गलती का अहसास
गांधी जी के बड़े भाई कर्ज में फंस गये थे। अपने भाई को कर्ज से मुक्त कराने के लिए गांधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेंच दिया और उसके पैसे अपने भाई को दे दिए। मार-खाने के डर से गांधी जी ने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि कड़ा कही गिर गया है। किन्तु झूठ बोलने के कारण गांधी जी का मन स्थिर नहीं हो पा रहा था। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो रहा था और उनकी आत्मा उन्हें बार-बार यह बोल रही थी की झूठ नहीं बोलना चाहिए। गांधी जी ने अपना अपराध स्वीकार किया और उन्होंने सारी बात एक कागज में लिखकर पिताजी को बता दी। गांधी जी ने सोचा की जब पिता जी को मेरे इस अपराध की जानकारी होगी तो वह उन्हें बहुत पीटेंगे।
लेकिन पिता ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। वह बैठ गये और उनके आंखों से आंसू आ गये। गांधी जी को इस बात से बहुत चोट लगी। उन्होंने महसूस किया की प्यार हिंसा से ज्यादा असरदार दंड दे सकता है। (सुमन सागर)