विश्व टेस्ट चैम्पियन बना दक्षिण अफ्रीका 

बांग्लादेश, में मार्च की रात थी- ग्रीम स्मिथ नम आंखों से मीडिया का सामना कर रहे थे। वक्तव्य के रूप में पहला प्रश्न व्यंग्य बाण था, ‘पहले आप लोगों को चोकर्स कहा जाता था और अब आपको जोकर्स कहा जा रहा है।’ दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ने न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 2011 विश्व कप का क्वार्टरफाइनल में 222 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 49 रन से हारा था। यह व्यंग्य इस टीम के टेम्पलेट में एकदम फिट बैठ गया था जो क्लाइमेक्स में चूक करने के लिए बदनाम हो चुकी थी। स्मिथ के लिए यह व्यंग्य ऐसा था जैसे किसी ने उनके पेट में छुरी घुसाकर घुमा दी हो। फिर भी उन्होंने बहुत संयम से काम लेते हुए बताया कि आखरी पड़ाव के आते-आते उनकी टीम के अभियान पर ब्रेक क्यों लग जाता है।  कितनी पास और फिर भी कितनी दूर। यह कहानी अक्सर दोहरायी गई। दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में ढाका में वेस्टइंडीज के विरुद्ध नॉकआउट ट्राफी (विल्स इंटरनेशनल कप जो बाद में चैंपियंस ट्राफी बना) 4 विकेट से जीती थी, लेकिन इसके बाद आईसीसी प्रतियोगिताओं में उसके लिए सब सूखा ही रहा, बावजूद इसके कि वह निरंतर क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंचती रही। 1991 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने हर विश्व कप में फेवरेट के रूप में प्रवेश किया, लेकिन किस्मत हर बार उन्हें धोखा देती रही। 1992 में बारिश नियम ने उन्हें पराजित किया। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 13 गेंदों में 22 रन बनाने थे कि पांच मिनट के लिए बारिश आ गई और उनके सामने 1 गेंद में 22 रन बनाने का असंभव लक्ष्य रख दिया गया। 1996 के क्वार्टरफाइनल में ब्रायन लारा की शानदार पारी ने उन्हें आगे बढ़ने न दिया। 1999 में दक्षिण अफ्रीका सर्वश्रेष्ठ टीम थी, लेकिन अंतिम ओवर में लांस क्लूजनर व एलन डोनल्ड ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध चोक कर गये और उनका सपना टूट गया। इसके बाद भी चोकर का टैग दक्षिण अफ्रीका पर भारी पड़ा और बारबाडोस में लगभग एक वर्ष पहले उसका फायदा भारत को मिला। टी-20 विश्व कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 30 गेंदों में 30 रन चाहिए थे, लेकिन अंतिम ओवर में सूर्यकुमार यादव ने शताब्दी का कैच लपका और खिताब रोहित शर्मा के लड़कों के नाम हो गया। 
इस गेम के पूरा होने के बाद भारत जश्न मना रहा था और दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने मैदान तक नहीं छोड़ा। वह बालकनी में सदमे में बैठे रहे। शायद वह सोच रहे थे कि कभी तो इन्द्रधनुष बादलों से बाहर निकलेगा। दक्षिण अफ्रीका को रेनबो नेशन (इन्द्रधनुष राष्ट्र) भी कहते हैं। बहरहाल, इस पृष्ठभूमि में जब 11 जून 2025 को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स, इंग्लैंड में आरंभ हुआ तो कोई भी दक्षिण अफ्रीका पर पैसे लगाने के लिए तैयार नहीं था, विशेषकर इसलिए भी कि वह कमज़ोर टीमों को पराजित करके फाइनल में पहुंची थी और अपनी अंदरूनी खींचतान के कारण वह न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध तो अपनी दोयम दर्जे की टीम उतारने के लिए मजबूर हुई थी, जिसमें 9 खिलाड़ी तो अपना पहला टेस्ट खेलने वाले थे। यह मानकर चला जा रहा था कि ऑस्ट्रेलिया लगातार दूसरा डब्लूटीसी खिताब उठा लेगी। पहला डब्लूटीसी खिताब न्यूज़ीलैंड ने जीता था। पहले दो फाइनलों में बदकिस्मत टीम भारत की रही। 
बहरहाल, जब लॉर्ड्स में फाइनल शुरू हुआ और टॉस जीतकर दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाज़ी के लिए आमंत्रित किया तो लगने लगा कि वह कुछ और इरादों से मैदान में उतरी है। ऑस्ट्रेलिया अपनी पहली पारी में 56.4 ओवर में मात्र 212 रन पर सिमट गई। लगा कि दक्षिण अफ्रीका बड़ी लीड लेगी, लेकिन पैट कम्मिंस ने घातक गेंदबाज़ी करते हुए 6 विकेट लिए और दक्षिण अफ्रीका की कमर तोड़ दी, वह 57.1 ओवर में सिर्फ 138 रन अपनी पहली पारी में बना सकी। लो-स्कोरिंग मैच में 74 रन की बहुत बड़ी लीड होती है। चोकर्स का प्रेत एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका पर हावी होता नज़र आने लगा, खासकर उस समय भी जब दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 9 विकेट उसने 150 रन के भीतर आउट कर लिए थे, लेकिन फिर भी उसका स्कोर 207 रन तक पहुंचने दिया। अब दक्षिण अफ्रीका के समक्ष 282 रन का लक्ष्य था, जो मैच के संदर्भ में काफी बड़ा था, क्योंकि पहली तीन पारियों में अधिकतम योग 212 रन रहा था।  फाइनल में अधिकतम समय ऑस्ट्रेलिया हावी रही, लेकिन इस बार पटकथा में बदलाव आना था। टेम्बा बवुमा के लड़कों ने स्टील की नर्व प्रदर्शित कीं और आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप पांच विकेट से जीत ली।  गौरतलब है कि कप्तानी के लिए बवुमा पहली चॉइस नहीं थे, लेकिन उन्होंने जो अब तक 10 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है, उनमें से उन्होंने 9 में जीत दर्ज की है और शेष 1 ड्रा रहा है। इस जीत में उनकी बल्लेबाज़ी की भी विशेष भूमिका रही। उनके अतिरिक्त मैच में कगिसो रबादा के 9 विकेट व प्लेयर ऑ़फ द मैच एडन मारक्रम का शानदार शतक (136) उल्लेखनीय योगदान रहे। अपने 2010 के नंबर ‘वाका वाका’ में शकीरा ने गाया था ‘दिस टाइम फॉर अफ्रीका, बवुमा व उनके साथी शायद यह गायेंगे ‘दिस टाइम फॉर साउथ अफ्रीका’। खेल अक्सर उम्मीद जगाता है। वह हमेशा ऐसा ही करता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#विश्व टेस्ट चैम्पियन बना दक्षिण अफ्रीका