आप भी रह सकते हैं वृद्धावस्था में स्वस्थ 

वृद्धावस्था प्रकृति का अटूट नियम है। प्राय: हर इंसान को इस अवस्था से गुजरना पड़ता है। यदि इस अवस्था का स्वागत किया जाए तो आप इस अवस्था में होने वाली परेशानियों को कम कर सकते हैं। इस हेतु हमें कुछ नियमों का पालन बचपन से ही करना चाहिए। जो लोग बचपन से नियमबद्ध चलते हैं, वे अपना बुढ़ापा अन्य लोगों से बेहतर व्यतीत करते हैं।
युवावस्था में नियमों का पालन सहजता से किया जा सकता है जो वृद्धावस्था में करना मुश्किल होता है क्योंकि वृद्धावस्था में शरीर उतना चुस्त नहीं रहता। फिर भी कुछ नियमों को अपनाया जाए तो वृद्धावस्था में भी स्वस्थ रहा जा सकता है।
व्यायाम
 व्यायाम और योग से शरीर में दृढ़ता आती है। वृद्धावस्था में थोड़ा चलना, प्राणायाम, शारीरिक क्रि याएं, हल्के आसन  और सूर्य नमस्कार  शरीर को चुस्त रखते हैं और शरीर दिन भर तरोताज़ा रहता है। वृद्धावस्था में अधिक नर्म बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। इससे कमर झुक जाती है। तख्त पर या कॉयर के गद्दों पर सोना चाहिए। वृद्धावस्था में अधिक झुक कर बैठने या काम करने से मेरूदण्ड झुक जाता है और पेट अन्दर की तरफ धंस जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि अधिक झुक कर न बैठें और न ही अधिक झुक कर अधिक देर तक काम करें।
आंख, नाक की रक्षा
 आंखों की सफाई के लिए गुलाब जल आंखों में डालें या त्रिफला भिगोकर प्रात: उस पानी को निथार कर पानी से आंखें धोएं। अधिक तेज प्रकाश में बाहर न निकलें। सूर्य की ओर न देखें। कम रोशनी में पढ़ाई न करें। इन सबसे आंखों की तकलीफ बढ़ती है। 
नाक ही सिर का द्वार है। नाक से ही मस्तिष्क के सभी रोगों की शुद्धि होती है। नाक बन्द होने की स्थिति में डॉक्टर से जांच करवायें या हल्के गर्म पानी में चुटकी भर नमक  डाल कर हथेली में पानी लें और लम्बी सांस लेकर खींचें। 
दांतों की रक्षा और जीभ की सफाई 
दांतों की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रात: उठने के बाद और रात के खाने के बाद दांतों की सफाई करनी चाहिए। वृद्धावस्था में अधिकतर लोगों के नकली दांत होते हैं। उन लोगों को हर खाने के बाद दांत निकाल कर उन्हें साफ करना चाहिए। रात को सोने से पहले दांतों को किसी सुरक्षित डिब्बी में रखना चाहिए। 
शरीर की सफाई 
 हर आयु में शरीर की सफाई करना बहुत आवश्यक होता है। मौसम अनुसार स्नान करें। गर्मी में ताजे पानी से प्रतिदिन नहाएं और सर्दी में गुनगुने पानी से स्नान करें। अधिक सर्दी होने पर एक दिन छोड़कर नहाएं। जिस दिन आप स्नान नहीं करना चाहते, उस दिन गीले तौलिए से अपने शरीर को पोंछ कर धुले वस्त्र पहनें ताकि शरीर में ताजगी बनी रहे।
मालिश 
 मालिश से त्वचा में रक्त का प्रवाह ठीक  रहता है और शुष्क त्वचा नार्मल बनी रहती है पर इस बात का ध्यान रखें कि मालिश हल्के हाथाें से करें या करवाएं। त्वचा शुष्क होने की स्थिति में तेल की मालिश उचित रहती है। नियमित मालिश से झुर्रियां कम पड़ती हैं, आयु बढ़ती है, नींद अच्छी आती है और त्वचा मजबूत बनती है। सिर और पांव के तलुवों की मालिश करते रहना चाहिए।
नींद 
 इस आयु तक पहुंचते पहुंचते नींद कम हो जाती है क्योंकि इस आयु में शरीर अधिक काम नहीं कर पाता और दिन में अधिक आराम के कारण रात्रि में नींद अच्छी नहीं आती। ऐसे में थोड़ा बहुत काम करते रहें। दिन में सोयें नहीं ताकि रात में सो सकें।
विश्राम
 इस अवस्था में शरीर उतना सक्रि य नहीं रहता। थोड़ा काम करने के बाद शरीर को आराम की जरूरत महसूस होती है। वृद्धावस्था में जो काम करें, शांति से करें। जल्दी न करें जिससे अधिक थकान कम न हो। शरीर को सक्रि य रखें। विश्राम अधिक समय तक न करें। थोड़ा थोड़ा विश्राम शरीर को एनर्जी देता है। (स्वास्थ्य दर्पण)