भारतीय महिला क्रिकेट की परियों ने जीता विश्व कप
तुषा गोंगाड़ी मात्र दो वर्ष की थी जब उसके पिता जी रामी रेड्डी उसके लिए एक प्लास्टिक का क्रिकेट बैट लेकर आये। रामी अपनी बेटी की ओर बार-बार प्लास्टिक या सॉफ्ट टेनिस बॉल्स फेंकते, ताकि उसे बैट से गेंदों को हिट करने की आदत पड़ जाये। जब तृषा चार साल की हुई तो वह उसे जिम ले जाने लगे, जहां वह इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्य करते थे। जल्द ही उन्होंने स्थानीय जूनियर सरकारी कॉलेज में कंक्रीट की पिच बनायी और नेट्स लगाये, जहां वह अपनी बेटी को रोज़ाना एक हज़ार से अधिक बोलें फेंकते थे। तृषा को क्रिकेटर बनाने का रामी पर ऐसा जुनून सवार था कि उसकी ट्रेनिंग के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी। आख़िरकार रामी की मेहनत (या लत भी कह सकते हैं) 2 फरवरी 2025 को रंग लायी, जब अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप के फाइनल में तृषा को प्लेयर ऑ़फ द मैच घोषित किया गया। यही नहीं, अपने हरफनमौला खेल के लिए प्लेयर ऑ़फ द टूर्नामेंट भी तृषा ही रहीं।
मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में खेले गये एकतरफा फाइनल मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 9 विकेट से रौंदते हुए लगातार दूसरी बार अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप अपने नाम किया। इससे पहले 2023 में पॉटश़ेफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका) में इंग्लैंड को हराकर भारतीय लड़कियों ने यह खिताब जीता था। कुआलालंपुर में ग्रुप व सुपर सिक्स स्टेज में सभी टीमों को आउटक्लास करते हुए भारत ने फाइनल का सफर तय किया था, जहां उसने एक बार फिर अपने दबदबे को कायम रखते हुए दक्षिण अफ्रीका को 9 विकेट से पराजित किया, जबकि 52 गेंदें शेष थीं। भारत पहली टीम है जिसने बिना कोई मैच हारे इस प्रतियोगिता को जीता है। फाइनल की स्टार तृषा रहीं, जिन्होंने पहले अपनी लेग स्पिन गेंदबाज़ी से मात्र 15 रन देकर 3 विकेट लिए और फिर बल्ले से 33-गेंदों में 44 रन का नाबाद योगदान दिया। भारत ने दक्षिण अफ्रीका को मात्र 82 रन पर समेट दिया था और फिर जीत के लिए आवश्यक 83 रन एक विकेट के नुकसान पर 11.2 ओवर में बना लिए, जिससे भारत की मैच पर मज़बूत पकड़ का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
प्रतियोगिता के कुल 11 मैचों में सलामी बैटर तृषा ने 7 पारियों में बल्लेबाज़ी की, 77.25 की औसत व 147 के स्ट्राइक रेट से 309 रन बनाये, जिसमें एक शतक (स्कॉटलैंड के विरुद्ध 110 रन), दो अर्द्धशतक और दो 40 प्लस के स्कोर शामिल थे। अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप में शतक लगाने वाली तृषा एकमात्र बैटर हैं। प्रतियोगिता में कोई अन्य खिलाड़ी 200 प्लस का स्कोर नहीं कर सकी। तृषा ने प्रतियोगिता में 10 विकेट भी लिए। अपने इस हरफनमौला खेल के लिए तृषा को प्लेयर ऑ़फ द टूर्नामेंट की ट्राफी भी मिली। तृषा ने अपनी इस असाधारण कामयाबी का श्रेय अपने पिता को दिया। उनका कहना है कि अपने पिता की मेहनत के बिना वह इस मकाम तक नहीं पहुंच सकती थीं। क्रिकेट टीम गेम है, जिसमें एक अकेला खिलाड़ी, चाहे कितना ही अच्छा क्यों न हो, टीम को खिताबी जीत नहीं दिला सकता है। इसलिए अन्य खिलाड़ियों का योगदान भी महत्वपूर्ण हो जाता है। तृषा के अतिरिक्त पांच अन्य लड़कियों का प्रदर्शन भी काबिले तारीप रहा, जिनमें से तीन- वैष्णवी शर्मा, आयुषी शुक्ला व परुणिका सिसोदिया तो लेफ्ट-आर्म स्लो बॉलर हैं।
वैष्णवी शर्मा ने कुल छह मैच खेले, उनकी घुमावदार गेंदों का कोई सामना न कर सका, उन्होंने प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा 17 विकेट लिए और वह भी मात्र 4.35 की औसत से। आयुषी शुक्ला ने 14 विकेट लिए, जिसमें से 2 फाइनल में थे मात्र 9 रन देकर। परुणिका सिसोदिया ने कुल 10 विकेट लिए, जिसमें से मात्र 6 रन देकर 2 विकेट फाइनल में थे। सारिका चल्के ठोस खब्बू बैटर हैं, कम स्कोर वाले फाइनल में उनका योगदान 26 रन नाबाद रहा, लेकिन प्रतियोगिता का टॉप बल्लेबाज़ी औसत (95) उनके नाम रहा। डब्लूपीएल की नीलामी में विकेट कीपर-बैटर जी कमालिनी को मुंबई इंडियंस ने अकारण ही 1.5 करोड़ रूपये में नहीं खरीदा था। उनमें ़गज़ब की प्रतिभा है। उन्होंने सेमीफाइनल में नाबाद रहते हुए शानदार अर्द्धशतक लगाया जिससे भारत का फाइनल में पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हुआ और फिर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध जो उन्होंने एक हाथ से कैच लपका, उसने तो दुनिया को चौंका दिया।
ऐसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी जब टीम में हों तो किस कप्तान को उन पर गर्व नहीं होने का। भारतीय टीम की कप्तान निकी प्रसाद ने इस खिताबी जीत को ‘विशेष पल’ बताते हुए कहा, ‘हम सबने शांत और ज़मीन से जुड़े रहने का प्रयास किया ताकि हम बखूबी अपने काम को अंजाम दे सकें। हम सिर्फ यह दिखाना चाहती थीं कि हम क्या करने की क्षमता रखती हैं। प्रतियोगिता के शुरू में ही मैंने कह दिया था कि हम यहां यह सुनिश्चित करने आयी हैं कि भारत अपना वर्चस्व बरकरार रखते हुए टॉप पर बना रहे।’ इसमें शक नहीं है कि लड़कियों ने जो कहा वह करके दिखाया। उनका खेल देखकर यह यकीन से कहा जा सकता है कि भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर