बॉलीवुड बनाम साऊथ, इस साल कौन बाज़ी मारेगा ?

 

कोविड-19 के हमले के बाद से दर्शक बॉलीवुड के फिल्मकारों से अमिताभ बच्चन का आइकोनिक डायलॉग ही बोल रहे हैं- ‘तुम लोग मुझे ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा इधर इंतज़ार कर रहा हूं।’ दूसरे शब्दों में बॉलीवुड के फिल्मकार दर्शकों की तलाश इधर-उधर के प्लेटफॉर्म्स पर कर रहे हैं और दर्शक उनसे कह रहे हैं कि टोलीवुड (दक्षिण) के टक्कर की फिल्मेें तो बनाओ, हम तो तुम्हारी ही फिल्मेें देखने की प्रतीक्षा में बैठे हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि वर्ष 2022 में दक्षिण भारत की फिल्मों ने तो खूब पैसा कमाया,उनका हिंदी में डब वर्ज़न भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया,लेकिन बॉलीवुड की अधिकतर हिंदी फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली, जिसका कारण केवल बायकाट ट्रेंड ही नहीं था।
इसलिए यह प्रश्न प्रासंगिक है कि क्या 2023 में बॉलीवुड दक्षिण के सफलता रथ को रोकते हुए एक बार फिर से भारतीय सिनेमा में अपने दबदबे को कायम कर सकेगा? कुछ ऐसी फिल्मेें रिलीज़ कर सकेगा जो कमर्शियल व कला की दृष्टि से ‘आरआरआर’ का मुकाबला करने में सक्षम हों? इन प्रश्नों का उत्तर शायद जनवरी में ही मिल जाये। शाहरुख़ खान व दीपिका पादुकोण की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पठान’ 25 जनवरी को थिएटरों में प्रदर्शित होगी। बॉलीवुड के किंग खान कई वर्षों बाद बड़े पर्दे पर दिखायी देंगे। हालांकि इस फिल्म के गाने ‘बेशर्म रंग’ पर दीपिका पादुकोण की नारंगी रंग की बिकनी को लेकर स्वयंभू बायकाट गैंग ने सक्त्रिय होकर आधारहीन विवाद खड़ा कर दिया है जिससे कुछ लोग फिल्म की अनुमानित सफलता को लेकर संदेह करने लगे हैं, लेकिन इस विवाद के बीच भी ‘पठान’ के दूसरे गाने ‘झूमे जो’ रिकॉर्ड सकारात्मक प्रतिक्त्रिया मिली है उससे यह निष्कर्ष सहज निकाला जा सकता है कि बायकाट ट्रेंड बेकार का हव्वा है। फिल्म अगर अच्छी होगी तो चलेगी वर्ना फ्लॉप हो जायेगी। इतिहास गवाह है कि किसी अच्छी फिल्म को फ्लॉप कराने की क्षमता बायकाट गैंग में नहीं है। दरअसल, बॉलीवुड को यह समझना चाहिए कि आज के दौर में विज्ञापन व पब्लिक अपीयरेंस बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी नहीं हैं। दर्शक इस प्रतीक्षा में हैं कि बॉलीवुड वह फिल्मेें बनाये जिन्हें वह देखना चाहते हैं न कि वह फिल्मेें जिन्हें बॉलीवुड समझता है कि दुनिया देखना चाहती है। बॉलीवुड के सबसे हिम्मत वाले लोग भी यही बात कह रहे हैं। निर्माता निर्देशक करण जौहर ने हाल में कहा कि मुंबई फिल्मोद्योग में ओरिजिनल कंटेंट बनाने का साहस नहीं है। अमिताभ बच्चन ने भी बॉलीवुड की वर्तमान फिल्मों की आलोचना करते हुए कहा है कि ‘ऐतिहासिक फिल्मों में काल्पनिक अंधराष्ट्रीयता व नैतिक पुलिसिंग में डूबी हुई हैं’।
