शिमला समर फेस्टिवल 2023 इंद्रधनुषी पहाड़ी संस्कृति के रंग बिखरेंगे
हर साल जून माह के पहले सप्ताह में आयोजित होने वाला शिमला समर फेस्टिवल, पहाड़ी संस्कृति की रंग बिरंगी छटा बिखेरने के लिए मशहूर है। हिमाचली लोग अतिथियों का तह दिल से स्वागत करते हैं। यही वजह है कि शिमला समर फेस्टिवल, जो कि महज शिमला का नहीं बल्कि समूचे हिमाचल प्रदेश की कला, संस्कृति, फैशन और राज्य के लोगों की खेलों में रूचियों का आईना है, में देश विदेश के लोग बहुत रूचि रखते हैं। 1960 के दशक से यह हर साल जून के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए लोग देश के कौने-कौने से ही नहीं बल्कि दुनिया के कई दर्जन देशों से आते हैं। यहां एक भव्य आयोजन होता है, जिसमें पुरुष और महिलाएं साथ-साथ अपनी दर्जनों तरह की कलाओं और खूबियों का प्रदर्शन करके सैलानियों का दिल जीतते हैं।
गर्मियों में खासकर मई की शुरुआत से ही देश-विदेश के पर्यटकों का हिमाचल और विशेषकर शिमला में आने का सिलसिला शुरु हो जाता है। पिछले एक दशक से तो गर्मियों में शिमला में इतने ज्यादा पर्यटक आ जाते हैं कि वहां की मूल जनसंख्या से भी कई बार ज्यादा हो जाते हैं। पर्यटकों को इस मौसम में चूंकि स्थानीय लोगों की अच्छी आर्थिक कमाई भी हो जाती है, इसलिए लोग इस खुशी में अपनी कला, संस्कृति और अतिथि सेवा भाव से पर्यटकों का जोरदार स्वागत करते हैं। इस फेस्टिवल में हिमाचल के लोग अपने यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी कला और कौशल से खुश करने की कोशिश करते हैं। इसलिए शिमला समर फेस्टिवल में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं।
शिमला समर फेस्टिवल की शुरुआत शिमला की बहुचर्चित हाफ मैराथन से होती है। यह दरअसल इस सांस्कृतिक शहर के पांच दिवसीय ग्रीष्म मेले का प्रतीक है। हालांकि पहले खेलों से ज्यादा तरह-तरह के नाटकों और नृत्य व गायन के कार्यक्रमों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती थी। लेकिन हाल के सालों में शिमला समर फेस्टिवल में विदेशी पर्यटकों की आवक ज्यादा बढ़ी है। इसलिए अब ज्यादा जोर इस फेस्टिवल की खेल गतिविधियों पर दिया जाता है। क्योंकि विदेशी पर्यटकों को खेल गतिविधियां बहुत पसंद होती है। इस फेस्टिवल के दौरान शिमला और उसके इर्दगिर्द आईस स्केटिंग का खेल विशेष रूप से खूब खेला जाता है। इसके लालच में दुनिया के कौने-कौने से पर्यटक इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। पैराग्लाइडिंग भी शिमला फेस्टिवल का तेज़ी से मुख्य खेल आकर्षण बनता जा रहा है; क्योंकि बड़े पैमाने पर यूरोपीय पर्यटक पैराग्लाइडिंग करने के लिए भी शिमला ग्रीष्म महोत्सव में हिस्सेदारी करते हैं। इसके साथ ही शिमला के ग्रीष्म उत्सव में कई तरह के फैशन शो लगते हैं। देसी, विदेशी फूड्स एग्जिविशन लगती हैं और इस दौरान यहां खूब कलात्मक चीजों की बिक्री होती है। गर्मी के दिनों में शिमला में सैकड़ों तरह के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं, इसलिए यहां के इस मशहूर ग्रीष्म उत्सव में फूलों की प्रदर्शनियां भी लगती हैं। इस फेस्टिवल के दो और खास आकर्षण हैं। एक डॉग शो और दूसरा हवा में कलाबाजी करने का। डॉग शो में शिमला के स्ट्रीट डॉग से लेकर एक से बढ़कर एक शानदार नस्ल के कुत्तों का प्रदर्शन होता है। लोग शिमला में अलग-अलग जातियों के क्रॉस बीड कुत्तों को देखने के लिए भी दूर-दूर से आते हैं। अब चूंकि कोई भी पहाड़ी सांस्कृतिक समारोह बिना गीत, संगीत और नृत्य के पूरा हो ही नहीं सकता। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि शिमला समर फेस्टिवल में बड़े पैमाने पर गीत संगीत और लोकनृत्य के कार्यक्रम होते हैं, खासकर इसके समापन के तौर पर। पहाड़ी फिल्में और धुर पहाड़ी नृत्य इस फेस्टिवल की यूएसपी होते हैं। जहां तक इस शिमला समर फेस्टिवल में पहुंचने की बात है, तो शिमला देश के सभी बड़े शहरों से एयर, सड़क मार्ग और ट्रेन के जरिये जुड़ा हुआ है। जहां तक हवाई मार्ग की बात है तो शिमला के आस-पास 300 किलोमीटर के दायरे में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं, लेकिन जो शिमला में एयरपोर्ट है उसका नाम- जुब्बड़हट्टी है। ट्रेन के जरिये यह देश के कई महत्वपूर्ण ट्रेन रूट से जुड़ा है, तो सड़क के रास्ते भी शिमला की कनेक्टीविटी बहुत अच्छी है। जहां तक इस करीब एक सप्ताह के फेस्टिवल में हिस्सेदारी के खर्च की बात है, तो शिमला और उसके आस-पास रूककर इस फेस्टिवल का हिस्सा बनने के लिए उच्च स्तरीय रहन सहन के लिए औसतन 8 से 10 हजार रुपये का प्रतिदिन खर्च होंगे।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर