कलात्मक पद-चिन्ह—8 लोक संगीत, स़ूफी संगीत और गुरमति संगीत की त्रिवेणी डा. जसबीर कौर

डा.जसबीर कौर जी को भाषा विभाग पंजाब की ओर से 2019 के लिए शिरोमणि रागी पुरस्कार से नवाज़ा गया है। संगीत के क्षेत्र में उंचाइयों की छूने वाली डा. जसबीर कौर की लोक संगीत, गुरमति संगीत और स़ूफी संगीत में महारत है। पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में पंजाबी भाषा विकास विभाग से जुड़ी इस शख्सियत ने 31 वर्षों से संगीत अध्ययन, शोध और अध्यापन को अपना क्षेत्र बनाया है। तीन पुस्तकों की मौलिक रचना और 50 पुस्तकों का सम्पादन करके गुरमति संगीत को विश्व स्तर पर पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई है। 
गुरमति संगीत का ऐतिहासिक विकास विषय पर पीएचडी हासिल करने वाली इस संगीत माहिर ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के विभिन्न परिपेक्ष विषयों पर पुस्तक का सम्पादन किया। भिन्न-भिन्न गुरु साहिबानों के जीवन और गुरवाणी संबंधी उन्होंने बहुत-सी पुस्तकों का सम्पादन किया है। शोध प्रतिभा का सम्पादन भी लम्बी अवधि तक किया जिसके द्वारा गुरमति संगीत विशेषांक, संगीतक साज विशेष और कीर्तन विशेषांक, संगीत ज्ञान शैलियां विशेषांक, भारतीय संगीत के प्रमुख संगीतकार विशेषांक भाग-1 एवं 2 ध्यान आकर्षित करते हैं। शोध पत्र और अनेक लेख आपने संगीत, गुरुवाणी और गुरमति संगीत संबंधी लिखे हैं। बहुत-सी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रैंसों और सैमीनारों में पंजाबी लोक-गायिकी, गुरमति संगीत और व्यक्ति विशेष संबंधी शोध पत्र पढ़े। आपने जहां साहित्यक और शोध के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान डाला है। साथ ही संगीत के क्षेत्र में भी अपनी आडियो कैसेटों की प्रस्तुति पेश कर श्रोताओं के मनों में विशेष स्थान बनाया है। सोहनी महिवाल नाटक, शहीद भगत सिंह नाटक, बाबा बंदा सिंह बहादुर नाटक में पार्श्व गायिका की भूमिका भी निभाई है।
अपनी योग्यता एवं चिंतन द्वारा डा. जसबीर कौर भिन्न-भिन्न संस्थाओं की पदाधिकारी और सदस्य की सेवाएं निभा रही हैं, जिनमें सदस्य एजुकेशन कौंसिल पंजाबी यूनिवर्सिर्टी पटियाला, सदस्य गुरमति संगीत बोर्ड ऑफ स्टडीज़, प्रधान एंटी ड्रग प्रचार मंच, सचिव साईं मियां मीर फाऊंडेशन, प्रधान ग्लोबल यूनाइटिड सिख वूमैन आर्गेनाइजेशन, सीनेट सदस्य, सदस्य अकादमिक कौंसिल एवं डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट, आपने कई टी.वी. शो में जज की विलक्षण पहचान बनाई है जिनमें गावहु साची वाणी प्रमुख है। