दो महाद्वीपों में फैला शहर इस्तांबुल

तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल (पुराना नाम कौंसटैटीनोपोल) को यह सम्मान हासिल है कि यह विश्व का एक मात्र शहर है जो दो महाद्वीपों एशिया और यूरोप में फैला हुआ है। इसका नींव पत्थर 11 मई, सन् 1330 ईस्वी में बाइज़नटाइन साम्राज्य के प्रसिद्ध सम्राट कैनसटैंटीन महान ने रखा था। सिल्क रोड पर स्थित होने के कारण बाइज़टाइन साम्राज्य की राजधानी यह शहर 14 सदियों तक यूरोप का सबसे अधिक जनसंख्या वाला खुशहाल शहर रहा। वर्ष 1453 में तुर्की के सुल्तान महम्मूद द्वितीय ने इसका कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम बदल कर इस्तांबुल कर दिया। इस समय इसकी जनसंख्या एक करोड़ 60 लाख है और यह 2,576 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके एक तरफ काला सागर और दूसरी तरफ भू-मध्य सागर। बासफोर्स की 300 मीटर चौड़ी खाड़ी इसके यूरोपियन और एशियन हिस्से को दो भागों में बांटती है। इसकी खूबसूरती को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ से अधिक पर्यटक आते हैं।इस्तांबुल में सैकड़ों ही विश्व प्रसिद्ध देखने योग्य स्मारक हैं। लेकिन निम्नलिखित स्मारक सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।
हेगिया सोफिया अजायबघर 
इसाई धर्म फिलिस्तीन के बाद सबसे पहले बाइज़नटाइन में फैले और फिर यूरोप और फिर पूरे विश्व में पहुंच गया। बाइज़नटाइन सम्राट कौनस्टैंटीन ईसाई बनने वाला पहला राजा था। उसने हेगिया सोफिया चर्च का निर्माण 15 फरवरी सन् 360 ईस्वी में शुरू करवाया जो वर्ष 537 में 230 वर्ष बाद सम्राट जस्टीनियन के राज्य के दौरान पूर्ण हुआ। शुरुआत में यह छोटी-सी चर्च थी। लेकिन आने वाले वर्ष में इसका इतना विस्तार किया गया कि यह ईसाई धर्म का केन्द्र बिन्दू बन गई। मुख्य चर्च की लम्बाई 82 मीटर, चौड़ाई 73 मीटर एवं ऊंचाई 55 मीटर है। इसका पूरा निर्माण सफेद एशलर पत्थर से किया गया है। इस्तानबुल की जीत के बाद वर्ष 1453 में सुल्तान महम्मूद ने इसको मस्जिद में तबदील कर दिया। 1923 के दौरान तुर्की में तख्ता पलट हो गया और राजशाही को हटा कर लोकतांत्रिक सरकार अस्तित्व में आ गई। प्रथम प्रधानमंत्री कमाल अतातुर्क ने 1 फरवरी, 1935 में इसे अजायबघर में तबदील कर दिया। अब इसे प्रत्येक वर्ष 40 लाख से अधिक पर्यटक देखने के लिए आते हैं। इसके विशाल गुम्बद और शानदार मीनार है। इसके भीतर और बाहर ईसाई एवं मुस्लिम धर्म से संबंधित बेमिसाल चित्रकारी, बुत्त तराशी और मीनाकारी की गई है। 1985 में इसे यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरीटेज साइट घोषित किया गया था। 
तोपकापी पैलेस
तोपकापी पैलेस का निर्माण सुल्तान महम्मूद द्वितीय ने तुर्की के सुल्तानों की सरकारी रिहायश और कार्यालय के तौर पर वर्ष 1478 में करवाया था और यह इस्तानबुल के फतेह ज़िले में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 7 लाख वर्ग मीटर है। भिन्न-भिन्न सुल्तानों के द्वारा इसका विस्तार वर्ष 1665 तक जारी रहा। इसके चार मुख्य भाग और कुछ छोटी इमारतें हैं। सुल्तान के हरम की इमारत सबसे शानदार है। वर्ष 1856 तक यह सुल्तानों की सरकारी रिहायश बनी रही है।  जब तक सुल्तान अब्दुल माजिद ने अपनी रिहायश नये बने डोमबैश महल में तबदील कर ली। 1924 में तोपकापी पैलेस को भी अजायबघर में तबदील कर दिया गया। इस पैलेस में सैकड़ों बैडरूम, कार्यालय एवं एक मुख्य दरबार हाल है। ऑटोमान कला के शाही कपड़े, हथियार, ऐतिहासिक दस्तावेज़, धार्मिक पत्र सहित विश्व प्रसिद्ध स्पूनमेकर हीरा और तोपकापी खंजर यहां प्रदर्शित हैं। यह भी यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरीटेज साइट है।
नीली मस्जिद (सुल्तान अहमद मस्जिद)
