ज़रूरी है पटाखों से सावधानी

बच्चो, बिना पटाखों के कैसी दीवाली? हर्षोल्लास का यह पर्व यद्यपि आतिशबाजी के बिना अधूरा है लेकिन पटाखे चलाना जितना सहज व सरल है उतना ही जोखिम भरा भी। यदि पटाखे चलाते समय थोड़ी सी भी लापरवाही अथवा असावधानी बरती जाए तो गंभीर दुर्घटना घट सकती है। अत: पटाखे छोड़ते समय कतिपय सावधानियां बरतना नितांत आवश्यक है ताकि कोई हादसा न हो-
पटाखा कभी हाथ में लेकर न जलाएं। कई बार पटाखा हाथ में ही फट सकता है, अत: पर्याप्त सावधानी रखें। अच्छी किस्म के पटाखे ही लें। पटाखे की बत्ती लंबी हो।
यदि पटाखा एक बार में न जले तो उसके पास जाकर उसके पुनरीक्षण का प्रयास कभी न करें। ये अचानक फटकर दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
पटाखे चलाने वाले स्थान के आसपास कोई ज्वलनशील वस्तु जैसे गैस, पेट्रोल, केरोसिन, मोटरगाड़ी, जेनरेटर, कपड़े, लकड़ी, भूसा, सूखी पत्तियां आदि नहीं होना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि आसपास छोटा बच्चा या पटाखे से अनभिज्ञ कोई व्यक्ति न हो।
नाइलॉन के व अधिक ढीले-ढाले कपड़े दुर्घटना का कारण बनते हैं। यथासंभव सूती वस्त्र पहनें। आतिशबाजी करते समय जूते, चप्पल अथवा सैंडिल अवश्य पहन लें अन्यथा नंगे पैर रहने से जमीन पर पड़े अधजले या जले हुए गर्म पटाखों से पैर जल सकते हैं।
अनार को छूटता देख जितना अधिक आनंद आता है, उतना ही वह खतरनाक है। सर्वाधिक दुर्घटनाएं अनार के गलत तरीकों से चलाने के कारण होती हैं। कभी भी जलता हुआ अनार हाथ में न पकड़ें। कई बार तो यह जलाते ही फट जाता है। अधजले अनार को झुककर न देखें। 
रॉकेट जैसे पटाखे ऐसी जगह छोड़ने चाहिए जहां कोई झोंपड़ी या घासफूस आदि न हो क्योंकि ऐसी जगह आग लगने का डर रहता है। तेज़ एवं चमकदार पटाखों से आंखों को बचाकर रखना चाहिए, साथ ही तेज आवाज वाले पटाखों का भी कम इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि भारी धमाके कानों के लिए घातक सिद्ध होते हैं। पटाखों को कभी भी टीन के डिब्बे, कांच की बोतलों या मटकों में भरकर न जलाएं। तेज़ धमाके के कारण हो सकता है कि ये चीजें टूट कर किसी को घायल कर दें। आतिशबाजी करते समय बड़े पात्र में पानी अवश्य रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर यह आग बुझाने के काम आ सके। (उर्वशी)