साझा विरासत का शहर कोल्हापुर

कोल्हापुर में जैन संस्कृति की कुछ विरासत मौजूद है, लेकिन यहां मूर्तियों, मंदिरों का खजाना भी है। इतिहास में किसी समय उत्तर भारत में जबरदस्त अकाल पड़ा। नतीजतन बड़ी संख्या में लोग, जिनमें जैन भिक्षु व भिक्षुणियां भी शामिल थीं, दक्षिण की तरफ  कूच कर गये।  जो उत्तर में थे, वे श्वेताम्बर हो गये और जो दक्षिण में गये थे, दिगम्बर हो गये। कोल्हापुर में दोनों श्वेताम्बरों व दिगम्बरों के साथ भट्टाराका भी हैं। यह दिगंबर समुदाय का एक गुट है, जिसके जिम्मे महत्वपूर्ण धार्मिक व सामाजिक गतिविधियों का निर्वाह होता है। वे मठ में रहते हैं और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं। ऐसे मठ आज कर्नाटक व महाराष्ट्र में फैले हुए हैं।कोल्हापुर में महास्वामी श्री लक्ष्मीसेना जैन मठ है। इस मठ में एक मंदिर है और पहले तीर्थंकर ऋषभदेव की मूर्ति भी।  जानकारी के अनुसार यह मंदिर आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभा को समर्पित है। खैर, मंदिर के प्रवेशद्वार पर एक स्तंभ है जिस पर सभी 12 राशि चिन्हों की नक्काशी की हुई है। कोल्हापुर में जगह-जगह मंदिर हैं, जो दोनों हिन्दू व जैन परम्पराओं से प्रभावित हैं। विख्यात महालक्ष्मी मंदिर किसी ज़माने में जैन मंदिर था। इसे करीब से देखने पर इसकी दीवारों की अनेक नक्काशियां जैन पौराणिक कथाओं का उल्लेख करती हैं। कोल्हापुर से 17 किमी के फासले पर ज्योतिबा मंदिर है, जो भगवान ज्योतिबा (ब्रह्मा, विष्णु व महेश के अवतार) को समर्पित है। इसका निर्माण 1730 में नवाजिसाया ने कराया था। मान्यता यह है कि राक्षस रत्नासुर से युद्ध में महालक्ष्मी की मदद ज्योतिबा ने की थी। हर साल वैशाख व चैत्र की पूर्णिमा पर यहां मेले लगते हैं और श्रद्धालु उसी समय इस मंदिर में आने को प्राथमिकता देते हैं। कोल्हापुर से 15 किमी की दूरी पर बाहुबली पहाड़ी है। जानकारी के अनुसार यह पहाड़ी बाहुबली नामक साधु के नाम पर है, जिसने यहां तप किया, न कि ऋषभदेव के पुत्र बाहुबली के नाम पर। साथ ही एक छोटे से मंदिर में ऋषभदेव को बैठी हुई मुद्रा में दिखाया गया है। यह अति सुंदर मूर्ति कर्नाटक सीमा पर एक किसान को उस समय मिली थी, जब वह अपने खेत को जोत रहा था। कोल्हापुर में समवशरण ऋषभदेव की जागृति के बाद पहले उपदेश को समर्पित है। यह सुंदर भी है और दिल को स्पर्श करने वाला भी क्योंकि यह एक ऐसे व्यक्ति की कथा है, जो जागृति के बाद सांस लेने वाली हर चीज़-पौधे, पेड़, पशु या मानव, चाहे जिस भी जाति, धर्म या रंग की हो, का मार्गदर्शन करते हैं। समवशरण इस बात की अच्छी मिसाल है कि किस तरह हर कोई सत्य की तलाश करता है।  

                     
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 
 

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