8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष क्या महिलाओं को मिला है समानता का अधिकार ?

भगवान ने इस सृष्टि की रचना की है और इसमें कई प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों को जोड़ा है। जीव-जंतुओं  से इस सृष्टि को सजा दिया है, लेकिन इनमें से सबसे विलक्ष्ण और आश्चर्यजनक रचना पुरुष और महिला की है। महिला भगवान की सबसे अच्छी और बहुमूल्य रचना है। जितना धैर्य, संतोष और सहनशीलता भगवान ने दी है शायद किसी और जीव को दी हो। अपने जीवन में विचरण करती हुई महिला कई रिश्तों को निभाती है, कभी बेटी, कभी मां, कभी पत्नी और कभी बहन कर सभी रिश्तों के कर्त्तव्य को निभाती है।
महिला पर पुरुष से भी अधिक ज़िम्मेदारियों का बोझ होता है। यदि बात सच्चाई की करें तो पिछले समय से आज की महिला अपने पांवों पर खड़ी होकर कुछ सीमा तक अपने अधिकारों की लड़ाई को जीत रही है। एक समय था जब महिला को पांवों की जूती समझा जाता था, लेकिन आज की महिला को स्वयं पर विश्वास है और वह अपने बलबूते पर स्वयं को सिर का ताज होने का सम्मान प्राप्त किया है। यदि प्रत्येक क्षेत्र पर  प्रकाश डाला जाए तो आज की महिला ने हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की हैं। जीवन में आने वाली प्रत्येक चुनौती का सामना करती हुई पुरुष के समान कंधे से संधा मिला कर अपने अधिकार प्राप्त किए हैं। प्रत्येक क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करके महिला ने अपने माता-पिता का नाम ऊंचा किया है, लेकिन यह बात थी कि एक पढ़े-लिखे वर्ग की, यदि बात गांव के क्षेत्रों और घरों  की चार-दीवारी में रह रही महिलाओं की करें तो महिला की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। आज भी घर में रह रही महिला पिता, पति, भाई और समाज की ओर से घृणा का शिकार हो रही है। आज भी एक युवा लड़की को कालेज जाने के लिए अपने माता-पिता की स्वीकृति लेनी पड़ती है। आज भी बेटियों को गर्भ में मार दिया जाता है। आज भी बेटियों के साथ गलत काम हो रहे हैं। आज भी बेटी को अंधेरे में अकेले चलने से डर लगता है। यदि समानता के अधिकार की बात करें तो कहीं न कहीं लड़का और लड़की में अन्तर होने का एहसास करवा दिया जाता है। मेरा सवाल है उन सभी लोगों से जो महिला को पुरुषों से कम समझते हैं। जो महिला बच्चे को जन्म देने जैसा बड़ी पीड़ा सहन कर सकती है उसे हम पुरुष से कैसे कम कह सकते हैं? महिला को भगवान की ओर से आशीर्वाद मिला होता है, उसे पुरुष की तरह जीवन जीने का पूरा अधिकार है। यदि हम वर्ष का एक दिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाते हैं तो हमें इसे एक बड़े स्तर पर मनाना चाहिए। हम सभी का यह कर्त्तव्य बनता है कि हम महिला को पुरुषों के समान अधिकार दिलायें और उन्हें पूरे अवसर प्रदान करवायें। महिला शक्ति का नाम है, जगत जननी है। उसे सिर्फ प्यार की ज़रूरत है, घृणा की नज़रों से न देख कर महिला को सिर्फ प्यार और सम्मान देना चाहिए। माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ायें और आगे बढ़ा कर अधिक से अधिक अवसर प्रदान करें ताकि बेटी अपने माता-पिता का नाम विश्व में ऊंचा कर सके।