अभी से योजना बनानी शुरू कर दी है और पंजाब का मज़दूर वर्ग भी संकट की घड़ी में सहयोग व संयम का रुख अख्तियार कर आपसी सहमति बनाकर चलने के पक्ष में हैं। इसका पहले संकेत तूड़ी बनाने के लिए मेहनताना लेने के मामले में प्रत्यक्ष रूप में सामने आ गया है। प्रवासी मज़दूरों की कमी के कारण कुछ गर्म ख्याल के लोगों ने प्रतिदिन हज़ार रुपए तक मेहनताना लेने की बातें कीं परंतु विभिन्न ज़िलों से मिली जानकारी के अनुसार आम तौर पर आपसी समझदारी से यह मेहनताना 400 से 500 रुपए के दरमियान ही रही है। माझा, मालवा व दोआबा क्षेत्र के किसानों, मज़दूरों व अन्य कई लोगों से बातचीत से पता चला है कि गांवाें में इस बार प्रवासी मज़दूरों के न आने के कारण पंजाबी मज़दूरों या टकराव वाली कोई बात नहीं। बल्कि पंजाबी मज़दूर वर्ग में पंजाब में अपनी जगह बनाने की नई चेतना जागी है। कृषि, उद्योग, व्यापार व सेवा क्षेत्र में पंजाबी मज़दूर कहीं दिखता ही नहीं था, हर तरफ प्रवासी मज़दूरों की भरमार थी। परंतु कोरोना संकट ने हालात अचानक बदल दिए हैं। वायरस के भय व लॉकडाऊन के कारण गेहूं की कटाई व खरीद में काम करने के लिए प्रवासी मज़दूर आ नहीं सका, उनकी जगह पंजाबी मज़दूरों ने भर दी। अब 10 लाख के करीब शहरों के उद्योग, व्यापार व सेवा क्षेत्र में लगे प्रवासी मज़दूर अपने घरों का रुख कर गए हैं। धान की रोपाई के लिए भी प्रवासी मज़दूर नहीं आएंगे। विभिन्न स्थानों से मिली जानकारी के अनुसार कई वर्षों बाद पंजाबी मज़दूरों को कटाई व खरीद में काम करने का मौका मिला है। अनुमान के अनुसार माना जाता है कि प्रत्येक मज़दूर 30 हज़ार रुपए के करीब इस सीज़न में कमाई करेंगे। इस तरह 250 से 300 करोड़ रुपए तक पंजाबी मज़दूरों के घरों में पैसा जा रहा है। कहते हैं कि यही लालच उन्हें अब धान पर भी हाथ आजमाने के लिए भी उत्साहित कर रहा है। गांवों में मेहनताना घटाने-बढ़ाने के लिए कशमकश तो है परंतु तनाव व टकराव वाली बात कहीं नज़र नहीं आ रही बल्कि दोनाें पक्षों में इस समय सहयोग व संयम की भावना अधिक प्रबल है जो पंजाबी समाज के शानदार विरसे की विरासत है। 
सरकार की योजनाबंदी
पंजाब के कृषि विभाग ने इस बार करीब अढ़ाई लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल धान के नीचे निकालकर मक्की व नरमे की बुआई बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इससे साढ़े 29 लाख हैक्टेयर की बजाय 27 लाख हैक्टेयर धान की रोपाई की जाएगी। इसमें से 7 लाख हैक्टेयर ज़मीन में बासमती की रोपाई की जाएगी। कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि सरकार धान की सीधी रोपाई को उत्साहित कर रही है और किसानों का रुझान भी इस ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार 4 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में धान की सीधी रोपाई का लक्ष्य रखा है।