बनें वीडियो एडिटर बढ़ रही है मांग
वीडियो एडिटिंग का क्षेत्र कॅरियर के रूप में एक ऐसे विकल्प के रूप में बहुत तेजी से उभर रहा है, जिसकी हर क्षेत्र में बेहद मांग हैं। क्योंकि आज की लाइफस्टाइल में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां बढ़ चढ़कर वीडियाग्राफी की भूमिका न हो। वीडियो एडिटर न सिर्फ मीडिया कंपनियों, विज्ञापन एजेंसियों, सोशल मीडिया नेटवर्क बल्कि फिल्म और टेलिविजन के हर क्षेत्र में अपनी प्रमुख भूमिका के लिए जाने जाते हैं। वीडियो एडिटर न सिर्फ आज विभिन्न क्षेत्रों की नौकरियों के प्रमुख हिस्से हैं बल्कि फ्रीलांसर के तौर पर भी इनकी महत्ता हाल के सालों में बहुत ज्यादा बढ़ी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि हमारी जिंदगी का हर पहलू आज की तारीख में वीडियो का हिस्सा है।
वीडियो एडिटर वास्तव में कच्ची पक्की वीडियो क्लिप या वीडियो फुटेज को एक उच्च गुणवत्ता वाले या कहें कि अर्थपूर्ण वीडियो संदेश में बदलते हैं। जिनका उपयोग दर्शकों को सूचनाएं देने में, उनका मनोरंजन करने में तथा कई तरह की भावनाओं को व्यक्त करने में किया जाता है। वीडियो एडिटर की जहां तक नौकरी का संबंध है, तो वह ऐसे अव्यवस्थित वीडियो या कहें कि बिना किसी अर्थ की फोटोग्राफी को एक अर्थपूर्ण क्रम देता है। इसलिए अगर कहा जाए कि एक संपादक जहां शब्दों की अनगढ़ भाषा को एक अर्थ और कहानी प्रदान करता है, उसी तरह से एक वीडियो एडिटर किसी फोटोग्राफी को एक कहानी और अर्थ प्रदान करता है। कोई भी वीडियो एडिटर हर सूट की गई फाइल को एक कहानी और उसे कहानी के क्रम में ढालता है। इसी वजह से वीडियो एडिटर की नौकरी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
लेकिन वीडियो एडिटर की यह नौकरी अपनी इसी संवेदनशीलता के चलते उसके साथ कई तरह की जिम्मेदारियां और कर्तव्य भी जोड़ती है। मसलन हर वीडियो एडिटर यह बात जानता है कि हर वीडियो का एक निश्चित लक्ष्य और उसकी लंबाई व दिशा निश्चित होती है। हर वीडियो एडिटर इसलिए कच्ची और संपादित वीडियो फाइलों को फिल्में नहीं मानता बल्कि तैयार की जाने वाली फिल्मों का कच्चा माल मानता है। हर वीडियो एडिटर यह बात अच्छी तरह से जानता है कि कोई वीडियो किसी विशेष सवाल या आग्रह के अनुसार की शूट किया जाता है, इस तरह उसकी एक निश्चित दिशा होती है। हर वीडियो एडिटर इस बात को भी भलीभांति जानता है कि हर वीडियो की एक निश्चित मंजिल होती है यानी कोई वीडियो अपने कंटेंट में क्या कहना चाहता है, यह बात सबसे बेहतर तरीके से उसका एडिटर ही जानता है। यही वजह है कि उच्चतम पत्रकारीय मानकों का अनुपालन करते हुए कोई भी वीडियो एडिटर अपनी ज़रूरत के अनुरूप ही किसी वीडियो की लंबाई रखता है और उसके कंटेंट को आवश्यकता अनुसार प्रारूप देता है।
जब भी वीडियो एडिटर की नौकरी का विज्ञापन दिया जाता है तो हर कंपनी चाहती है कि उसे ऐसा वीडियो एडिटर मिले, जो कम से कम एक साल की एडिटिंग का अनुभव रखता हो। यही कारण है कि हर वीडियो एडिटिंग की पढ़ाई करने वाले शख्स को फ्री में या कम से कम मानदेय में एक इंटर्नशिप की ज़रूरत होती है। बिना इंटर्नशिप के किसी वीडियो एडिटर को उसकी पहली नौकरी पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि किसी भी संस्थान से सीधे-सीधे पढ़ाई करके निकले किसी भी विद्यार्थी को वीडियो एडिटर जैसी तकनीकी नौकरी नहीं मिलती। यही वजह है कि हर वीडियो एडिटिंग का कोर्स करने वाला शख्स हर हाल में एक साल की ऐसी इंटर्नशिप चाहता है, जहां वीडियो संपादन से लेकर पोस्ट प्रोडक्शन का काम सीखने को मिले। भले इसके लिए उसे किसी तरह का कोई भी मानदेय न हासिल हो।
हर वीडियो एडिटर से यह उम्मीद की जाती है कि वह गैर रेखीय वीडियो संपादन उपकरणों और अन्य सॉफ्टवेयर मसलन एडोप प्रीमियर, फोटोशॉप और लाइट रूम में कुशल होगा। साथ ही उसे मौजूदा डिजिटल रूझान संपादन सिद्धांतों की गहरी समझ होगी। यह अलग बात है कि ज्यादातर अध्ययन संस्थान जो वीडियो एडिटर का कोर्स कराते हैं, उनके पास न तो इतनी सुविधाएं होती हैं और न इतना इंफ्रास्ट्रक्चर की वे अपने सभी छात्रों व उम्मीदवारों को हर तरह के वीडियो संपादन उपकरणों और सॉफ्टवेयर में माहिर बना सकें। फिर भी एक डिप्लोमा या डिग्री हासिल करने वाला कोई वीडियो एडिटर कम से कम इतनी समझ और रचनात्मक अनुभव तो रखता ही है कि उसे भविष्य में कोई भी संस्थान अपने साथ जोड़ सके। अगर किसी वीडियो एडिटर के पास फिल्म या संबंधित क्षेत्र की स्नातक डिग्री होती है, तब तो कहना ही क्या? यह उसके लिए सोने में सुहागा होता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर