हैरी की सैर
पंवचन में एक बड़ा सा तालाब था। तालाब के किनारे तेजा नाम का ऊदबिलाव रहता था। वह बड़ा ही शरारती था। सारा दिन पानी में तैरता और छोटी-छोटी मछलियां पकड़ कर खाता। शाम को वह वापस अपने बिल में छिप जाता।
उसी तालाब के किनारे टैडी कछुआ भी रहता था। वह बड़ा चालाक था। वह भी तालाब में से मछलियां पकड़ कर खाता था।
एक दिन तेजा तालाब किनारे पर बैठा मछलियां खा रहा था कि उसके पास टैडी आया और बोला, ‘तेजा, आज तो मुझे एक भी मछली नहीं मिली। क्या तुम थोड़ी सी मछलियां मुझे भी दोगे?
‘हां हां, क्यों नहीं, और उस ने कुछ मछलियां उसे भी दे दी। उस दिन के बाद दोनों मिल कर इकट्ठे रहने लगे। वे जो भी काम करते, एक साथ मिल कर करते। उन्होंने मिल कर तालाब के किनारे एक छोटा सा घर भी बना लिया।
तालाब के किनारे एक पौधे की जड़ों के साथ एक बड़ा हरा पत्ता रस्सियों से बांध दिया था जिसके ऊपर बैठ कर टैडी तेजा को पानी में कलाबाजियां करते हुए देखता था।
उस तालाब में हैरी मेंढक भी रहता था। उसने जब तालाब के किनारे पर एक बड़ा हरा पत्ता देखा तो मन ही मन सोचा, ‘यह बिस्तर तो बहुत बढ़िया है। इस पर लेट कर तो मजे की नींद आएगी।
एक दिन जब तेजा और टैडी कहीं बाहर गए हुए थे, हैरी चुपचाप उस हरे पत्ते पर आ कर लेट गया। उसे उस पर लेटना अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर में हैरी की आंख लग गई और वह सोते-सोते सपना देखने लगा कि वह एक आलीशान बंगले में एक सुंदर से पलंग पर सोया हुआ है। हालांकि कभी-कभी उस की नाक पर कोई मक्खी भी आ कर बैठ जाती थी लेकिन हैरी मजे से सो रहा था।
थोड़ी देर बाद जब तेजा और टैडी वापस आए तो वे यह देख कर हैरान हो गए कि उनके हरे पत्ते पर हैरी मेंढक मजे से सो रहा है।
तभी तेजा को एक मजाक सूझा। उसने टैडी से कहा, ‘क्यों न आज हैरी मेंढक को सैर कराई जाए?
लेकिन टैडी ने मना कर दिया कि वह इस मामले में उसका साथ नहीं देगा।
भई टैडी, हम तो सिर्फ मजाक करेंगे, तेजा ने कहा। थोड़ी ही देर में दोनों ने एक योजना बना डाली।
पहले तेजा पानी के अंदर चला गया और धीरे-धीरे रस्सी को काटने लगा। थोड़ी देर बाद वह पानी से बाहर आ गया और फिर टैडी पानी के अंदर गया। उसने पूरी रस्सी ही काट दी। वह बड़ा हरा पत्ता धीरे-धीरे पानी में बहने लगा लेकिन हैरी को इस बात का बिल्कुल पता न चला कि जिस पत्ते पर वह मजे से सो रहा है, वह पानी में बहा जा रहा है।
थोड़ी ही देर में तेजा भागा भागा अपने पड़ोसियों को बुला लाया और उन्हें कहने लगा कि हैरी मेंढक कहीं खो गया है, उसे ढूंढना है।
थोड़ी ही देर में चूहा, गिलहरी, बंदर, खरगोश आदि दौड़-दौड़े आए और तालाब के किनारे खड़े हो कर देखने लगे कि हैरी मेंढक किधर गया है।
तभी तेजा भाग कर एक पेड़ पर चढ़ गया। उसने अपने हाथ में एक लंबा सा तिनका भी ले लिया था। जब उस के पेड़ के पास से हरा पत्ता निकला तो उसने ऊपर से तिनका हैरी की नाक में आहिस्ता से डाला।
हैरी की आंख खुल गई। उसने जब अपने आसपास पानी ही पानी देखा तो वह हैरान हो गया। उसने अपनी आंखें मली और देखा कि वह किनारे से काफी दूर आ गया है। तभी उसकी निगाह किनारे पर खड़े टैडी पर पड़ी जो तेजा के साथ मिल कर हंस रहा था।
उसने वहीं से आवाज़ दी, ‘अरे भाई टैडी, यह क्या मजाक है? तुम लोगों ने तो मुझे पानी में बहा दिया।’
हैरी को देख कर सभी हंसने, नाचने कूदने लगे। हैरी ने सबको देखा और फिर वह स्वयं भी हंसने लगा। ‘अच्छा, हैरी भाई, हम तुम को वापस उसी जगह पर ले आते हैं, ‘तेजा ने कहा और अपने साथी टैडी के साथ पानी के अंदर चला गया।’ दोनों ने पत्ते को पकड़ा और किनारे की ओर खींचना शुरू कर दिया लेकिन किनारे पर आकर उन्होंने देखा कि पत्ते पर कोई नहीं था।
वे हैरानी से इधर उधर देखने लगे। उन की नज़र पीछे गई तो उन्होंने देखा कि हैरी तो पहले से ही वहां बैठा है। दरअसल हुआ यह था कि हैरी बीच में ही पत्ते पर से पानी में कूद पड़ा था और पत्ते के पहुंचने से पहले ही तैरते-तैरते किनारे पर आ गया था।
हैरी बोला, कहो, कैसी रही?
और सभी एक साथ हंसने लगे। (उर्वशी)