कैसे हो बच्चों का विकास ?

बच्चों के उचित विकास के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अपनी इच्छा से ढलने दें। उन पर ज़रूरत से ज्यादा बंधन रख कर उनके विकास में रोड़ा मत डालिए। उनके उचित विकास के लिए हम आपको यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं। अगर उन पर अमल किया जाए तो निश्चित रूप से आपका बच्चा आगे चलकर प्रगतिशील बनेगा। 
बच्चों को जिस खेल में रूचि हो, उन्हें वहीं खेलने दें। उनके क्रिया-कलापों में रोड़ा मत डालिए। हां, उनका ध्यान जरूर रखें।
बात पर उन्हें डांटिये या मारिये मत और न ही गाली दें। इससे उनमें गलत संस्कार पड़ सकते है। बार-बार बढ़ने के लिए कहकर उन पर पढ़ाई के प्रति खौफ पैदा मत करें। जिस काम के प्रति रूचि रखते हों, उसे करने दीजिए। तुम अभी बच्चे हो, ऐसा कहकर उनके बढ़ते विकास को अवरूद्ध न करें।
उनके बार-बार प्रश्न पूछने पर आप उन पर नाराज न होकर उनकी जिज्ञासा का उचित समाधान करें।
उनके सामने कोई गम्भीर बात न कहें। जो बातें उनके सामने कहने लायक न हों वे न कहें। पूर्ण गोपनीयता बरतें।
उनके सामने अन्य व्यक्ति की निंदा कम करें। उनके साहस की प्रवृत्ति बढ़ाये।
 उन्हें संकोची न बनाएं। बाहर जाने पर कैसा व्यवहार करना चाहिए, इस बारे में उन्हें उचित जानकारी है। उन्हें खूब घुमाएं। हर नयी चीज को जानने का अवसर दें। उन्हें प्यार जरूर करें पर उनकी हर जिद कभी मत मानें।
यह ध्यान रखें कि कहीं आपका बच्चा पैसा या अन्य चीज मांगना तो नहीं सीख रहा है।
इस बात का भी ध्यान रखें कि कही वह कोई चीज चुराने में मशगूल तो नहीं। अगर ऐसा हो तो आप उसे प्यार से समझा कर उसकी वह आदत तुरंत छुड़ा दें। उसके स्वाभिमान का पूरा ख्याल रखें। अगर उससे कोई भूल हो जाए तो उसे डांटिये मत, बल्कि प्यार से समझाइये। उसे खान-पान व स्वास्थ्य के प्रति उत्सुक बनाएं, उसके भीतर विकास  को प्रकृति के अनुसार ही होने दें। उसमें अच्छे संस्कार पैदा करें। 
पढ़ने के लिए उसे अच्छी-अच्छी साहित्य सुलभ किताबें लाकर दें ताकि उसके ज्ञान में वृद्धि हो।
हर माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार डालें क्योंकि बच्चों की प्रथम पाठशाला उसके माता-पिता ही होते हैं। बच्चों का मस्तिष्क तो एक कच्चे पौधे की तरह होता है। उसके सामने आप जैसा व्यवहार करेंगे, आगे चलकर वे वैसा ही करेंगे। (उर्वशी)