व्यापारिक पक्ष से की जा सकती है गुलदाउदी के फूलों की कृषि 

गुलदाउदी एक बहुत ही महत्वपूर्ण फूलों की किस्म है। यह अक्तूबर से दिसम्बर माह तक फूलों की बहार देती है। पंजाब तथा चंडीगढ़ में दिसम्बर में गुलदाउदी की प्रदर्शनियां एवं प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाती हैं, जिनमें काश्तकार भाग लेकर सम्मान तथा ईनाम दोनों प्राप्त कर सकते हैं। युवा लड़के तथा लड़कियां यह कार्य व्यापारिक पक्ष से भी कर सकते हैं। गुलदाउदी के फूलों से भरा एक गमला 200 से 300 रुपये तक बिक जाता है। इस प्रकार के गमले व्यक्ति, निजी संस्थाओं, होटलों, मैरिज पैलेसों तथा बैंकों या कार्यालयों आदि की ओर से भी खरीदे जाते हैं। घरों में गुलदाउदी आसानी से गमलों में लगाई जा सकती है। 
गुलदाउदी से बढ़िया किस्म के फूल लेने के लिए तकनीकी जानकारी होना ज़रूरी है। गमलों में गुलदाउदी तैयार करने के लिए पहले मिट्टी का मिश्रण तैयार कर लेना चाहिए, जिसमें एक हिस्सा खेत की मिट्टी, एक हिस्सा अच्छी तरह गली-सड़ी रूढ़ी की खाद या केंचुए की खाद तथा एक हिस्सा पत्तों की खाद होनी चाहिए। गमले 10 से 12 फुट आकार के हो सकते हैं। एक क्यूबिक मीटर मिट्टी के मिश्रण में 2 किलो मिश्रण किसान खाद, सिंगल सुपरफास्फेट तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश डालना चाहिए। जब तक फूलों की बहार खत्म नहीं होती, रूट स्कोर्ज तोड़ते रहना चाहिए, नहीं तो फूलों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होगी। गुलदाउदी की किस्में दो तरह की होती हैं—पहली स्टैंडर्ड तथा दूसरी सपरे। फिर रंग तथा आकार के आधार पर आगे स्टैंडर्ड तथा सपरे की अन्य कई किस्में होती हैं। इनमें से सपरे किस्म के गुलदाउदी के फूलों का इस्तेमाल बुक्के, हार, लड़ियां, कट्ट फ्लावर तथा फ्लावर अरेंजमैंट आदि के लिए अधिक मात्रा में किया जाता है। स्टैंडर्ड किस्मों में सिंगल स्टिम रख कर साइड बड्ज़ तोड़ने पड़ते हैं और इसी प्रकार सपरे किस्मों में अधिक फूल लेने के लिए टर्मीनल बड्ज़ तोड़ने पड़ते हैं ताकि अधिक से अधिक नई शाखाएं प्राप्त की जा सकें। स्टैंडर्ड में तने को सहारा देने के लिए एक काने या बांस की छड़ी की ज़रूरत पड़ती है जबकि सपरे में 3 या 4 काने या बांस की छड़ियों की ज़रूरत होती है। फूलों के आकार तथा संख्या के आधार पर गुलदाउदी को अन्य कई ग्रुपों में बांटा जाता है, जिनमें इनकर्वड, इनकर्विंग, स्पून, स्पाइडर, सिंगल कोरियन, डबल कोरियन, पोमपन, बटन, रैक्फैकस्ड आदि हैं। 
गुलदाउदी को सफलता से तैयार करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। अधिक फूलों की प्राप्ति के लिए दिन भर में कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप आवश्यक है। गुलदाउदी के पौधों में बारिश का पानी अधिक देर खड़ा नहीं रहने देना चाहिए। अधिक तथा बढ़िया किस्म के फूल लेने के लिए सरसों की खल या बोन मील 15-20 दिनों के अंतराल से डाल देनी चाहिए। तने पर यदि सूखे पत्ते दिखाई देते हैं, तो उन्हें तोड़ देना चाहिए, नहीं तो फफूंद रोग लग जाते हैं। फफूंद रोगों से बचाव के लिए बाविस्टन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे कर देना चाहिए। सीज़न के अंत में मुरझाये हुए फूल तोड़ देने चाहिएं। ऐसा करने से अन्य नई बन रही बड्ज़ जल्दी खिल जाएंगी। ब्लूमिंग स्टेज पर फूलों को पानी नहीं लगना चाहिए, नहीं तो फूल जल्द खराब हो जाएंगे। पूर्व उप-निदेशक बागवानी पंजाब (सेवानिवृत्त फूलों के विशेषज्ञ) डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि कीड़े-मकौड़ों से बचाव करने के लिए 2 मिलीलीटर नीम तेल प्रति लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे कर सकते हैं। 
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने भी गुलदाउदी की कई किस्में विकसित की हुई हैं जैसे पूसा सोना, पूसा अरुणोदय, पूसा केसरी, पूसा आदित्य, पूसा चितराक्षा आदि। पूसा सोना किस्म के पौधे अन्य किस्मों से 20 दिन अगेती भाव अक्तूबर के अंतिम सप्ताह फूल देने शुरू करते हैं। यह किस्म गमलों में लगाने के लिए बहुत अनुकूल है। इस का फैलाव अच्छा (50-55 सैंटीमीटर) है, फूलों का रंग पीला तथा पौधे बौने  (25-30 सैंटीमीटर) होते हैं। पूसा अरुणोदय किस्म के पौधों की लम्बाई मध्यम (50-55 सैंटीमीटर) है। इस किस्म का फैलाव भी बढ़िया होता है। फूलों का घेरा 7 से 8 सैंटीमीटर तथा आकार दोहरा होता है। इस किस्म के फूल गुलाबी रंग के होते हैं। पूसा केसरी किस्म के पौधे बढ़िया फैलाव वाले तथा लम्बे (65 से 70 सैंटीमीटर) होते हैं। इस किस्म के फूलों का आकार 9 से 10 सैंटीमीटर तक होता है। इस किस्म के फूल कट फ्लावर तथा पौट प्रदर्शनी दोनों ही उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पूसा आदित्य किस्म का पौधा झाड़ी वाला होता है, जिस की शाखाएं 30-35 सैंटीमीटर तक होती हैं। पौधे की ऊंचाई 55 से 60 सैंटीमीटर तथा फैलाव 45 से 60 सैंटीमीटर तक होता है। पूसा चितराक्षा किस्म का पौधा भी झाड़ी वाला ही होता है, जो लम्बा (60 से 65 सैंटीमीटर तक) होता है और फैलाव भी बढ़िया होता है। यह सपरे किस्म की श्रेणी में आता है। गमलों तथा बागों में प्रदर्शनी के लिए अनुकूल है। व्यापारिक बाग लगाने के लिए इन किस्मों के पौधे व्यापारिक कम्पनियों से उपलब्ध हो जाते हैं, परन्तु बहुत-से पौधे काश्तकारों को स्वयं तैयार कर लेने चाहिएं, जिससे लाभ अधिक होगा।  

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