दुश्मनों के लिए काल है राफेल

राफेल की कई विशेषताएं हैं जो दुश्मन के मन में भय पैदा करती हैं, समय पर कहर भी बरपा सकती है और हमारी सीमाओं की सुरक्षा की गांरटी भी हैं। पहली विशेषता यह है कि ये दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों और सेमी स्टील्थ तकनीक से लैस है। दूसरी विशेषता यह कि 24500 किलोग्राम का भार आसानी से उठा कर ले जा सकता है। तीसरी विशेषता इसकी यह है कि मात्र एक मिनट में ही 60 हजार फीट की ऊंचाई पर जा सकता है। चौथी  यह कि हवा से जमीन पर मार करने के लिए स्केल्प मिसाइल से लैस है। इसकी पांचवीं विशेषता 17000  किलोग्राम फ्यूल क्षमता की है। छठी विशेषता इसमें हवा से हवा मार करने वाली मीटिवोर मिसाइल लगी है। सातवीं विशेषता यह  कि इसकी अधिकतम 2222 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड है। आठवीं विशेषता इसकी यह है कि यह परमाणु हथियारों को सुरक्षित ले जाने की क्षमता रखता है। नौवीं विशेषता इसकी यह है कि इसमें इजरायल का हेलमेट माउंट डिस्प्ले लगा हुआ है। इसकी दसवीं विशेषता यह है कि यह किसी भी मौसम मेें उड़ान भरने और अपने निशाने को हिट करने की क्षमता रखता है।पांच राफेल विमान फ्रांस से अम्बाला नौसेना के अड्डे पर राफेल विमान पहुंच गये। भारतीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से राफेल की शक्ति बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है। राफेल देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने और दुश्मन देशों के नापाक इरादों को विफल करने की गारंटी देता है। पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन भी राफेल की इस शक्ति के सामने भयभीत है। राफेल की शक्ति जुड़ने से नरेन्द्र मोदी की छवि और पराक्रम में भी वृद्धि हुई है। नरेन्द मोदी अपने पहले कार्यकाल से ही राफेल को लेकर न केवल गंभीर थे बल्कि राफेल को भारतीय सेना में शामिल कराने को लेकर सक्रिय रहे हैं। निश्चित तौर पर राफेल की शक्ति हासिल करना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक एवं सामरिक जीत है जो दुश्मन देशों को भयभीत करने और उनके द्वारा भारत को कमजोर आंकने की मानसिकता पर प्रहार करती है। दुश्मन शक्तियां वर्षों से राफेल हासिल करने के क्षेत्र में रोड़ा बनी हुई थीं, वे नहीं चाहती थीं कि भारत राफेल विमान हासिल करे। राफेल डील को निलंबित रखने के लिए बहुत सारी अड़चनें डाली गईं। झूठ यह भी परोसा गया कि राफेल लड़ाकू विमान भारत की सुरक्षा चुनौतियों को पूरा नहीं करता है, राफेल की क्षमता बहुत कमजोर है। राफेल भारत के गर्म मौसम में अपनी क्षमता का अधिकतम परिणाम नहीं दे सकता। बुद्धिजीवियों ने यह अफवाह फैलायी थी कि राफेल खरीद करने पर चीन नाराज हो सीमा पर युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर देगा।  मनमोहन सिंह के 10 वर्षों के शासन काल के दौरान राफेल डील को निलंबित रखा गया।  चीन राफेल खरीद को लेकर निरन्तर मनमोहन सिंह सरकार को गर्दन पकड़ कर बैठा रहा भारतीय सेना लगातार कहती रही कि सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान रखते हुए राफेल जैसे विमानों की तुरंत खरीद जरूरी है। ध्यान देना यहां यह जरूरी है कि समझौता होने के बावजूद राफेल जैसे लड़ाकू विमान तुरत-फुरत नहीं मिलते। इनके लिए कम से कम पांच साल का समय लगता है। इस देरी ने भारतीय नौ-सेना को चिंता में डाल रखा था।चीन और पाकिस्तान जैसे शत्रु देशों से दरपेश सुरक्षा चुनौतियों से जूझने के लिए तथा भारतीय सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए राफेल जैसे लड़ाकू विमानों की खरीद जरूरी थी। नरेन्द्र मोदी जब सत्ता में आये तो उनके सामने यह एक यक्ष प्रश्न था। अंतर्राष्टीय स्तर पर भी कूटनीतिक तौर पर भारत को ब्लैकमेल किया जा रहा था।   निश्चित तौर पर चीन और पाकिस्तान के लिए राफेल लड़ाकू विमान एक गंभीर संदेश है। भारत अब अपनी सेना की चुनौतियों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। फ्रांस ही नहीं बल्कि अमरीका, इजरायल और रूस के साथ लगातार रक्षा समझौते कर कर रहा है। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस आज इसलिए शक्तिमान हैं क्योंकि उनके पास आर्थिक शक्ति के साथ ही साथ सामरिक शक्ति भी है। भारत को भी अगर दुनिया में सम्मान के साथ रहना है तो  अपनी सामरिक शक्ति भी मजबूत करनी होगी। चीन ने अभी लद्दाख के अंदर जो कारस्तानी की है, उससे निपटने के लिए राफेल अचूक हथियार साबित होगा। 

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