प्रोफेसर ऑफ स्पिन रविचन्द्रन अश्विन

राजकोट में तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन भारत के 445 रन के स्कोर के जवाब में इंग्लैंड ने तेज़ तर्रार जवाब देते हुए बिना विकेट खोये 89 रन बना लिए थे कि कप्तान रोहित शर्मा ने रविचन्द्रन अश्विन को गेंदबाज़ी की ज़िम्मेदारी सौंपी। अश्विन ने लेग साइड के रफ में गेंद फेंकी जिसे जैक क्रॉली ने स्वीप करने का प्रयास किया, लेकिन गेंद टॉप एज लेकर हवा में उछली और शोर्ट फाइन लेग पर खड़े रजत पाटीदार ने कोई गलती नहीं की। यह अश्विन का 500वां टेस्ट विकेट था और इस तरह यह शानदार कारनामा करने वाले वह अनिल कुंबले (619 विकेट) के बाद दूसरे भारतीय गेंदबाज़ बने। वैसे विश्व में 500 या उससे अधिक विकेट लेने के मामले में वह नवें गेंदबाज़ हैं। अश्विन ने यह कारनामा अपने 98वें टेस्ट में किया यानी इस मामले में वह केवल श्रीलंका के एम. मुरलीधरन से ही पीछे हैं जिन्होंने अपने 87वें टेस्ट में 500 विकेट हासिल कर लिए थे।
आमतौर से यह माना जाता है कि एक ऑफ स्पिनर लेफ्ट हैंड बैटर के विरुद्ध अधिक प्रभावी होता है, लेकिन अश्विन ऐसे जादुई गेंदबाज़ हैं कि उन्हें बैटर के लेफ्ट या राईट होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने 251 बार राईट हैंड बैटर्स को और 249 बार लेफ्ट हैंड बैटर्स को आउट किया है। इसलिए इंग्लैंड के दिग्गज ऑफ स्पिनर ग्रीम स्वान अश्विन को ‘प्रोफेसर ऑफ स्पिन’ कहते हैं। स्वान के अनुसार, ‘वह (अश्विन) क्रिकेट के छात्र हैं। उनकी ताकत यह है कि वह हमेशा फिर से सीखते हैं, फिर से विकास करते हैं और हमेशा नये प्रयोग करते रहते हैं। वह शेष अन्यों के स्तर के मुकाबले बहुत आगे निकल गये हैं। वह सब चीज़ों को किस्तों में तोड़ लेते हैं- ऐसा क्यों होता है और ऐसे में क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए। इस मामले में वह बहुत साइंटिफिक व फोरेंसिक हैं। यह काम आसान नहीं है क्योंकि इसमें बहुत समय लगता है। यही कारण है कि मैं उन्हें स्पिन बोलिंग का प्रोफेसर कहता हूं।’ इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि अश्विन अपनी गेंदबाज़ी को अपग्रेड करते रहते हैं और नई चीज़ें ट्राई करते रहते हैं। यह बहुत बड़ी बात है कि एक फिंगर स्पिनर 500 विकेट 100 से भी कम टेस्ट में ले लेता है यानी हर टेस्ट में वह पांच से अधिक विकेट ले रहा है। एक समय में एक कला के रूप में फिंगर-स्पिन मर रही थी, जिसे एक तरह से अश्विन ने जीवित किया है। वह अधिकतर स्टंप्स में गेंद करते हैं जिससे आजकल उन्हें एलबीडब्लू या बोल्ड के रूप में न्याय मिलता है। उनकी एक अन्य खासियत यह है कि वह बैटर की कमज़ोरी को बहुत जल्दी भांप लेते हैं। स्वान के अनुसार, ‘पिच से जब टर्न भी मिल रही हो तब भी वह केवल प्लग नहीं करते हैं कि विकेट तो अपने आप मिल जायेंगे बल्कि बैटर को आउट करने की योजना बनाते हैं तभी उनके इतने अधिक विकेट हैं।’ गौरतलब है कि स्वान के बाद सबसे क्लीन एक्शन अश्विन का है, बाकी मुरलीधरन, हरभजन आदि के एक्शन को लेकर तो हमेशा ही विवाद खड़े होते रहे हैं। बिशन सिंह बेदी तो मुरलीधरन को स्पिनर ही नहीं मानते थे बल्कि उन्हें ‘जेवलिन थ्रोअर’ कहते थे। कुछ वर्ष पहले अश्विन लेग स्पिन करने लगे थे जो बात स्वान को बिल्कुल पसंद नहीं आयी थी।
