चिन्ताजनक हालात

देश में कोरोना महामारी के कारण हालात चिन्ताजनक बने हुए हैं। मरीज़ों की संख्या लगभग 27 लाख हो जाने, प्रतिदिन 50,000 से अधिक नये मामले सामने आने एवं मौतों की संख्या 52,000 से पार हो जाने ने चिंता के साथ-साथ एक भय भी पैदा किया है। 24 घंटों में लगभग एक हज़ार मौतें हो जाने से भी नया रिकार्ड बना है। दुनिया भर के मुकाबले में भारत की स्थिति खराब होते दिखाई दे रही है। अब तक विश्व भर में मरीजों की संख्या सवा 2 करोड़ से ऊपर हो गई है तथा मौतों की संख्या 8 लाख के निकट पहुंच चुकी है। कुछ महीने पहले मौतों की गणना के मामले में भारत 7वें स्थान पर था परन्तु अब यह गणना 52,000 से बढ़ जाने के कारण यह तीसरे स्थान पर आ गया है। 
अमरीका में लगभग पौने 2 लाख मौतें हो चुकी हैं तथा ब्राज़ील में मौतों की संख्या एक लाख से ऊपर हो चुकी है। इंग्लैंड, इटली, फ्रांस और स्पेन ने काफी सीमा तक मौतों की संख्या को सीमित कर लिया है, परन्तु भारत में इस दृष्टिकोण से स्थिति ने अभी तक कोई मोड़ नहीं लिया। पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय की सूचना के अनुसार ठीक होने वालों की दर 72 प्रतिशत तक हो चुकी है तथा मृत्यु दर 1.93 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही स्वस्थ होने वालों की संख्या भी 20 लाख के करीब पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार टैस्टों की गणना में निरन्तर वृद्धि की जा रही है। अब तक लगभग 3 करोड़ लोगों के टैस्ट किये जा चुके हैं। चाहे हालात ठीक होने की ओर मोड़ नहीं काट रहे परन्तु इस समय में इस मामले पर केन्द्र और राज्य सरकारों में अच्छा तालमेल अवश्य बना हुआ है। इसके साथ-साथ बड़ी चिंता वाली बात यह है कि पंजाब में स्थितियां  अनियंत्रित होने की ओर बढ़ रही प्रतीत होती हैं। जहां प्रतिदिन एक हज़ार से अधिक नये मामले सामने आ रहे हैं, वहीं मृत्यु दर भी बढ़ती जा रही है। पंजाब प्रशासन की ओर से लगभग 5,000 बिस्तरों की व्यवस्था के साथ-साथ निजी अस्पतालों एवं अन्य संस्थाओं से भी मदद का प्रबंध किया गया है। इससे लगभग 10,000 बिस्तर उपलब्ध हो सकेंगे परन्तु जिस प्रकार मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए आगामी दिनों में ये प्रबन्ध भी कम पड़ सकते हैं जिसे अभी से ही अनुभव किया जा सकता है क्योंकि आक्सीजन सैटों के साथ-साथ वैंटीलेटरों की मांग में भी वृद्धि होने की सम्भावना बनती जा रही है। 
जहां तक मृत्यु दर का संबंध है, पंजाब में पड़ोसी राज्यों से यह दर कहीं अधिक है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में 1.16, जम्मू-कश्मीर में 1.88, हिमाचल प्रदेश में 0.42 परन्तु पंजाब में यह दर 2.45 प्रतिशत बनी हुई है। चाहे प्रदेश में टैस्ंिटग में और तेज़ी लाई गई है। सुरक्षा किटों का समुचित प्रबन्ध किये जाने का भी दावा किया जा रहा है परन्तु इस समय में स्वास्थ्य कर्मियों को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान किया जाना भी बहुत ज़रूरी है। कुछ शहरों में बीमारी का दबाव ज्यादा है। इनमें जालन्धर, पटियाला और लुधियाना आते हैं। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर बढ़ रहे मामलों के दृष्टिगत इन शहरों की गतिविधियों को सीमित करने की घोषणा की है। इन शहरों में कुछ दिनों के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू एवं सप्ताह के अंत में दो छुट्टियां करने की घोषणा भी की गई है, परन्तु इसके साथ-साथ यह ध्यान रखा जाना भी ज़रूरी है कि पहले ही अतीव तंगी में आये लोगों के लिए अब आर्थिक गतिविधियां जारी रखना भी बहुत ज़रूरी है। पिछले दिनों प्रसिद्ध अर्थ-शास्त्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी इन आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने का समर्थन किया था। पंजाब के लिए एक बार फिर यह परीक्षा की घड़ी है। लोगों ने किस प्रकार इस बीमारी से सतर्क रहना है, स्वयं को कैसे अनुशासन में रखना है तथा प्रशासन के निर्देशों का किस प्रकार पालन करना है, यह देखा जाना शेष है। सावधानियों का जारी रहना तब तक आवश्यक है, जब तक इस बीमारी का कोई टीका उपलब्ध नहीं हो जाता। सरकार को, प्रशासन को एवं लोगों को इस काल में पूरी तरह सावधान रह कर इस कठिन घड़ी को साहस एवं हौसले के साथ ही पार करना होगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द