सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट की बेमिसाल सेवाएं

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना  की उपलब्धियों की बात हो रही थी तो सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट का भी ज़िक्र हुआ। महिन्दर दोसांझ, जगजीत हरा तथा महिन्दर सिंह ग्रेवाल की कृषि में व्यक्तिगत उपलब्धियों की बात चली तो दुबई बैठे एस.पी. एस. ओबराय की समाज सेवी उपलब्धियों का ज़िक्र होना था स्वाभाविक था। वह आयु में छोटे हैं और उपलब्धियों में बड़े। उन्होंने सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना ही नहीं की, अपितु प्रत्येक वर्ष नया कार्य शुरू करके साथियों को मात दे रहे हैं। पहले सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट की ही बात करते हैं।
ओबराय दोबारा स्थापित सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट उन कौमों तथा व्यक्तियों की सहायता कर रही है जो दूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे हैं। उनके जीवन स्तर को सुधारना, विशेषकर संबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाना  उनका उद्देश्य है। 
भारत के ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण के लिए एक ऐसा धरातल सृजित किया गया जिसके माध्यम से ग्रामीण लोग स्वास्थ्य, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक पक्ष से विकसित हो सकें। ऐसे समूहों तथा संस्थाओं को सहायता प्रदान करना जो इस प्रकार की गतिविधियों में पहले से ही सक्रिय हैं, प्रमुख है।
एक तरह से पूरे विश्व में पिछड़े क्षेत्रों की सुध लेना तथा व्यक्तियों तथा कौमों को सशक्त बनाना भी शामिल है ताकि वे लापरवाही भरे जीवन से ऊंचा उठ कर अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन स्तर हासिल कर सकें। ट्रस्ट की अब तक की गतिविधियां बताती हैं कि यह पूरे भारत में तेज़ गति से हो रही प्रगति के उदमों को सार्थक करने के लिए यत्नशील है, विशेषरूप से समाज से हाशिये पर रह गए कमज़ोर वर्गों से संबंधित व्यक्तियों तथा पिछड़ी कौमों के सशक्तिकरण के लिए विशेषकर मानसिक रोग से पीड़ित बच्चों, अनाथों, गूंगे, बहरों, नेत्रहीनों, विधवा महिलाओं तथा बेसहारा के लिए।
वर्तमान समाज में इस लिए लाखों में से एक विलक्ष्ण शख्सियत के मालिक एस.पी. सिंह जन-कल्याण के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय सितारे के रूप में उभरे हैं और सेवियर सिंह के रूप में जाने जाते हैं।
यहीं बस नहीं ओबराय के संरक्षण के तहत स्थापित एपैक्स समूह के अधीन स्थापित अपनी विश्वसनीयता तथा शक्तिशाली हिस्सेदारी के लिए जाना जाता है। एपैक्स समूह का मिशन है कि सकारात्मक तथा गतिशील योगदान से अपने मौजूदा तथा नए उपभोक्ताओं के लिए बढ़िया पहुंच वाली सेवा प्रदान कर सके। उन्होंने इस समूह कला सामग्री, मशीनों तथा नवीन टैक्नोलाजी का उचित प्रबंध भी स्वयं ही किया है। 
वैश्विक क्षेत्र में यह उपलब्धि अचंभित करने वाली तथा अपने-आप में विलक्षण एवं बेमिसाल मानी जा रही है। सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से मानवता ओबराय की सेवा को सार्थक करने के लिए वचनबद्ध है।
एस.पी. सिंह के स्थापित किए गए ट्रस्ट ने भारत की कितनी जेलों में हवा-पानी का प्रबंध किया है और कितने अस्पतालों को एम्बूलैंस वैनें दान की हैं, गिनती से बाहर है। इतना बता देना काफी होगा कि यह चैरिटेबल ट्रस्ट अब तक 142 व्यक्तियों की फांसी माफ करवा चुका है। प्रत्येक माफी के लिए उन्हें 50 लाख रुपये ब्लड मनी (दायी) के रूप में देने पड़े हैं। इनमें से 17 माफियां ट्रस्ट की स्थापति से दो वर्ष पहले की हैं।
मुझ से एस.पी. की इतनी साझ पड़ चुकी है कि मुझे इस बात का भी पूरा ज्ञान है कि उन्हें विदेशों से मिलने वाले सम्मान भारत से अधिक हैं और इनकी उपलब्धि में उनकी जीवन साथी मनिंदर कौर का बहुत सहयोग है। 

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