टकराव, अपराध और विवादों के नाम रहा यह वर्ष

अब जबकि 2023 वर्ष जाने वाला है तथा नव वर्ष 2024 हमारे द्वार पर दस्तक देने वाला है, तो प्रत्येक पंजाब वासी के मन में यह सवाल ज़रूर आएगा कि बीतने वाला वर्ष हमारे हिस्से में क्या कुछ डाल कर गया है तथा आगामी नव वर्ष से किस तरह की उम्मीदें रख सकते हैं?
अगर व्यतीत हो रहे वर्ष की बात करें तो इसकी ज़ेहन में जो छवि उभरती है, वह यह है कि यह वर्ष पंजाब में टकराव, विवादों तथा अपराध के नाम रहा। पंजाबियों को सुख की सांस कम आई है और दुख के सांस उन्हें अधिक लेने पड़े हैं। पूरा वर्ष राज्य में राजनीतिक पार्टियां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल एवं शिरोमणि कमेटी के बीच भिन्न-भिन्न टकराव तथा विवाद पैदा होते रहे हैं। ज़रूरत तो इस बात की थी कि राज्य को दरपेश राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक चुनौतियों का सामना राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर करतीं। पंजाब के ज्वलंत मामलों के संबंध में कोई साझी राय बनातीं। राज्य स्तर पर किये जाने वाले कामकाज सरकार करती तथा केन्द्र से हल करवाने वाले मुद्दों की निशानदेही करके साझे तौर पर पंजाब के राजनीतिक  दल केन्द्र सरकार का द्वार खटखटाते, परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हो सका। पंजाब के ज्वलंत मुद्दे जिनमें औद्योगिक संकट, कृषि संकट, भू-जल स्तर का संकट, सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर, चंडीगढ़ का मामला, नशों की बढ़ती जा रही महामारी, अमन-कानून की बिगड़ रही हालत तथा युवाओं में व्यापक स्तर पर फैली बेरोज़गारी, जिस कारण युवा +2 के बाद ही विमान में भर-भर कर विदेशों को रवाना होते जा रहे हैं, आदि संबंधी कोई साझी पहलकदमी राजनीतिक दलों द्वारा इस वर्ष नहीं हो सकी। इसके स्थान पर राजनीतिक दल इन मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के विरुद्ध तीव्र बयानबाज़ी ज़रूर करते रहे हैं और इन सभी मामलों के लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहराते रहे। राजनीतिक दलों के इस रवैये के कारण लोगों में व्यापक स्तर पर निराशा फैली है। वैसे राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा तथा अकाली दल अपनी-अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए पूरा वर्ष रैलियां एवं बैठकें करने में व्यस्त रहे। सत्तारूढ़ पार्टी इस उद्देश्य के लिए सरकारी स्रोतों का दुरुपयोग करती रही। इसके अतिरिक्त सत्तारूढ़ पार्टी विजीलैंस का इस्तेमाल करके अपने विरोधियों विशेष रूप से वे नेता जो उसकी नीतियों की कड़ी आलोचना करते थे, उन्हें जेलों में डालने का भी यत्न करती रही। इस वर्ष शिरोमणि अकाली दल को पार्टी के संरक्षक तथा पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री तथा एक बार केन्द्रीय मंत्री रहे स. प्रकाश सिंह बादल के निधन से गहरा आघात पहुंचा है। उनके निधन के बाद हुए श्रद्धांजली समागम में गांव बादल में राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टियों के बहुत-से नेताओं ने भाग लिया था तथा व्यापक स्तर पर आम लोग भी श्रद्धांजलि समागम में शामिल हुए। चंडीगढ़ जहां उनकी पार्थिव देह को कुछ समय के लिए रखा गया था, वहां श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पहुंचे थे। 
