बेहद लड़ाकू होता है मेंटिस झींगा
मेंटिस झींगा एक लड़ाकू समुद्री जीव है। इसके शरीर में शिकार को पकड़ने के लिए मेंटिस कीट के समान चिमटों का एक जोड़ा होता है अत: इसे मेंटिस झींगा कहते हैं। मेंटिस झींगे को नर्स झींगा, प्रॉन किलर, स्क्यिला आदि नामों से भी जाना जाता है। मेंटिस झींगा अत्यंत प्राचीन जीव है। इसके द्मद्दछ जीवाश्म ऐसे मिले हैं जो जुरासिक काल के हैं। इससे मेंटिस झींगे के प्राचीन जीव होने की पुष्टि होती है।
मेंटिस झींगे की 200 से अधिक जातियां हैं, जिनकी शारीरिक संरचना, आदतों, व्यवहारों आदि में पर्याप्त विविधता होती है। मेंटिस झींगा विश्व के अधिकांश उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय सागरों एवं महासगारों में पाया जाता है। कुछ जातियों के मेंटिस झींगे समशीतोष्ण सागरों में भी देखने को मिल जाते हैं। मेंटिस झींगा भारत में भी पाया जाता है। यहां इसकी चार जातियां हैं। इन्हें पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर बहुतायत से देखा जा सकता है। मेंटिस झींगा सागर तटों के उथले पानी से लेकर 450 मीटर तक की गहराई वाले भागों में पाया जाता है। यह सागर तल की रेत अथवा मिट्टी में मांद बना कर रहता है। मेंटिस झींगे की मांद लंबवत अथवा ढलानदार होती है। कुछ मेंटिस झींगे पत्थरों के नीचे, चट्टानों की दरारों अथवा मूंगे की दीवारों में भी अपने आवास बनाते हैं।
मेंटिस झींगा बड़ा लड़ाकू होता है। ये आपस में पहले एक-दूसरे को डराते, धमकाते हैं और अपनी ताकत साबित करते हैं और फिर एक-दूसरे पर आक्रमण कर देते हैं। इनकी लड़ाई मांदाें पर अपना अधिकार जमाने को लेकर होती है। एक झींगा दूसरे मांद में रहने वाले झींग को बाहर निकालकर उस पर अपना कब्जा कर लेता है। मेंटिस झींगा हमेशा अपने मांद में रहता है, सिर्फ भोजन के लिए मांद से बाहर निकलता है। कुछ तो इतने डरपोक होते हैं कि रात के समय मूंगे के टुकड़े से मांद का मुंह बंद कर देते हैं। मेंटिस झींगे का शरीर झींगा होकर भी उसके जैसा नहीं होता। इसके श्वंसन अंग पेट के पैरों के आधार पर होते हैं। इसके रंगों में और आकार में विविधता होती है।
मेंटिस झींगा एक रंग-बिरंगा सुंदर जीव है। इसका रंग हरा-कत्थई, नीला, लाल अथवा पीला होता है एवं इस पर विभिन्न प्रकार के धब्बे, पट्टे अथवा बिदियां होती हैं। इसकी आंखें मोर जैसी, नीले रंग की होती है एवं पूंछ सुनहरी होती है। मेंटिस झींगे के शरीर के चार प्रमुख अंग होते हैं सिर, वक्ष, पेट और पूंछ। इसके सिर पर उभरी हुई दो आंखें, मुंह और एक जोड़ा एंटीना होते हैं। मेंटिस झींगे के वक्ष पर विभिन्न प्रकार के पैर होते हैं तथा सभी पैर अलग-अलग प्रकार से कार्य करते हैं। इसके पैरों का पहला जोड़ा छोटा और पतला होता है। इसके बाद जैक नाइफ जैसे चिमटे वाले पैरों का एक जोड़ा और खुदाई करने वाले पैरों के तीन जोड़े तथा अंत में तीन जोड़े पंजेहीन पैर होते हैं। मेंटिस झींगे का पेट चौड़ा और चपटा होता है एवं इस पर पांच जोड़े पैर होते हैं, जो तैरने का काम करते हैं। इसके पेट में कुछ ऐसे भीतरी अंग होते हैं, जो सामान्यतया झींगे के वक्ष वाले भाग में होते हैं। मेंटिस झींगे के पैरों का अंतिम जोड़ा इसकी पूंछ वाले भाग में होते हैं। मेंटिस झींगे के पैरों का अंतिम जोड़ा इसकी पूंछ वाले भाग के दोनों किनारों पर होता है एवं तैरने में इसे विशेष सहयोग प्रदान करता है। भारतीय मेंटिस झींगा मध्यम आकार का होता है। इसकी लंबाई 15 सेंटीमीटर से 25 सेंटीमीटर तक होती है। सामान्यतया इसका शरीर लंबा एवं पेट चौड़ा होता है तथा चिमटे वाले पैरों में कांटे होते हैं।
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