कलात्मक पद-चिन्ह—3 तारों के छाज से अंधेरों को दूर करने वाली  मनजीत इंदिरा

सन् 2016 के लिए शिरोमणि पंजाबी कवि का सम्मान प्राप्त करने वाली मंजीत इंदिरा पंजाबी कविता का विशेष चेहरा, विलक्षण शख्सियत है। दस काव्य पुस्तकों, दो आलोचना, एक वार्तक की पुस्तक की रचयिता मंजीत इंदिरा की बहुत सी कविताएं उर्दू, हिन्दी और उज़्बेक भाषा में अनुवादिक हुई हैं। उनके गीतों ने पंजाबी भाषा को नया समर्थन दिया। रेशमा, दिलराज कौर, हंस राज हंस, डोली गुलेरिया और अन्य बहुत से गायकों ने उनके द्वारा लिखे गीत गाये। 20 वर्ष तक सरकारी कालेजों में अध्यापन वाली मंजीत इंदिरा 10 वर्ष तक बतौर डिप्टी डायरैक्टर (कालेजिज़ पंजाब) रही एक गौरवशाली शख्सियत है। पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सीनियर सैकेंडरी भाग-2 में उनकी कविता पाठ्यक्रम में शामिल है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में उनकी एक कविता शामिल है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के सिलेबस की काव्य रंग पुस्तक में भी उनकी कविता शामिल है।
मंजीत इंदिरा की पारिवारिक पृष्ठभूमि उनकी ऊंची परवाज़ में सहायता करने वाली है। 24 फरवरी 1950 को पैदा हुई मंजीत बजवाड़ा (होशियारपुर) की धरती से संबंध रखती हैं। पिता स. हरभजन सिंह कलसी जो कि ज़िला शिक्षा अधिकारी थे और माता सरदारनी निरंजन कौर संगीत से जुड़ी शख्सियत थीं, की लाडली मंजीत ने एम.ए.,एम.फिल पंजाबी करके 20 वर्ष तक अध्यापन का कार्य निभाया। अंतहकरण, काला ब़ाग, चन्दरे हनेरे, तारियां का छज्ज, पूर्ति-अपूर्ति को आवाज़ लगाई है। अल्प, रोह-विद्रोह, तांडव आदि पुस्तकों की रचयिता मंजीत अपने जीवन में अपने पिता का विशेष स्थान समझती हैं, जिन्होंने अच्छे संस्कार देकर मंजीत को ज़िन्दगी के बड़े रास्तों पर चलाया  और उड़ान भरने के लिए खुला आसमान दिया। साहित्यिक प्रतिभा को उसके अध्यापक ज्ञानी भाग सिंह ने पहचाना और सातवीं कक्षा में पढ़ते हुए उनकी पहली रचना जो कि एक लेख के रूप में है, ‘बीबा राणा’ नाम की मासिक पत्रिका में छपवाई। प्रो. मोहन सिंह ने भी मंजीत इंदिरा को काव्यक नेतृत्व दिया। डा. एस.एस. रंधावा ने प्रोफैसर मोहन सिंह के साथ इंदिरा की मुलाकत करवा कर उनके मार्ग को प्रशस्त करने में योगदान डाला।
वह अपनी कविता और स्वभाव में ब़गावत और समर्पण केस्वर एक ही समय में महसूस करती हैं। वह अपने स्वाभिमान के साथ विचरण करने वाली शख्सियत है। 1974 से लगातार साहित्यक जगत में पहचानी जाने वाली इस शख्सियत की कविता में प्यार, आधुनिक महिला का अस्तित्व और अधिकारों के प्रति चेतनता का खुल कर प्रगटावा किया है। उन्होंने समय की नज़ाकत को भांपते हुए एतिहासिक घटनाक्रम  के ऊपर भी काव्य रचना की है। उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में महिला को अबला होने का निर्गुण और हीनता भरा अहसास दिलाने वाली प्रवित्तयों को उजागर करने के साथ-साथ महिला की मन की समस्याओं को बयां किया है। 
उनके सम्मानों की लम्बी शृृंखला है कुछ चुनिंदा ईनामों में बैस्ट वुमैन पोयाएट अवार्ड (पंजाब आर्ट कौंसिल आफ पंजाब-2010), स्टेट अवार्ड साहित्य अकादमी चंडीगढ़ (2011), इंटर स्टेट अवार्ड आंध्र प्रदेश सरकार 2016, साहित्यक शिरोमणि अवार्ड (वर्ल्ड राइटर्स एसोसिएशन 2015), लेजिसिएटिव असैंबली अल्बर्टा एडमिन्टन कनाडा में दिसम्बर 2019 में, करतार सिंह पंछी अवार्ड (रोशन कला केन्द्र 2020), स्टेट अवार्ड पंजाब सरकार (पंजाब आर्ट कौंसिल 2020) और अब भाषा विभाग की ओर से मिला शिरोमणि कवि अवार्ड आपकी कविता के निखार और विकास के लिए एक प्रोत्साहन का कार्य करेगा।  ‘अजीत समाचार’ की ओर से इस सम्मान के लिए मुबारकबाद।  
-हंसराज महिला महाविद्यालय (एच.एम.वी.), जालन्धर।