इस साल बंदी सिंहों की रिहाई का मुद्दा भी काफी गर्माया रहा। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी ने विगत लम्बी अवधि में 28 लाख लोगों से बंदी सिंहों की रिहाई के लिए फार्म भरवाये। शिरोमणि कमेटी राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित तथा केन्द्र के गृह मंत्री अमित शाह को ये फार्म सौंपना चाहती थी परन्तु लम्बी अवधि तक न तो राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से शिरोमणि कमेटी को समय मिला तथा न ही गृह मंत्री अमित शाह से समय मिल सका। बहुत देर बाद राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया तो शिरोमणि कमेटी ने पैन-ड्राइव में 28 लाख फार्मों के संबंध में सामग्री राज्यपाल को सौंपी तथा केन्द्र सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्हें बंदी सिंहों की रिहाई करवाने के लिए कहा। बलवंत सिंह राजोआणा के पटियाला की जेल में भूख हड़ताल करने के बाद यह मुद्दा और भी गर्मा गया, जिस कारण श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने बंदी सिंहों की रिहाई के लिए पांच सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया, जिसने केन्द्र सरकार से भेंट वार्ता के लिए समय की मांग की।
राज्य में किसान संगठनों की गतिविधियां इस वर्ष निरन्तर बनी रही हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (़गैर-राजनीतिक) जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसानों को ़फसलों के लाभदायक मूल्य दिलवाने, बाढ़ पीड़ित किसानों को मुआविज़ा दिलवाने तथा दिल्ली की सीमा पर हुये किसान आन्दोलन के समय किसानों पर दर्ज हुये मामलों को वापिस करवाने आदि मांगों को लेकर यह मोर्चा आन्दोलन करता रहा है। इसकी ओर से राज्य में कुछ किसान पंचायतें भी की गई हैं तथा किसानी मांगों के लिए रेलवे लाइनों तथा सड़क पर समय-समय पर धरने भी दिए गए हैं, जिनके कारण लोगों को आवागमन में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता रहा है। संयुक्त किसान मोर्चे ने भी फसलों के लाभकारी मूल्य हासिल करने तथा किसानों के अन्य मुद्दों के लिए राज्य में अपनी गतिविधियां बनाए रखी हैं। भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) ने राज्य में बढ़ रहे नशों के रुझान तथा किसानों के अन्य मुद्दों को लेकर वर्ष भर में अपनी गतिविधि जारी रखी है तथा इस संगठन द्वारा मालवा के क्षेत्र में बड़े-बड़े जनसमूह भी किए गए हैं। बलवीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में पांच किसान संगठन पंजाब में पैदा होने वाले पानी के संकट की ओर सरकार तथा लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सक्रिय रहे हैं।
कर्मचारी संगठन, बेरोज़गार अध्यापक, पटवारी तथा मिनिस्टीरियल कर्मचारी यूनियन आदि संगठन लगातार राज्य में अपनी मांगों के लिए संघर्ष करती रही हैं। संगरूर तथा कई अन्य स्थानों पर कर्मचारियों की गिरफ्तारियां भी होती रही हैं तथा उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज करने की घटनाएं भी घटित होती रही हैं। इस वर्ष पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के मध्य कई मुद्दों को लेकर तीव्र टकराव देखने को मिला। राज्यपाल को पहले आपत्ति यह थी कि मुख्यमंत्री उनकी ओर से लिखे गए पत्रों का समय पर जवाब नहीं देते तथा उनके प्रति अनेक बार असम्मानजनक शब्दावली का इस्तेमाल भी करते रहे हैं। राज्यपाल को दूसरी बड़ी आपत्ति यह थी कि एक बार बजट अधिवेशन बुला कर सरकार अधिवेशन को स्थायी तौर पर नहीं उठाती, अपितु बजट अधिवेशन को आगे अपनी सुविधा के अनुसार बढ़ाया जाता है तथा उसमें अपने एजेंडे के अनुसार नए-नए विधेयक पेश करके पारित किये जाते रहते हैं। राज्यपाल ने राज्य सरकार की इस कार्यशैली पर आपत्ति दर्ज की तथा इस वर्ष बजट अधिवेशन बुलाने को पहले