स्वतंत्रता संग्राम की जीवित तस्वीर है - कोलकाता का नेताजी भवन

कोलकाता में एल्गिन रोड का नाम अब लाला लाजपत राय सारणी कर दिया गया है। इसी सड़क पर ही नेताजी भवन स्थित है, जोकि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का पैतृक मकान है। यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि नेताजी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अग्रिम पंक्ति के देशभक्त थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए आज़ाद हिंद फौज का गठन किया था। उनका बचपन इसी भवन में गुज़रा था, जिसे अब अतिभव्य अंदाज़ में रि-स्टोर कर दिया गया है और इसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी कोलकाता म्युनिसिपल कारपोरेशन पर है। नेताजी भवन नेताजी रिसर्च ब्यूरो का केंद्र भी है। इसमें म्यूजियम भी है, जो नेताजी के जीवन व समय पर रोशनी डालता है और हमें प्रेरित करता है कि हम भी देशप्रेमी बनें, देश के लिए कुर्बानी देना सीखें। 
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि नेताजी भवन का ऐतिहासिक महत्व है। नेताजी को अंग्रेजों ने इसी भवन में नज़रबंद किया था और यहीं से 1941 में ‘चुपके से फरार’ होकर वह बर्लिन गये थे। अपने भागने के लिए उन्होंने जिस सीढ़ी और कार का इस्तेमाल किया था, वह भी नेताजी भवन में डिसप्ले पर है। नेताजी के इस पैतृक मकान का निर्माण 1909 में उनके पिता जानकीनाथ बोस ने कराया था। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह मकान आज़ादी के मतवालों की सियासी गतिविधियों का केंद्र था। उस दौरान नेताजी भी इसी में रहते थे। भवन में नेताजी की स्टडी (अध्ययन करने का कमरा) व उनके बेडरूम को उनके मूल रूप में ही बरकरार रखा गया है। इस भवन की ज़बरदस्त ऐतिहासिक अहमियत को मद्देनज़र रखते हुए यह कोलकाता आने वाले हर पर्यटक की ‘दर्शन सूची’ का आवश्यक हिस्सा बन गया है। नेताजी भवन को 23 जनवरी, 1947 को शरतचंद्र बोस ने देश की सेवा में समर्पित कर दिया था व तभी से यह कोलकाता में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। नेताजी भवन में म्यूजियम के अतिरिक्त आर्काइव्ज व बहुत शानदार पुस्तकालय भी हैं। नेताजी 1941 में यहीं नज़रबंद थे और जब वह गुपचुप तरीके से बर्लिन पहुंचे तो सबमरीन से दक्षिणपूर्व एशिया के उन क्षेत्रों में भी पहुंचे जहां जापान का कब्ज़ा था। वहीं उन्होंने विख्यात इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) का गठन किया और फिर इम्पीरियल जैपनीज आर्मी के साथ मिलकर ब्रिटिश सम्राज्य के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की। नेताजी भवन की मिल्कियत व प्रबंधन नेताजी रिसर्च ब्यूरो के पास है। इस ब्यूरो का नेताजी के जीवन व इतिहास के बार में लोगों को बताने में बहुत बड़ा योगदान है और इसने इस संदर्भ में दुनियाभर से सभी प्रासंगिक व आवश्यक मैटीरियल को एकत्र किया हुआ है। ब्यूरो ने 1961 में नेताजी म्यूजियम की स्थापना की। म्यूजियम बहुत अच्छा संगठित किया हुआ है। यह एक प्रकार का बायोग्राफिकल म्यूजियम है, जो नेताजी के जीवन को समर्पित है। म्यूजियम वह सभी चीज़ें हैं जो दुनियाभर से एकत्र की गई हैं और नेताजी के जीवन से संबंधित हैं। 
नेताजी म्यूजियम काफी विशिष्ट है और अपने तौर पर वैभवपूर्ण भी। इससे पर्यटकों को नेताजी के चुनौतीपूर्ण जीवन व करियर को समझने में बहुत आसानी हो जाती है और यह भी कि नेताजी का कितना ़गज़ब का व्यक्तित्व था। नेताजी का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जो अद्वितीय योगदान है, उसकी वजह से लोगों के दिलोदिमाग में उनके लिए सम्मान तो हमेशा से ही रहा है, लेकिन उनकी रहस्यमय गुमशुदगी आमजन में जिज्ञासा अधिक बढ़ा दी है। इसलिए नेताजी भवन जिस दिन से खुला है उसी दिन से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। नेताजी भवन परम्परागत बंगाली घर की तरह ही है। इसमें परम्परागत खम्बे व पोर्टिको हैं। मुख्य पोर्टिको पर एक स्मृति चिन्ह लगा हुआ है, जिस पर ‘इत्तेफ़ाक’, ‘एतमाद’ व ‘कुर्बानी’ शब्द लिखे हुए हैं, जोकि नेताजी की विचारधारा के मूलमंत्र थे। नेताजी का बेडरूम पहले फ्लोर पर है, जहां तरतीब से उनकी सभी व्यक्तिगत चीज़ें डिसप्ले की गई हैं। अनेक डाक्यूमेंट्स, फोटोग्राफ व लेख भी डिसप्ले पर हैं, जिनका संबंध नेताजी के जीवन व कार्य से है और उन्हें भवन के टॉप फ्लोर पर क्रोनोलॉजिकल व व्यवस्थित ढंग से रखा हुआ है। टॉप फ्लोर को विशेष प्रभाव व रोशनी से आधुनिक लुक दिया गया है। यहां जो पत्र व तस्वीरें प्रदर्शित की गईं हैं वह सुभाषचन्द्र के विकास क्रम में हैं कि बचपन से कैंब्रिज में छात्र तक, फिर मांडले में हिरासत में और 1928 में वालंटियर कोर कलकत्ता के जीओसी। इससे अगला सेक्शन उनके द्वारा भारतीय संघ स्थापित करने की कहानी बताता है।  अगला कमरा नेताजी के यूरोप दौरे की दास्तान कहता है। इन तस्वीरों में आज़ाद हिंद फौज की ट्रेनिंग और नेताजी के साथ प्रमुख लोगों की तस्वीरें हैं। आज़ाद हिंद आंदोलन को प्रदर्शित करने के लिए भी एक गैलरी है, जिससे संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी प्रदर्शित किये गये हैं। नेताजी भवन में शरत बोस नामक ऑडिटोरियम भी है, जिसमें लगभग 115 लोग आ सकते हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर