टीवी परोस रहा है आंख -दिमाग की बीमारियां

वर्तमान में टीवी मनोरंजन का एक अत्यन्त लोकप्रिय साधन है। बच्चे, जवान एवं बूढ़े सभी इसके रंग में रंग चुके हैं। आज हर गांव, हर शहर में टी. वी. अपनी धाक जमा चुका है लेकिन मनोरंजन देने के साथ-साथ यह आंख और दिमाग की बीमारियां भी परोस रहा है। विशेषकर यह बच्चों को सर्वाधिक प्रभावित कर रहा है।अधिक टीवी देखना बच्चों के दिमाग एवं आंखों को नुकसान पहुंचा रहा है। टीवी से निकलने वाली कैथोड किरणें तेरह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के दिमाग के लिए घ्त्रतक हैं। इससे प्रभावित बच्चे का इलाज होना भी असंभव है।  टीवी के विकिरण से बच्चों के दिमाग में घातक किस्म के रसायन निकलते हैं। इससे बाईं ओर का मस्तिष्क पूरी तरह निष्क्रि य हो जाता है जबकि दाईं ओर के मस्तिष्क पर इसका उल्टा असर पड़ता है जो इसमें सक्रि यता ला देता है। इससे बच्चों के विकास में बाधा आ जाती है। उनका व्यक्तित्व असंतुलित हो जाता है।मस्तिष्क के दाएं भाग की अधिक सक्रि यता एवं बाएं भाग की निष्क्रि यता शरीर को शिथिल कर देती है। इसका प्रमुख कारण ’इंडोर्फिस‘ नामक रसायन है जो मस्तिष्क की असंतुलित अवस्था में अधिक निकलने लगता है। अधिक टीवी देखने से बच्चों की एकाग्रता एवं सहनशक्ति भी घट जाती है। वे कुंत्र एवं अवसाद से ग्रस्त होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त उनकी स्मरण शक्ति, विश्लेषण एवं भावनात्मक नियंत्रण की क्षमता घट जाती है। वे पढ़ने में कमज़ोर रह जाते हैं छोटी-मोटी रोजमर्रा की आवश्यक बातों को भूल जाते हैं। टीवी देखते समय भी कुछ बच्चों का परीक्षण किया गया, जिसमें यह पाया गया कि बच्चे टीवी देखते समय अर्द्धचेतना की अवस्था में होते हैं। इस बारे में वैज्ञ्त्रनिकों का कहना है कि इलाज द्वारा टीवी देखने से होने वाले नुकसानों की भरपाई लगभग असंभव है। हम केवल सुरक्षा के समुचित उपायों का उपयोग करके बच्चों एवं बड़ों को टीवी देखने से होने वाली हानियों से बचा सकते हैं। 

(स्वास्थ्य दर्पण)