कुछ बैटर्स को तो अश्विन जब चाहें तब आउट कर लेते हैं। मसलन उन्होंने इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स को 15 टेस्ट में 12 बार और ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर को 17 टेस्ट में 11 बार आउट किया है। इसी तरह इंग्लैंड के एलिस्टैर कुक (15 टेस्ट में 9 बार), न्यूज़ीलैंड के टॉम लाथम (7 टेस्ट में 8 बार), वेस्टइंडीज के क्रैग ब्रेथवेट (11 टेस्ट में 8 बार) और ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ (16 टेस्ट में 8 बार) को उन्होंने निरंतरता से आउट किया है।
अश्विन के पास जश्न मनाने के अन्य कारण भी हैं। वह एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने पारी में 22 बार पांच विकेट लिए हैं और 7 बार मैच में 10 या उससे अधिक विकेट लिए हैं। अश्विन ने टेस्ट्स में 9 बार मैन-ऑफ-द-मैच और 10 बार प्लेयर-ऑफ-द-सीरीज़ अवार्ड्स लिए हैं जोकि एक भारतीय के लिए सर्वाधिक हैं। विराट कोहली की कप्तानी में अश्विन ने 55 टेस्टों में 22.13 की औसत से 293 विकेट लिए, जोकि किसी भी कप्तान के अंडर में उनके लिए सर्वाधिक हैं। अश्विन एकमात्र भारतीय गेंदबाज़ हैं जिन्होंने 300 से अधिक विकेट टेस्ट जीत में लिए हैं, जिसका अर्थ है कि जब वह विकेट लेते हैं तो भारत की जीत की संभावना बढ़ जाती है।
टेस्ट में 500 विकेट लेने और 3,000 रन बनाने के मामले में केवल तीन ही आल राउंडर हैं। ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न (145 टेस्ट, 3154 रन, 708 विकेट और 125 कैच), इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड (167 टेस्ट, 3662 रन, 604 विकेट और 55 कैच) और अश्विन (98 टेस्ट, 3336 रन, 500 विकेट और 32 कैच)। क्या इस लिहाज़ से अश्विन को सर्वकालिक आल राउंडर कहा जा सकता है? शायद नहीं। अगर विशुद्ध आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो यह उपाधि फिलहाल दक्षिण अफ्रीका के जैक कालिस को ही दी जा सकती है। 16 अक्तूबर 1975 को जन्मे जैक कालिस ने 166 टेस्ट खेले, जिनमें 55.37 की औसत से 45 शतक व 58 अर्द्धशतक के साथ कुल 13289 रन बनाये, 224 के उच्चतम स्कोर के साथ और 200 कैच लिए और गेंदबाज़ी करते हुए 32.65 की औसत से 292 विकेट लिए, जिनमें पारी में 5 विकेट 5 बार लिए और उनका उच्चतम प्रदर्शन 54 रन देकर 6 विकेट लेने का रहा। कालिस के बाद वेस्टइंडीज के गैरी सोबर्स हैं जिन्होंने 93 टेस्ट में 57.78 की औसत से 26 शतक (उच्चतम 365 नाबाद) के साथ 8032 रन बनाये और 235 विकेट भी 34.03 की औसत से लिए जिनमें 6 बार पारी में 5 विकेट भी हैं।
बहरहाल, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अश्विन क्रिकेट लीजेंड हैं। ऐसा अकारण नहीं है। वह विश्व के उन छह आल-राउंडरों में शामिल हैं जिन्होंने 300 से अधिक विकेट लिए हैं और पांच या उससे अधिक शतक लगाये हैं और यह सूची है- इयान बोथम (102 टेस्ट, 383 विकेट, 14 शतक), कपिल देव (131 टेस्ट, 434 विकेट, 8  शतक), इमरान खान (88 टेस्ट, 362 विकेट, 6 शतक), डेनियल वेटोरी (113 टेस्ट, 362 विकेट, 6 शतक) और अश्विन (76 टेस्ट, 395 विकेट, 5 शतक)। गौरतलब है कि एक ही टेस्ट में शतक और पारी में 5 विकेट लेने के बारे में अश्विन (3 बार) अब सिर्फ बोथम से ही पीछे हैं, जिन्होंने यह कारनामा 5 बार किया। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि अनिल कुंबले (63 टेस्ट, 350 विकेट) के बाद अपने घरेलू मैदानों में सबसे ज्यादा विकेट लेने में अश्विन (45 टेस्ट, 270 विकेट) का नंबर है। इस लिहाज़ से देखा जाये तो अश्विन रिकॉर्ड तोड़ने की मशीन हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर