मे डे कॉल क्या है?

‘दीदी, 12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक प्लेन उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही क्रेश हो गया...।’
‘हां, बहुत ही दु:ख भरा हादसा है। प्लेन में 10 क्रू सदस्यों सहित 242 लोग सवार थे, जिनमें से 11ए सीट का यात्री ही चमत्कारिक रूप से जीवित बच सका।’
‘यह तो मुझे मालूम है और यह भी कि आग का गोला बनकर प्लेन बीजे मैडीकल कॉलेज के हॉस्टल मेस में घुस गया जहां मैडीकल के छात्र लंच कर रहे थे और उनकी भी मौत हुई है लेकिन मैं कुछ और जानना चाहता हूं।’
‘क्या?’
‘बृहस्पतिवार (12 जून 2025) को दोपहर दो बजे से कुछ पहले प्लेन के कैप्टन सुमीत सभ्रवाल ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करते हुए मेडे कॉल जारी की थी।’
‘हां, ऐसे समय में मेडे कॉल जारी की जाती है।’
‘मैं यही तो जानना चाहता हूं कि मेडे कॉल है क्या?’
‘मेडे कॉल एक आपात संदेश होता है। इसे इमरजेंसी कॉल भी कह सकते हैं। इसे पायलट उस समय देता है जब विमान किसी गंभीर संकट में हो और यात्रियों या क्रू की जान को खतरा हो।’
‘इसे मेडे कॉल ही क्यों कहते हैं?’
‘दरअसल, यह शब्द फ्रेंच के म’आइडर (उश्ंपकमत) से बना है, जिसका अर्थ है ‘हेल्प मी’ यानी मेरी मदद करो। चूंकि यह सुनने में मेडे जैसा प्रतीत होता है, इसलिए इसकी जगह मेडे प्रचलित हो गया।’ चूंकि मेडे शब्द को दुनिया के लगभग सभी लोग समझते हैं, चाहे वह कोई भी भाषा बोलते हों।’
‘तो मेडे एसओएस (सेव आर शिप) की तरह है कि मुझे मदद चाहिए।’
‘हां। इसे मुख्य रूप से नाव या एयरप्लेन के पायलट बोलते हैं जब उनकी वेसल खतरे में होती है। वह मेडे, मेडे, मेडे पुकारते हैं। यह परेशानी में दिया गया रेडियो सिग्नल है। जैसे ही कोस्ट गार्ड या एयर ट्रैफिक नियंत्रण करने वाले मेडे कॉल को पहचानते हैं तो वह जान जाते हैं कि संकट है और मदद की ज़रूरत है।’ 
‘क्या मेडे कॉल अधिकारिक है?’
‘इसकी शुरुआत 1923 में लंदन के क्रायडन एयरपोर्ट के वरिष्ठ रेडियो अधिकारी फ्रेंडरिक मोकफोर्ड के आग्रह पर हुई और 1948 में इसे अधिकारिक बना दिया गया।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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