क्या केन्द्र में अब विशुद्ध भाजपा की सरकार है ?

केन्द्रीय मंत्रिमंडल से अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद अब मोदी सरकार में सहयोगी दलों का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है। यानी केंद्र में अब एनडीए की नहीं बल्कि शुद्ध भाजपा की सरकार है। हालांकि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ  इंडिया के रामदास अठावले अभी बतौर राज्यमंत्री मोदी सरकार में हैं, लेकिन व्यावहारिक तौर पर वह भी भाजपा के ही हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी का महज एक विधायक है और उसे भाजपा ने ही राज्यसभा में भिजवाया है। हरसिमरत कौर के इस्तीफे और पासवान के निधन से पहले भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना भी एनडीए से अलग हो चुकी थी और उसके कोटे से केंद्रीय मंत्री बने अरविंद सावंत ने इस्तीफा दे दिया था। इस प्रकार केंद्रीय मंत्रि परिषद में अब कैबिनेट स्तर के मंत्रियों की संख्या 21 रह गई है, जो सभी भाजपा के हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले सभी नौ राज्यमंत्री भी भाजपा के ही हैं, जबकि 23 अन्य राज्य मंत्रियों में सिर्फ  अठावले ही तकनीकी रूप से गैर भाजपायी हैं।
बिहार चुनावों का प्रभाव
बिहार में भाजपा और जनता दल (यू) मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं, मगर सीट बंटवारे को लेकर जिस किस्म का विवाद हुआ है, उससे दोनों पार्टियों के बीच गहरा अविश्वास पैदा हुआ है। यही नहीं, बड़ी संख्या में भाजपा नेताओं के लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने से भी जद (यू) नेता नाराज हैं। बिहार में आम चर्चा है कि चुनाव के बाद भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनवाने का दांव चलेगी और तब जद (यू) से तालमेल खत्म भी हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। इसकी संभावना इस वजह से भी है कि भाजपा के कई नेता अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले अन्ना डीएमके को कोई अहम जिम्मेदारी देने की बात कर रहे हैं। उसे केंद्र सरकार में शामिल करने की चर्चा है। अगर बिहार में समीकरण बदलता है तो अन्ना डीएमके के किसी नेता को राज्यसभा का उप-सभापति बनाया जा सकता है। राज्यसभा में अन्ना डीएमके के नौ सांसद हैं। राज्यसभा में बहुमत से दूर खड़ी भाजपा के लिए इनका बहुत महत्व है।
संसद का अगला सत्र 
लोकसभा का अगला सत्र कौन सा होगा? जानकारों के मुताबिक शीतकालीन सत्र अगले महीने बुलाए, जाने को लेकर संदेह की स्थिति है, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से पिछले दो सत्र प्रभावित हुए हैं। मार्च का बजट सत्र जल्दी खत्म करना पड़ा था और तो सितम्बर में हुए मानसून सत्र में दर्जनों की संख्या में सांसद और मंत्री संक्रमित हुए, जिसकी वजह से 18 दिन के सत्र को एक सप्ताह पहले ही खत्म करना पड़ा। अब भी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के संक्रमित होने का सिलसिला चल रहा है। कोरोना की वजह से अब तक एक केंद्रीय मंत्री और दो सांसदों की मौत हो चुकी है। सर्दियों में कोरोना संक्रमण ज्यादा फैलने की आशंका है। इसीलिए इस बात का अंदेशा जताया जा रहा है कि शायद इस साल नवम्बर-दिसम्बर मेें शीतकालीन सत्र न हो। सितम्बर में सत्र का आयोजन हुआ है इसलिए सरकार के पास अगला सत्र बुलाने के लिए छह महीने का समय है। इसलिए संभव है कि अगला सत्र बजट सत्र हो, जो जनवरी के आखिरी सप्ताह में शुरू हो। सरकार के पास अभी कोई भी विधायी काम भी लंबित नहीं है। सारे अध्यादेश पिछले सत्र में पारित कराए जा चुके हैं। इसलिए भी शीतकालीन सत्र टालने में दिक्कत नहीं होगी। यह भी कहा जा रहा है कि अगले साल जनवरी तक वैक्सीन आ चुकी होगी तो उसके जरिये सांसदों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
नोटबंदी संबंधी एक और घोटाला 
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले चार साल में कई बड़े कारनामे किए हैं। कुछ कारनामे उसे सरकार के दबाव में भी करने पड़े हैं। अब नोटबंदी के घोटाले को लेकर नए कारनामे का पता चला है। लखनऊ में रिजर्व बैंक की शाखा में अक्तूबर 2017 से लेकर मार्च 2018 के बीच एक करोड़ पांच लाख रुपए के नकली नोट जमा हुए। ये नोट पांच सौ और एक हज़ार रुपए के पुराने नोट हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था। 31 मार्च 2017 सारे पुराने नोट जमा करने का समय दिया गया था। उसके बाद जून तक विशेष परिस्थितियों में या बाहर रहने वाले लोगों के पुराने नोट जमा हुए। इसके बाद भी थोड़े समय तक खास परिस्थितियों में पुराने नोट जमा होते रहे। सवाल है कि जब पुराने नोट जमा करने का समय खत्म हो गया था तो अक्तूबर 2017 से मार्च 2018 तक कौन लोग पुराने नोट जमा करने लखनऊ के रिजर्व बैंक में पहुंचे थे? हैरान करने वाली बात यह है कि इन छह महीनों में 9,753 नोट पांच सौ के और 5,783 नोट एक हजार के ऐसे जमा हुए, जो नकली हैं। जाहिर है, सिर्फ  नकली नोट तो जमा हुए नहीं होंगे। इसका मतलब है कि करोड़ों रुपए और जमा हुए, जिनमें एक करोड़ पांच लाख के नकली नोट थे। अब जाकर इस मामले में मुकद्दमा दर्ज हुआ है। 
चलते-चलते
प्रधानमंत्री द्वारा पेश की गई नई थ्योरी के मुताबिक अगर हम भारत-चीन सीमा पर टर्बाइन लगाकर हवा में से ऑक्सीजन खींच लें तो घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीनी सैनिक दम घुटने से मर जाएंगे। यही प्रयोग पाकिस्तान से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों पर भी आजमाया जा सकता है!