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में पंजाबी कला विकास विभाग में बखूबी सेवाएं निभा कर आजकल आप गुरमति कालेज पटियाला बतौर प्रिंसीपल अपनी सेवाएं निभा रही हैं। महज़ 16 वर्ष की उम्र से ही गुरमति संगीत की शिक्षा रागी चरण सिंह से ग्रहण की। आपने उस्ताद पं. सुरजन प्रकाश, प्रो. दमन लाल, प्रो. शमशेर सिंह करीर, प्रो. तारा सिंह एवं आगरा घराने के पदमश्री सोहन सिंह से और पं. यशपाल से संगीत शिक्षा ग्रहण की। वाणी पढ़ना, सुननी और गुरु मर्यादा में रह कर और गुरु घर के प्रति श्रद्धा और निष्ठा की गुढ़ती जसबीर कौर अपने घरेलू माहौल से मिली। अपने बुजुर्गों की परम्परा पर पहरा देने वाली जसबीर गुरमति संगीत में पीएचडी तक की शिक्षा ग्रहण करने को भी भगवान का आशीर्वाद समझती है। जसबीर कौर ननिहाल, ददिहाल की पृष्ठ भूमि पश्चिमी पंजाब की है। उनके नाना भाई ईश्वर सिंह कीर्तन करने वाले निहंग सिंह थे। पिता के माता जी भी गुरुद्वारा ननकाना सिंह महिलाओं के जत्थे में कीर्तन करने वालों में शामिल थीं। ऐसी माहौल ने अचेत ही गुरमति, स़ूफी संगीत के प्रति आपके भीतर एक जोत जला दी। डा. जसबीर कौर जब भी संगीतमय प्रस्तुति देती हैं, वह गायन, वादन, नृत्य और ताल के विभिन्न अंगों से अपने रूप में उतार लेती हैं। 
इन सभी के समूचे तालमेल और संगीत गायन परम्परा में डाले योगदान के चलते उन्हें अनेक संस्थाओं की ओर से मान-सम्मान मिला है। वह माई भागो अवार्ड, गुरदासपुर, पंजाब दी धी सम्मान (नवांशहर), भाई सत्ता बलवंत सम्मान गुरु अगंद दरबार पटियाला की ओर से, भाई मरदाना यादगारी अवार्ड 1993, अकाली कोर सिंह अवार्ड को 1994, डा. महिन्दर सिंह रंधावा पुरस्कार और गुरमति संगीत अवार्ड जवद्दी टकसाल भी प्राप्त कर चुकी हैं। 2008 में शहीद भगत सिंह की जन्म शताब्दी के अवसर पर लाहौर में उन्हें विशेष सम्मान दिया गया। लाहौर दौरे के दौरान 2019 में पंजाब यूनिवर्सिटी लाहौर में गुरु नानक चेयर स्थापित करने में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। 
दोआबा की धरती पर जन्मी माझे में उच्च शिक्षा ग्रहण करके पटियाला की धरती को अपनी कर्म-भूमि बनाने वाली डा. जसबीर कौर संगीत के बिना अपने जीवन को अधूरा समझती हैं। संगीत और गायन उनके लिए सांस लेने जितना ज़रूरी है। रियाज़ उनकी साधना है। वह तारों वाले साज़ों से कीर्तन करते हुए अपने विद्यार्थियों का सहयोग लेती और उनका मार्ग दर्शन करती हैं। गुरमति संगीत, स़ूफी संगीत, लोक संगीत को अपने मन में बसा कर कला साधना से जुड़ी डा. जसबीर आधुनिक कवियों की रचनाओं का गायन करने में भी खुशी महसूस करती हैं। भाई बीर सिंह, सुरजीत पात्र, प्रो. गुरभजन गिल, जसवंत ज़फर एवं सुखविन्द्र अमृत की काव्य रचनाएं गाकर उन्हें संतुष्टि प्राप्त होती है। डा. जसबीर भविष्य में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, दसम ग्रंथ और सर्व लोह ग्रंथ की गायन शैलियों संबंधी कार्य करने के साथ-साथ पंजाब की ढाडी परम्परा के प्रति संगीतक खोज कार्य करना अपना उद्देश्य समझती हैं। गुरमति संगीत के विकास का दायरा विशाल करने के लिए उन्होंने 11 वर्कशाप एवं अनेक गुरमति संगीत सम्मेलन भारत, कनाडा और आस्ट्रेलिया में प्रस्तुत किये हैं। कार्यालय ‘अजीत प्रकाशन समूह’ आपको शिरोमणि रागी अवार्ड के लिए मुबारकबाद देता है।
-हंसराज महिला महाविद्यालय, जालन्धर।