स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया था। पंजाब सरकार द्वारा यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने के बाद बजट अधिवेशन के लिए राज्यपाल को स्वीकृति देनी पड़ी। इसके बाद जून में पंजाब विधानसभा का अधिवेशन पुन: बुलाने पर पंजाब सरकार एवं राज्यपाल के मध्य टकराव पुन: पैदा हो गया तथा मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में गया। इसके बाद पंजाब सरकार एवं राज्यपाल के मध्य टकराव कुछ कम है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री दोनों को अपने-अपने संवैधानिक दायरों में रह कर काम करने तथा एक-दूसरे का सम्मान बनाये रखने का भी निर्देश दिया। पंजाब को इस वर्ष व्यापक स्तर पर बाढ़ की समस्या का भी सामना करना पड़ा। पहले जुलाई में हिमाचल तथा पंजाब में अधिक वर्षा होने के कारण भयावह बाढ़ आई, जिससे किसानों की फसलों का व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ। लगाई गई धान की फसल खेतों में पानी भरने से नष्ट हो गई तथा कई स्थानों पर लोगों को समय पर बुआई का अवसर ही नहीं मिला। पटियाला, संगरूर, मानसा, तरनतारन, अमृतसर तथा जालन्धर आदि ज़िलों के ग्रामीण क्षेत्र विशेष तौर पर बाढ़ से प्रभावित हुए। एक अनुमान के अनुसार राज्य के लगभग 14 ज़िलों को पहले बाढ़ की मार का सामना करना पड़ा। अगस्त में एक बार फिर बाढ़ आने से किसानों को एक तरह से दोहरी मार पड़ गई। जिन किसानों ने दोबारा धान लगाया था, वे फिर बाढ़ का शिकार हो गए।
एक अनुमान के अनुसार बाढ़ में लगभग 41 लोग मारे गये तथा हज़ारों लोगों के घरों में पानी भरने से उन्हें कुछ समय के लिए अपने रिश्तेदारों या राहत शिविरों में रहना पड़ा।
इस वर्ष ‘वारिस पंजाब’ के संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह विशेष रूप से चर्चा में रहे। उन्होंने युवाओं को अमृतपान करवाने तथा नशों से उभरने के लिए राज्य में अपनी गतिविधियां आरम्भ कीं। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने अमृतसर   में दरबार साहिब तथा तख्त श्री केसगढ़ साहिब में अपने समर्थकों के साथ अरदास भी की तथा अपने समर्थकों को अमृतपान भी करवाया। बाद में उनकी कुछ गतिविधियां विवादों के घेरे में आ गईर्ं। विशेष रूप से उन्होंने अपने एक साथी लवप्रीत सिंह को छुड़वाने के लिए अपने साथियों सहित श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी को साथ लेकर अजनाला थाने पर हमला  कर दिया तथा कई घंटों तक उन्होंने थाने पर कब्ज़ा बनाए रखा। इस कारण देश-विदेश में उनकी चर्चा भी हुई तथा उनकी इस तरह की गतिविधियां केन्द्र सरकार की नज़र में आ गईं। पंजाब सरकार ने केन्द्रीय एजेंसियों की सहायता से अमृतपाल सिंह एवं उनके साथियों को कई दिनों की जद्दोजहद के बाद पंजाब से गिरफ्तार करके असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया तथा उन पर एन.एस.ए. तथा अन्य गम्भीर धाराएं लगा कर मामले भी दर्ज कर दिए।
राज्य में इस वर्ष सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर विवाद भी बार-बार गर्माया रहा। सुप्रीम कोर्ट इस बात कायम है कि पंजाब उसकी ओर से दिए गए फैसले के अनुसार सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर का निर्माण पूर्ण करवाए। यदि पंजाब ऐसा नहीं करता तो केन्द्र सरकार नहर बनाने संबंधी उसके फैसले को स्वयं लागू करे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह पंजाब तथा हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बुला कर इस संबंध में कोई समझौता करवाने का यत्न करे। सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों