सदियों से इन्सान को परेशान कर रहे मच्छर

20 अगस्त विश्व मच्छर दिवस  पर विशेष

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक साल 2022 में दुनियाभर में 24.9 करोड़ लोग मलेरिया का शिकार हुए थे, जिसमें से 6 लाख लोगों को तमाम कोशिशों के बाद भी बचाया नहीं जा सका। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामूली से मच्छर इंसान के लिए कितने खतरनाक हैं। हालांकि मच्छरों से होने वाले सबसे बड़े खतरे को इंसान ने 1897 में ही खोज कर लिया था। जब ब्रिटिश चिकित्सक सर रोनाल्ड रॉस ने यह पता लगाया था कि खतरनाक मलेरिया रोग मादा एनाफिलीस मच्छर के द्वारा फैलता है। यह चिकित्सा इतिहास में इतनी बड़ी खोज थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस खोज के बाद हर साल मच्छरों से मरने वाले लोगों को बचाया जाना संभव हो सका। 
आजतक दुनिया में किसी भी बीमारी से इतने ज्यादा लोग नहीं मरे होंगे, जितने मच्छरों द्वारा फैलाये गये अनेक रोगों से मरे हैं। अगर इसका कोई रिकॉर्ड रखा जाता तो शायद ये मामूली से मच्छर जब से धरती पर हैं, तब से अब तक 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला चुके होंगे। इसलिए भले मच्छरों से होने वाले घातक संक्रमण खास तौर पर मलेरिया का पता सवा शताब्दी पहले लग चुका हो, लेकिन आज भी दुनिया न तो मलेरिया से और न ही मच्छरों द्वारा फैलाये जाने वाली दूसरी बीमारियों से मुक्त हो सकी है। इसलिए मच्छरों की इस भयावहता को बार बार इंसानों को याद दिलाने के लिए हर साल 20 अगस्त के दिन विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद है मच्छरों से होने वाली बीमारियों के बारे में जानना, उनके प्रति जागरूकता फैलाना, उनके रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देना और उन वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को याद करना, जिनसे मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिली है।
मलेरिया के कारणों की खोज इतनी बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि थी कि सर रोनाल्ड रॉस को इसके लिए 1902 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। वास्तव में विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरुआत डॉ. सर रोनाल्ड रॉस ने ही की थी ताकि हर साल लोग इस खोज के बहाने याद करें कि मच्छरों के खिलाफ सतर्क रहना कितना ज़रूरी है। इसलिए हर साल 20 अगस्त को भारत सहित पूरी दुनिया के देशों के जनस्वास्थ्य विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन और गैरसरकारी संगठन मिलकर लोगों में मच्छरों के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। इसके लिए विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, ग्राम सभाओं आदि में पोस्टर लगाकर, वीडियो प्रोग्राम दिखाकर, नुक्कड़ नाटक करके यानी किसी भी माध्यम से लोगों को मच्छरों की भयावहता के बारे में आगाह किया जाता है। दरअसल मच्छरों के कारण कोई एक दो नहीं आधा दर्जन से ज्यादा अलग-अलग तरह की बीमारियां फैलती हैं और आज भी इन बीमारियों से हर साल कई लाख लोग दम तोड़ देते हैं।
दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में मच्छर एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या हैं। भारत में भी मच्छर जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं। बरसात के मौसम में खास तौर पर मच्छरजनित बीमारियां हमारे यहां हजारों लोगों की जान ले लेती हैं। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया जो कि प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हर साल इस परजीवी से संक्रमित हजारों मामले दर्ज होते हैं। मच्छरों से फैलने वाली दूसरी प्रमुख बीमारी है डेंगू। इससे भी बड़ी संख्या में लोग मरते हैं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। डेंगू के अलावा चिकनगुनिया, जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के कारण होती है और यह भी खतरनाक व जानलेवा है। हालांकि जीका वायरस का प्रसार भारत में सीमित है, लेकिन दुनिया के पैमाने पर यह भी मच्छरों से होने वाली एक चिंताजनक बीमारी है। हालांकि भारत सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक भारत पूरी तरह से मलेरिया मुक्त हो जायेगा। लेकिन यह इसलिए अभी तक संभव नहीं लगता, क्याेंकि साल 2023 में भी 60 हजार से ज्यादा मलेरिया से संक्रमित केस सामने आये थे। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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