बच्चों को क्यों होती है टेंशन ?

टेंशन यानी तनाव सामान्यत : बड़ों के साथ जोड़ा जाता है जबकि आज के समय में यह तनाव बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी होता है। बच्चों और बड़ों के तनाव के कारण अलग-अलग होते हैं। जब बच्चे तनावग्रस्त होते है तो उनका चुलबुलापन, मुस्कुराहट, खेलने में रूचि कम हो जाती है। इन सबका प्रभाव उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है। आइए देखें बच्चों को किन कारणों से होता है तनाव।
माता-पिता का व्यवहार 
बच्चे स्वभाव में इतने नाजुक होते हैं। जब कभी वह महसूस करते हैं कि माता-पिता दूसरे भाई बहन पर अधिक ध्यान या प्यार दर्शा रहे हैं, तो उनके प्रति कम अटेंशन ही उनकी टेंशन का कारण बन जाता है। जब घर में दूसरा नवजात शिशु आता है तब माता-पिता, दादा-दादी, सबका ध्यान उस पर अधिक जाता है। कभी-कभी एक ही स्कूल में पढ़ने पर कम्पिटिशन भी रहता है। अगर एक बच्चे का परिणाम अच्छा है और दूसरे का कम, तब भी बच्चे को अहसास दिलाया जाता है कि तुम्हारा भाई बहन तुमसे अधिक आगे है। तब बच्चा हीनभावना से ग्रस्त होकर तनाव में आ सकता है। 
बच्चों को होती है पढ़ाई और एग्जाम्स की टेंशन 
आज के बच्चों को पहले के बच्चों के मुकाबले अधिक विषय पढ़ने होते हैं। क्लास में वीकली, मंथली, यूनिट टैस्ट होने के कारण वह सारा साल पढ़ाई से चिपके रहते हैं। क्लास के अतिरिक्त ट्यूशन टैस्ट, ट्यूशन वर्क भी उन्हें पूरा करना होता है। ऊपर से माता-पिता का बच्चे को सबसे आगे देखने का सपना। इतने विषयों में अगर एक भी विषय कमजोर हो तो परफारमेंस में अंतर आ जाता है। इन सब कारणों के होते बच्चे पढ़ाई और एग्जाम्स के दिनों में टेंशन में आ जाते हैं।
मानसिक और शारीरिक दंड भी बनाता है बच्चों को तनावग्रस्त 
बच्चे स्वभाव और मन से कोमल होते हैं। वे किसी भी शारीरिक या मानसिक दंड को सहन नहीं कर पाते। इनमें से कोई भी स्थिति में वह अपना नियंत्रण खो बैठते हैं, गुमसुम रहने लगते हैं और धीरे-धीरे अपने सारे इंटरेस्ट खोने लगते हैं। यह स्थिति स्कूल या घर कहीं भी हो सकती है। बच्चे इतने कोमल हृदय के होते हैं कि किसी और को भी डांट या मार पड़ रही हो, तब भी सहम जाते हैं। इस प्रकार का उन पर या किसी और को दिया दंड भी उन्हें तनावग्रस्त बना सकता है। 
पॉकेट मनी भी तनाव का कारण बन सकती है 
स्कूल में हर तरह के बच्चे होते हैं। कुछ बच्चों को पॉकेट मनी ज्यादा मिलती है और कुछ को कम। कुछ बच्चों की मम्मी उन्हें घर से हैल्दी टिफिन व फ्रूट देती है और कुछ बच्चों की मम्मी रोज़ कैंटीन से खाने के लिए पैसे देती है। ऐसे में पैसों की कमी भी बच्चों को तनावग्रस्त बनाती है। पैसा बड़ों को तो तनावग्रस्त बनाता ही है, बच्चे भी उससे अछूते नहीं हैं। 
लुक्स को भी लेकर आते हैं बच्चे टेंशन में 
यह तनाव अधिकतर उन बच्चों में होता है जो 13 वर्ष की उम्र के हैं या उससे थोड़े बड़े। इस उम्र में बच्चे अपनी लुक्स के प्रति जागरूक हो जाते हैं अगर कोई मोटा बच्चा है, अधिक पतला या अधिक छोटा तो बाकी बच्चे उसका मजाक बनाते हैं और वह टेंशन के शिकार हो जाते हैं।
गैजेट्स भी देते हैं तनाव 
आधुनिक युग में गैजेट्स सुविधाएं तो बहुत देते हैं और हमारे और बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा भी हैं जैसे टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर आदि। बच्चे अपना अधिक समय इन पर बिताते हैं। इससे उनके शारीरिक व्यायाम में कमी आई है उनका दिमाग उनमें उलझा रहता है जो उन्हें तनाव देता है, क्योंकि गैजेट्स का प्रयोग बच्चे घर पर अकेले रहकर करते हैं दोस्तों से मिलना, उनके साथ न खेलना उनको तनावग्रस्त बनाता है।   (उर्वशी)