अब उचित समय है पौधे एवं पेड़ लगाने का 

पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे तथा पेड़ लगाना बहुत ज़रूरी है। आजकल इन्हें लगाने का उचित समय है। मध्य जुलाई से 15 सितम्बर तक ये पौधे सफलता से लगाए जा सकते हैं। इस दौरान मानसून की हवाओं से बारिश होती रहती है, जो इन पौधों तथा पेड़ों के विकास के लिए सहायक होती है। जो व्यक्ति मई-जून में पौधे लगाते हैं, वे पौधे गर्मी से मर जाते हैं। आजकल पौधे लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों को आधी मिट्टी तथा आधी गली-सड़ी रूढ़ी की खाद मिला कर भर देना चाहिए और गड्ढों में पौधे लगाने से पहले पानी दे देना चाहिए ताकि रूढ़ी की गर्माहट खत्म हो जाए और गड्ढों की मिट्टी नीचे बैठ जाए। प्राथमिकता के तौर पर यह काम 15-20 जुलाई तक कर लेना चाहिए। फिर पौधे लगा कर क्लोरोपाइरोफास 20 ई.सी. दवाई पानी में घोल कर दीमक से पौधों को बचाने के लिए गड्ढों में डाल देनी चाहिए। यदि पौधे सड़कों के आस-पास या कालोनियों में लगाने हों तो उनको पशुओं से बचाने के लिए ‘ट्री गार्ड’ अवश्य लगाने चाहिएं ताकि पशु इन पौधों को खाकर खराब न कर दें।
खुले स्थानों पर पीपल तथा नीम के पेड़ लगाने चाहिएं। ये पेड़ दिन-रात पर्यावरण में आक्सीजन उपलब्ध करते हैं। क्योंकि ये पेड़ खत्म हो रहे हैं, इसलिए इन्हें दोबारा लगाने को प्राथमिकता देनी चाहिए। इनके पौधे वन विभाग की नर्सरियों से लिए जा सकते हैं। पीपल, नीम के अतिरिक्त पारम्परिक पेड़ जैसे पिल्कन, गूलर, बोहड़, बहेड़ा, महुआ, बबूल देसी, शरीह, ढक्क, जंड, इमली, टाहली, खैर, रेरू, फलाही, शहतूत, मोल्सरी, कटहल, सिंबल, करौंदा, कचनार, पुतरन जीवा, बिल, सीता, अशोक, लसूड़ा, हरड़, ढेहू, संभालू, बांस, अंजीर, मलबर, वन, रहूड़ा, करीर, खिरनी, तेंदू, जामुन, देसी आम तथा चमरोड़ आदि हैं। इनमें से चयन करके बागों तथा घरों के आस-पास या खाली स्थानों पर विशेषज्ञों की सलाह लेकर लगाए जा सकते हैं। पौधों को सप्ताह में दो बार पानी देना आवश्यक है। कई बार पौधों पर बेलें चढ़ जाती हैं और पौधों की जड़ों में नदीन पैदा हो जाते हैं। इसलिए प्रत्येक माह में दो बार पौधों की गुडाई कर देनी चाहिए। लगभग 6 महीने बाद पौधों तथा पेड़ों को दोबारा दीमक से बचाने के लिए क्लोरोपाइरोफास या कोई अन्य दीमक नाशक दवा डाल देनी चाहिए। पौधे लगाने के लिए दोपहर के बाद का समय अनुकूल है या फिर बरसात के मौसम में बारिश पड़ते समय इन्हें लगाया जा सकता है। ऐसा करने से पौधे मरने से बच जाएंगे।   बागवानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान (सेवामुक्त) कहते हैं कि जिन व्यक्तियों ने फूलों वाले पौधे लगाने हों, वे गुलाचीन, बोतल ब्रश, केसिया, जावानीका, पिंक केसिया, मैक्सीकान सिल्क काटन ट्री, गुलमोहर, अराइथरीना, नीली गुलमोहर आदि में से चयन करके लगा सकते हैं। इन पौधों से घरों तथा फार्मों की खूबसूरती भी बढ़ेगी। जिन व्यक्तियों ने फूलों वाली झाड़ियां लगानी हैं, वे कलीएड्रा, यूफोरबिया, हमेलिया, जैटरोफा, लिनटाना, रुसेलिया, केसिया गलूका, सिंगल चांदनी, डबल चांदनी, डवारफ चांदनी, वैरिगेटिड चांदनी, टीकोमा स्पेन, पीली कनेह, डबोया, रुकमंजनी, मुस्डा, पोआइंसिटीया, गुल्मोहरी, मरोणिया, मरइया आदि में से चयन कर सकते हैं। यही नहीं, ये झाड़ियां खुशबूदार भी लगाई जा सकती हैं, जिनमें हार-शृंगार, रात की रानी, दिन का राजा, मोतिया, गार्डिनीया, चिल्टा, मरइया आदि झाड़ियां शामिल हैं। यदि खुशबूदार पौधे लगाने हों तो कणक चम्पा, परी चम्पा तथा बड़ा चम्पा लगाए जा सकते हैं। 
पौधे व पेड़ लगाने के बाद उनकी सम्भाल बहुत ज़रूरी है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार पानी देना, बीमारी आने की हालत में दवाई का छिड़काव करना, सीज़न में कांट-छांट करना तथा समय-समय पर पेड़ एवं पौधों के विकास को देख कर उनका विकास तेज़ करने के लिए तथा उन्हें मुरझाने तथा मरने से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने बहुत ज़रूरी हैं। देखने में आया है कि जो साझे स्थानों पर पौधे तथा पेड़ लगाए जाते हैं, उनको लगाते समय उनकी तस्वीरें लेने तथा लोक-दिखावा करने के बाद कोई व्यक्ति उनका पालन-पोषण तथा देखभाल नहीं करता, जिस कारण पेड़ तथा पौधे विकसित होने की बजाय थोड़ा समय खड़े रह कर मर जाते हैं। किसी व्यक्ति की यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि वह साझे स्थान पर लगे पेड़ों एवं पौधों की पूरी देखभाल करे।