इस मस्जिद का निर्माण 1616 ई.वी. में सुल्तान अहमद द्वारा करवाया गया था। प्रतिदिन नमाज़ अदा करने वाले मोमनो के अलावा हज़ारों पर्यटक इसे देखने हेतु आते हैं। इसके भीतर सुल्तान अहमद की कब्र, एक मदरसा और देसी दवाखाना चल रहा है। मस्जिद के गुबंदों पर नीली टाइलें लगी होने के कारण इसे नीली मस्जिद कहा जाता है। इसके 13 गुबंद, 6 मीनार, सैकड़ों पिल्लर एवं 300 बड़ी खिड़कियां हैं और यह हेजिया सोफिया के निकट स्थित है। इसकी भवन निर्माण कला पर हेजिया सोफिया का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है। इस मस्जिद की विशेषता यह है कि इसमें सिर्फ सुल्तान को घोड़े पर बैठ कर दाखिल होने की इजाज़त थी। इस मस्जिद का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि सभी नमाज़ी इमाम को प्रत्येक कोने से देख और सुन सकते हैं। 2020 में इसकी बड़े स्तर पर मुरम्मत की गई है। 
ग्रैंड बाज़ार
ग्रैंड बाज़ार विश्व का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध बाज़ार है। 30,700 वर्ग मीटर में फैले हुए इस बाज़ार की 61 गलियां और 4 हज़ार दुकानें पत्थर की मेहराबदार छत से ढकी हुई हैं। यह विश्व स्तर पर इतना प्रसिद्ध है कि प्रतिदिन 5 लाख से अधिक पर्यटक इसे देखने और खरीदारी करने के लिए आते हैं। इसे विश्व का प्रथम शापिंग मॉल माना जाता है। यह किले के भीतर पुराने शहर में स्थित है। अधिकतर कपड़ों की दुकानें होने के कारण इसका तुर्की नाम कैवाहर बदस्तान (कपड़ों की मंडी) है। शुरुआती रूप में इसका निर्माण 1455 में सुल्तान महम्मूद ने शुरू करवाया, जो 1461 में खत्म हुआ। सदियों तक इसका विस्तार होता रहा है। इस बाज़ार के 18 गेट हैं, जो रात 10 बजे से लेकर आगामी सुबह 8 बजे तक बंद रहते थे। इस समय यहां मुख्य तौर पर आभूषण, कपड़े, इत्र एवं मसालों सहित रोज़मर्रा की लगभग हर ज़रूरत की वस्तु बिकती है। 
बासीलीका जल भंडार
पुरातन इंजीनियरिंग कला की उदाहरण बासीलीका जल भंडार पुराने इस्तानबुल के पीने वाले पानी की ज़रूरत पूरी करने वाला विशाल जमींदोज़ भंडार है। जिसका निर्माण 6वीं सदी में सम्राट् जस्टीनियन द्वारा हेजिया सोफिया से लगभग 150 मीटर दूर क रवाया गया था। यह जल भंडार 138 मीटर लम्बा, 65 मीटर चौड़ा और 9 मीटर गहरा है तथा इसमें उतरने के लिए 52 सीढ़ियां बनाई गई हैं। इसकी 28 लाख क्यूबक फुट पानी स्टोर करने की समर्था है। इसकी छत को सहारा देने के लिए शानदार मीनाकारी वाले 336 संगमरमर के स्तम्भ बने हुए हैं। इस जल भंडार को 15 हज़ार गुलामों ने 10 वर्ष की सख्त मेहनत के बाद तैयार किया था। आस-पास के क्षेत्रों को सेम और सीलन से बचाने के लिए सभी और चार मीटर मोटी ईंटों के फर्श के साथ सील कर दिया गया। इसमें पानी 19 किलोमीटर दूर से धरती के नीचली नदी के द्वारा बैलग्रेड जंगल के चश्मों से आता है। यह इतना प्रसिद्ध है कि जेम्स बॉंड की फिल्म ‘विद लव फ्राम रशिया’ सहित अनेक सुपरहिट हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। इसके ऊपर एक शानदार ब़ाग बनाया गया है। 
डोमबैश महल
डोमबैश महल का निर्माण सुल्तान अब्दुलमैसिद प्रथम ने 1843 में शुरू करवाया, जो 1856 में पूर्ण हुआ। सुल्तान अब्दुलमैसिद विश्व घूमने के बहुत शौकीन थे। उन्हें लगा तोपकापी पैलेस यूरोपियन राजाओं के महलों जितना आधुनिक और खूबसूरत नहीं है। डोमबैश महल इस्तानबुल के यूरोपियन की ओर बासफोर्स खाड़ी के किनार पर स्थित है। इस महल के निर्माण पर आज के हिसाब से 15 अरब की लागत आई थी। यह उस समय तुर्की का एक वर्ष के बजट के समान था। इस खर्च ने तुर्की की आर्थिक स्थिति खस्ता कर दी जो धीरे-धीरे इसे बर्बादी की ओर ले गई तथा प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हो गई। इसी कारण डोमबैश महल को आज भी तुर्की में मनहूस समझा जाता है। 1938 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। इसका रकबा 12 एकड़ है और इसमें 285 कमरे, 46 हाल, 6 हमाम एवं 68 शौचालय हैं। इसकी भवन निर्माण कला यूरोपियन है। कला के अन्य नजाब नमूनों सहित महल में विश्व प्रसिद्ध चित्रकारों के बनाये हुये दुलर्भ चित्र लगे हुए हैं। उपरोक्त स्थानों के अलावा इस्तानबुल में विशेष तौर देखने योग्य बासफोर्स की खाड़ी, गलाता टावर, रेस कोर्स और तक्सीम चौक आदि विश्व प्रसिद्ध स्थान हैं।

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