‘गोवा’ जहां प्रकृति ने बिखेरे हैं अपने अनोखे रंग

प्रकृति की गोद में बसा ‘गोवा’ अपने कुदरती दृश्यों, प्राचीन धरोहरों व इतिहास को समेटे हुए खूबसूरत पर्यटन स्थल है। छुट्टियों के दिन हों या शादी के बाद ‘हनीमून’ मनाने की बात हो, दोनों अवस्थाओं में गोवा की सैर करना आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यहां की मूलभाषा कोंकणी है लेकिन यहां के लोग हिन्दी और मराठी भाषाएं भी जानते हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से गोवा भारत का सबसे छोटा राज्य है।
यहां की राजधानी पणजी के बीच (समुद्र तट) के प्राकृतिक दृश्य आपका मन मोह लेंगे। हरी भरी पहाड़ियां और नारियल और काजू के वृक्ष आपको हर जगह मिलेंगे जो इसकी खूबसूरती में ‘चार चांद’ लगाते हैं। गोवा का वास्को शहर और ओल्ड गोवा तालुका अंग्रेजों के जमाने की भव्य इमारतें दिखाई देती हैं। यहीं पर प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें, गिरिजाघर और पुरातत्व संग्रहालय स्थित हैं।
समुद्र तट के नज़दीक बने होटलों में आप कई व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। राज्य के भीतर परिवहन सेवाओं में ‘बस’ की सुविधा सबसे सस्ती और बेहतर है इसके अलावा टैक्सी और ऑटोरिक्शा हर समय उपलब्ध रहते हैं।
गोवा के बीचों (समुद्रतटों) की संख्या 28 है जिनमें डोनापॉल, मीरामार, पलोलेम, कलंगूट, बागा वानटर प्रमुख हैं।
गोवा का डोनापॉल बीच (समुद्रतट) : अरब सागर का यह खूबसूरत तट प्रकृति के अनूठे रंग में रंगा है। इसी तट पर गोवा की दो प्रमुख नदियां माण्डवी और जुआरी का संगम होता है। इस तट किनारे से होकर समुद्र के भीतर लगभग 50 मीटर दूरी तक एल आकार का एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है। 
यहां आप नौका, शिप और स्टीमर द्वारा समुद्र विहार भी कर सकते हैं। इसी प्लेटफॉर्म के सन्निकट एक छोटी पहाड़ी जैसा ऊंचा स्थान है जिस पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी बनी हैं। इसके ऊपर चढ़कर आप राजभवन और हरी-भरी पहाड़ियों के ऊपर बने भवनों को भी देख सकते हैं। इस ‘बीच’ मध्यम गति से टकराती सागर की लहरें और शीतल हवाएं आपका मन मोह लेंगी।
मीरामार बीच : तैराकी की दृष्टि से यह तट सुरक्षित नहीं है। यहां से 3 कि.मी. क्षेत्र में फैला छोटा और खूबसूरत जंगल है। यहीं पर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह भी होता है। इस तट से मिलने वाली माण्डवी नदी के ऊपर बना पुल बहुत ही आकर्षक है।
पलोलेम बीच : यह तट गोवा के प्रमुख शहर मडगांव से 37 किमी और कानकोन रेलवे स्टेशन से 3 किमी दूरी पर स्थित है। इस तट के किनारे बैठकर आप हरे भरे नारियल के वृक्षों और पहाड़ों के दृश्य मन को लुभाने वाले हैं
श्री चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर : यह मंदिर परोडा गांव के निकट 350 मीटर ऊंची चन्द्रनाथ पहाड़ी पर स्थित है। इसका अस्तित्व 2500 वर्ष पुराना है। कहा जाता है कि मंदिर के शिवलिंग पर जब चंद्रमा की किरणें के पड़ती थी तो इसमें से पानी निकलता था और आज भी निकलता रहता है लेकिन 17वीं शताब्दी में इस शिवलिंग के चारों तरफ मंदिर के भवन का निर्माण किया गया। आप मडगांव शहर से बस द्वारा परोडा पहुंच सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए संकरा पहाड़ी रोड बना है यदि आप पैदल जाना चाहें तो सीढ़ियां भी बनी हैं।
साफा मस्ज़िद (फोंडा) : इस मस्ज़िद का निर्माण बीजापुर के इब्राहीम आदिलशाह ने सन् 1560 ई. में करवाया था। यह मस्जिद बस स्टैंड (फोंडा) के नज़दीक है। इसके सामने एक छोटा तालाब है। वर्तमान में यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
सालिगांव चर्च : इस सुंदर चर्च को सन् 1873 में बनवाया गया था। राजधानी पणजी के कलंगूट रूट से बस द्वारा महाप्सा शहर में पहुंचकर इसे आप देख सकते हैं, पणजी से म्हाप्सा 13 किमी. की दूरी पर स्थित है। गोवा अपने चर्च (गिरिजाघरों) के लिए दुनियां में विख्यात है। इसके अलावा बहुत से छोटे-बड़े चर्च गोवा में मौजूद हैं।
कैसे पहुंचें गोवा?
गोवा का दाबोलिम हवाई अड्डा वास्कोडिगामा बंदरगाह से 3 किमी. दूरी पर स्थित है। अपने वायु यातायात के द्वारा यह दिल्ली, मुंबई, बंगलौर, चैन्नई, कोचीन, तिरुअनंतपुरम आदि विभिन्न राज्यों से जुड़ा है। इनमें इंडियन एयरलाइंस और कुछ प्राइवेट एयर लाइंस की वायु सेवाएं हर समय उपलब्ध हैं। यहां उतरने के बाद बस द्वारा 30 किमी. का सफर तय कर आप राजधानी पणजी पहुंच सकते हैं।
रेल सेवाएं : गोवा का प्रमुख कोंकण रेलवे स्टेशन, ‘मडगांव’ देश के कई राज्यों से जुड़ा हुआ है जैसे-मुंबई, पुणे, दिल्ली, चेन्नई, कर्नाटक, पंजाब आदि। अगर आप दिल्ली से होकर आना चाहें तो हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से टे्रन नं. 2779, गोवा एक्सप्रेस द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
बस सेवाएं- गोवा अपने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एन.एच.4ए, एन.एच.17ए, एन.एच.17 द्वारा देश के कई राज्यों से जुड़ा है।