गणतंत्र दिवस परेड और सरकार की विदेश नीति

भारत में गणतंत्र दिवस परेड पर भी इस बार कोरोना की काली छाया नजर आएगी। 72वें गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने इसके लिए स्वीकृति भी प्रदान कर दी थी किन्तु वहां कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने और महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए उनका दौरा रद्द कुछ दिनों पहले रद्द किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि बनाने की परम्परा रही है और देश की आजादी के बाद से अब तक अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस खास अवसर पर राजपथ परेड में शामिल हो चुके हैं। दरअसल भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आने का निमंत्रण विदेशी गणमान्यों के लिए एक विशेष सम्मान होता है लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री का दौरा रद्द होने के कारण इस बार गणतंत्र दिवस परेड पर कोई विदेशी मेहमान मुख्य अतिथि नहीं होगा।वर्ष 1993 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉन मेजर गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे और अगर इस वर्ष बोरिस जॉनसन आते तो यह सम्मान पाने वाले वह ब्रिटेन के दूसरे प्रधानमंत्री होते। पिछले 55 वर्षों में पहली बार ऐसा होगा, जब गणतंत्र दिवस परेड के लिए कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा। इससे पहले 1966 में ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। तब गणतंत्र दिवस परेड से केवल दो दिन पहले ही 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने शपथ ली थी। देश की आजादी के बाद से इस बार यह चौथा ऐसा अवसर होगा, जब भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में किसी भी देश का शासनाध्यक्ष मुख्य अतिथि नहीं होगा। 1966 के अलावा 1952 तथा 1953 में भी ऐसा हो चुका है। हालांकि कई बार ऐसे अवसर भी आए हैं, जब गणतंत्र दिवस समारोह में दो-दो अतिथि भी शामिल हुए। वर्ष 1956, 1968 तथा 1974 में गणतंत्र दिवस परेड में दो-दो मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। 
 2015 से 2019 तक उनके कार्यकाल के दौरान आमंत्रित किए गए कुल 15 अतिथियों का विशेष महत्व रहा, फिर चाहे वह दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा रहे हों या खाड़ी देश के प्रमुख अथवा आसियान देशों के 10 राष्ट्राध्यक्ष। उससे पूर्व मनमोहन सिंह के दो पारियों के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में केवल 9 विदेशी अतिथियों को ही आमंत्रित किया गया था और उस दौरान विदेशी अतिथियों को अपनी सुविधा के आधार पर आमंत्रित किया जाता था। पिछले 6 वर्षों में विदेश नीति काफी बदली है और विदेशी अतिथियों को बुलाने के मामले में गणतंत्र दिवस समारोह महज एक परम्परा बनकर नहीं रह गया है।संप्रग कार्यकाल में वर्ष 2005 में भूटान के राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुकए 2006 में सउदी अरब के किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ला अजीज, 2007 में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, 2008 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी, 2009 में कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति नुरसुल्तान नजरबायेव, 2010 में कोरियाई राष्ट्रपति ली मीयूंग बाक, 2011 में इंडोनशियाई प्रधानमंत्री सुसीलो बामबंग सुधोनो, 2012 में थाईलैंड की प्रधानमंत्री सिंगलुक शिनावात्रा, 2013 में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक तथा 2014 में जापानी प्रधानमंत्री शिंबे आबे गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 66वें गणतंत्र दिवस समारोह में वर्ष 2015 में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा शामिल हुए थे। 2016 में 67वें गणतंत्र दिवस समारोह में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकोइस ओलांद भारत आए थे। 2017 के 68वें गणतंत्र दिवस समारोह में अबु धाबी के प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहन को भारत आमंत्रित किया गया था और उस दौरान राजपथ पर निकाली गई परेड में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सेना का एक दल भी शामिल हुआ था। 2018 में 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में तो एसोसिएशन ऑफ  साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के 10 राष्ट्राध्यक्ष एक साथ समारोह में बतौर अतिथि शामिल हुए थे। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था। 

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