के अनुसार इस वर्ष केन्द्र सरकार ने दो बैठकें करवाई हैं परन्तु इन दोनों बैठकों में कोई फैसला नहीं हो सका। इस कारण अब 9 जनवरी को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पुन: सुनवाई होगी। दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा राज्य की विपक्षी पार्टियां स्पष्ट रूप में यह कह रही हैं कि किसी भी राज्य को पानी देने के लिए पंजाब के पास पानी की एक बूंद तक अतिरिक्त नहीं है, अपितु पंजाब के अपने ही 120 से अधिक ब्लाक भू-जल से वंचित होते जा रहे हैं तथा पंजाब अपनी सिंचाई की 70 प्रतिशत तक ज़रूरतें भू-जल से ही पूरी कर रहा है, जिस कारण आगामी समय में भूमि जल का एक भारी संकट पैदा हो जाने की आशंका है। 
यदि अमन-कानून की बात करें तो इस वर्ष राज्य के गैंगस्टरों तथा नशा तस्करों की गतिविधियों में भारी वृद्धि हुई देखी गई है। पंजाब पुलिस गैंगस्टरों तथा नशा तस्करों को काबू करने के लिए अपना पूरा दम लगाती रही। व्यापक स्तर पर छापामारी करके राज्य में चिट्टा, हैरोइन तथा अन्य नशीली गोलियां भी बरामद की गईं, हज़ारों तस्करों तथा गैंगस्टरों की गिरफ्तारियां भी हुईं। इसके बावजूद जेलों में बैठे गैंगस्टर तथा नशा तस्कर मोबाइल का इस्तेमाल करके अपनी ़गैर-कानूनी कार्रवाइयों को अंजाम देते रहे। इस वर्ष फिरोज़पुर जेल का आश्चर्यजनक यह मामला भी सामने आया कि जेल से नशों के तीन तस्करों ने लगभग 43 हज़ार फोन काल कीं, दो तस्करों ने लगभग 1.35 करोड़ की राशि अपने खातों से अपनी पत्नियों के नाम पर ट्रांस्फर की। इसका पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट ने गम्भीर नोटिस लिया तथा पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को निलम्बित करने के भी आदेश दिए।
पंजाब तथा देश के लिए एक बड़ी समस्या यह पैदा हो गई है कि पाकिस्तान से ड्रोन द्वारा व्यापक स्तर पर नशा तथा हथियारों की सप्लाई की जा रही है। इस संबंध में सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) ने एक प्रैस कान्फ्रैंस करके इस बड़ी चुनौती की ओर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार का ध्यान  दिलाया था। अकेले इस वर्ष बी.एस.एफ. ने पाकिस्तान से आए 100 के लगभग ड्रोन पकड़े हैं। बी.एस.एफ. का दावा है कि 65 प्रतिशत नशीले पदार्थ इन ड्रोनों द्वारा ही आ रहे हैं। राज्य में इस वर्ष समूचे रूप से भी लूटपाट, हत्या तथा आपराधिक घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। लुधियाना में एक ए.टी.एम. कैश कम्पनी के कार्यालय से 8.49 करोड़ की लूट हुई थी परन्तु इसके आरोपियों को बाद में पुलिस ने जल्द ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके अतिरिक्त पंजाब में पारिवारिक हिंसा के भी बड़े स्तर पर मामले सामने आ रहे हैं जिनमें पारिवारिक सदस्यों द्वारा पैसे, सम्पत्ति एवं अन्य कारणों के दृष्टिगत एक-दूसरे को हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है जोकि बेहद गम्भीर घटनाक्रम है। जिस तरह का राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक घटनाक्रम पंजाब में इस बीत रहे वर्ष में घटित होता रहा है, उसके दृष्टिगत यह भी कहा जा सकता है कि यदि राज्य की राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर पंजाब के ज्वलंत मामलों संबंधी कोई साझी राय बना कर इन्हें हल करने के लिए आगे नहीं आतीं तथा केन्द्र सरकार पंजाब को आर्थिक संकट तथा बेरोज़गारी से निकालने के लिए विशेष उद्योग तथा आर्थिक पैकेज देकर पंजाब की सहायता नहीं करती, तो राज्य का भविष्य 2024 में ज्यादा अच्छा रहने की सम्भावना नहीं है।