बजट की सम्भावनाएं

केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में लगातार 7वीं बार केन्द्रीय बजट पेश करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने फरवरी, 2024 में कुछ मास के लिए 6वां अंतरिम बजट पेश किया था। इससे पहले मोरारजी देसाई, डा. मनमोहन सिंह तथा पी. चिदम्बरम भी अपने बजट पेश करते रहे हैं परन्तु वे लगातार पांच बार बजट पेश करने के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ सके थे। अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत का नरेन्द्र मोदी की सरकार का यह पहला बजट है। इसमें कृषि के क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ की बड़ी राशि रखने की घोषणा की गई है, जिसमें रिवायती ़फसलों की बजाय भिन्न-भिन्न तरह की दालों, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन तथा सूरजमुखी की कृषि को प्रोत्साहित करने की योजनाएं बनाई गई हैं। व्यापक स्तर पर सब्ज़ी उत्पादन के केन्द्रों का विकास करने एवं गांवों के आर्थिक विकास और वहां रोज़गार के अवसर पैदा करने के आश्वासन भी दिये गये हैं।
इस समय देश की बड़ी समस्या बढ़ती हुई बेरोज़गारी  की है, जिसके संबंध में उन्होंने हर क्षेत्र में साधन पैदा करने की अनेक योजनाएं सुझाई हैं। कुल बजट की राशि 48 लाख करोड़ घोषित की गई है। इसमें आय कर के क्षेत्र में आने वाले वेतनभोगी, मध्य श्रेणी को राहत देते हुए जहां तीन लाख तक रुपये की आय के लिए टैक्स न देना तथा स्टैंडर्ड डिडक्शन (कर-कटौती) 50,000 से बढ़ा कर 75,000 रुपये करना शामिल हैं। उससे आगे कर-दरों संबंधी भिन्न-भिन्न पड़ाव (स्लैब)घोषित की गई हैं। इसके साथ ही पारिवारिक पैन्शन की राशि 15,000 से बढ़ा कर 20,000 करने की घोषणा भी की गई है। आगामी पांच वर्षों में जहां करोड़ों नये घर बनाने के लिए बड़ी राशि रखी गई है, वहीं रोज़गार के क्षेत्र के प्रोत्साहित करने के लिए भी 2 लाख करोड़ रुपये की राशि रखने की घोषणा की गई है तथा यह भी कि आगामी पांच वर्षों में 4 करोड़ नई नौकरियों का प्रबन्ध भी किया जाएगा। जहां उद्योग को उत्साहित करने के लिए देश भर में कारीडोर बनाने की घोषणा की गई है, वहीं बाहरी बड़ी कम्पनियों को निवेश के लिए टैक्स में पांच प्रतिशत छूट भी दी गई है ताकि देश में अधिक से अधिक विदेशी पूंजी लगाए जाने के अवसर बन सकें। महिलाओं को विशेष तौर पर हर क्षेत्र में उत्साहित करने के लिए दो लाख करोड़ की राशि रखने की घोषणा की गई है ताकि उन्हें आगामी समय में अपने पांवों पर खड़े होने के अधिक अवसर मुहैया किये जा सकें। अपने तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार की सीमाएं भी बनी दिखाई देती हैं।
इस बार भाजपा के अपने दम पर बहुमत न प्राप्त करने के कारण उसे काफी सीमा तक अपनी कुछ भागीदार पार्टियों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसीलिए इस बजट में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की दो सहयोगी पार्टियां जो बिहार एवं आंध्र प्रदेश में प्रशासन चला रही हैं तथा जिनकी बड़ी मांग अपने इन राज्यों को विशेष दर्जा देने की रही है, संबंधी भी इस बजट में इन दोनों राज्यों के हर तरह के विकास के लिए बड़ी राशि रखने की घोषणा की गई है, जिसकी विशेष तौर पर पंजाब तथा पश्चिमी बंगाल की विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की है। ऐसी ही आलोचना कुछ अन्य राज्यों की ओर से भी हुई है। इस बजट की जहां सरकारी पक्ष ने भारी प्रशंसा की है तथा इसे विकासोन्मुखी बताते हुए आगामी वर्षों में इन मार्गों पर चलते हुए भारत के एक बड़ी शक्ति बनने की आशा प्रकट की गई है, वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसकी आलोचना करते हुए यह कहा है कि यह स्वप्न दिखाने वाला बजट ही साबित होगा। फिर भी अपनी घोषणाओं के अनुसार यदि केन्द्र सरकार ़गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे करोड़ों लोगों को अच्छा जीवन प्रदान करने में सफल होती है, बढ़ती बेरोज़गारी पर अंकुश लगाने के लिए बेहतर परिणाम निकालने में सफल होती है तथा बढ़ती हुई महंगाई को रोकने में भी सफल होती है तो ये बातें मोदी सरकार की सफलता मानी जाएंगी। समूचे तौर पर बजट में घोषित की गईं योजनाओं को क्रियात्मक रूप प्रदान करना ही इसकी सफलता माना जाएगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द