बॉलीवुड में हर कोई जानता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस बारे में कोई कुछ करने में सक्षम नहीं है,जबकि दक्षिण का फिल्म उद्योग अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है और अपनी कहानियां सुना रहा है,सफल हो रहा है। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि वर्ष 2022 में भारतीय मनोरंजन उद्योग की अगर टॉप दस फिल्मेें चुनी जायें जो न केवल अपनी शानदार कहानी से सुखऱ्ियों में रहीं बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी इतनी सफल रहीं कि महामारी के बाद उन्होंने दर्शकों को थिएटर्स की ओर पुनरू आकर्षित किया, तो उनमें अधिकतर टोलीवुड यानी दक्षिण भारत की फिल्मेें हैं,जैसे राजामौली की आरआरआर, मणिरत्नम की ‘पोंनियिन सेल्वन 1’,लोकेश कनकराज की ‘विक्त्रम’, सुकुमार की ‘पुष्पा: द राइज’, ऋषभ शेट्टी की ‘कनटारा’ आदि। साल की दस टॉप फिल्मों में केवल चार ही बॉलीवुड की थीं और शेष छह टोलीवुड की थीं।
इनके विपरीत बॉलीवुड की सात बेहद असफल फिल्मेें रहीं रणबीर कपूर की ‘शमशेरा’, अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’, आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’, अक्षय कुमार की ‘रक्षा बंधन’, प्रभास की ‘राधे श्याम’, कंगना रनाउत की ‘धाकड़’ और रणबीर सिंह की ‘जयेशभाई जोरदार’। ये सभी फिल्मेें बड़े बजट की थीं, इनमें नामवर सितारे थे और जनता को इनका बेसब्री से इंतज़ार था। इनकी असफलता बताती है कि बड़ा प्रोडक्शन हाउस या बड़ा एक्टर बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी नहीं है। ‘लाल सिंह चड्ढा’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’, आदि फिल्मेें तो अपनी लागत भी वापस न ला सकीं।
जूनियर एनटीआर और राम चरण ने ‘आरआरआर’ के लिए एक वर्ष तक ट्रेनिंग की ताकि वह तीन वर्षों के दौरान 300 दिन फिल्म की शूटिंग के लिए समर्पित कर सकें। भूमिका के अनुरूप अपने शरीर को ढालने के लिए उन्होंने 18 माह लगाये और अपने चरित्र विकसित करने के लिए राजामौली के 100 से अधिक प्रश्नों का पालन किया। उन्होंने फिल्म को वर्क ऑफ़ आर्ट समझा, तब वह उनके लिए पैसा कमाने वाली मशीन बनी। अगर बॉलीवुड व उसके सितारे इस प्रकार का समर्पण कहानी व फिल्म निर्माण प्रक्रिया के प्रति प्रदर्शित करें बजाये नकली दाढ़ी लगाने, क्लिकबेट आइटम सोंग इस्तेमाल करने और माल्स व टीवी के म्यूजिकल शोज़ में प्रमोशन करने के तो शायद वह 2023 में दक्षिण के रथ को रोक सकें, वर्ना ‘पोंनियिन सेल्वन 2’ और ‘पुष्पा 2’ का आगे बढ़ना जारी रहेगा।
बहरहाल, ‘पठान’ (25 जनवरी) के अतिरिक्त 2023 में जो प्रमुख बॉलीवुड फिल्मेें रिलीज़ होंगी वह हैं ऋतिक रोशन व दीपिका पादुकोण की ‘फाइटर’ (26 जनवरी), अजय देवगन व तब्बू की ‘भोला’ (30 जनवरी), रणवीर सिंह व आलिया भट्ट की ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (10 फरवरी), शाहरुख़ खान व तापसी पन्नू की ‘डंकी’ (22 दिसम्बर) आदि। इनके अतिरिक्त कुछ अन्य फिल्मेें भी हैं जैसे सलमान खान की ‘किसी का भाई किसी की जान’ हैं जिनकी रिलीज़ तिथि को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। बॉक्स ऑफिस पर इन फिल्मों के प्रदर्शन से ही मालूम हो सकेगा कि 2023 में टोलीवुड के मुकाबले में बॉलीवुड किस पायदान पर ठहरता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर