क्या है बुमराह की रिकॉर्ड-तोड़ गेंदबाज़ी का राज़ ?

इंग्लैंड के विरुद्ध विशाखापत्तनम में दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन जसप्रीत बुमराह ने जिस शानदार गेंद पर जो रूट को आउट किया, उसमें थोड़ी सी रिवर्स स्विंग थी, लेकिन इंग्लैंड बैटर्स की दयनीय स्थिति का यह सार नहीं है। जॉनी बैरस्टो संभवत: जाल में फंस गये थे कि लम्बे समय तक इनस्विंगर की लाइन में रहते हुए वह वाइड, लेंथ बॉल को एज कर बैठे। बेन स्टोक्स को पिच के असमतल उछाल पर शिकायत अवश्य थी, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप की पिचों पर स्वीकार करके आगे बढ़ना होता है, लेकिन जिस गेंद ने वास्तव में ओली पोप, इंग्लैंड और संभवत: सम्पूर्ण क्रिकेट मेटावर्स को आश्चर्य में डाल दिया वह हवा में लहराती हुई तेज़ योर्कर थी, जिसने पोप के स्टंप्स को उखाड़ दिया। इस गेंद ने हमें बताया कि जसप्रीत बुमराह के संसार में सबकुछ संभव है। इसलिए यह ताज्जुब की बात नहीं है कि एशिया में पाकिस्तान के वकार यूनुस (27 टेस्ट) के बाद बुमराह (34 टेस्ट) तेज़ गेंदबाज़ों में सबसे तेज़ 150 टेस्ट विकेट लेने के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। 
यह अलग बात है कि इस जादुई आंकड़े को स्पर्श करने के मामले में भारत में स्पिनर्स आर अश्विन (29 टेस्ट, 2015) व रविन्द्र जडेजा (32 टेस्ट, 2017) उनसे आगे हैं और एरापल्ली प्रसन्ना (34 टेस्ट, 1975) व अनिल कुंबले (34 टेस्ट, 1997) उनके साथ हैं। हालांकि अपने ताज़ा कारनामें (विशाखापत्तनम टेस्ट में इंग्लैंड की पहली पारी में मात्र 45 रन देकर 6 विकेट) को बुमराह जादुई नहीं मानते हैं, लेकिन उनका स्पेल विशेष अवश्य था। वह बताते हैं, ‘गेंद सख्त थी और रिवर्स कर रही थी। जब गेंद रिवर्स कर रही हो तो आपको जादुई गेंद करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अगर आपको भारत में विकेट लेने हैं, तो आपको रिवर्स स्विंग करना तो आना ही चाहिए। मैंने शायद सामान्य स्विंग करने से पहले रिवर्स स्विंग करना सीख लिया था; क्योंकि धीमे विकेटों पर अधिक खेलने पर आप जान जाते हैं कि आपको क्या करना है।’ 
भारत में बुमराह का केवल यह छठा टेस्ट था। पिछले महीने उन्होंने केप टाउन में दक्षिण अफ्रीका पर जीत में 61 रन देकर 6 विकेट लिए थे। वैसे परम्परा तोड़ने का ही दूसरा नाम है जसप्रीत बुमराह। बोलिंग क्रीज़ की तरफ अनियंत्रित ढंग से दौड़ते हुए, सीने को सामने रखकर और फिर एकदम सीधे हाथ से बहुत तेज़ गेंद करना, वह भी निशाने पर- बुमराह यह कुछ निरंतर सफलता के साथ उच्च स्तर पर कैसे कर लेते हैं, यह विशेषज्ञों के लिए भी अभी तक रहस्य बना हुआ है। बुमराह ने सफेद गेंद से डेथ-ओवर माहिर के रूप में शुरुआत की थी और अब वह टेस्ट क्रिकेट में घातक न्यू-बॉल गेंदबाज़ बन गये हैं। बुमराह में तेज़ी से आये इस परिवर्तन को 2019 में सभी ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध एंटीगुआ में देखा था। एक ऐसी भूमि जो कभी क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाजों की कर्मभूमि थी, उस पर बेहतरीन तेज़ गेंदबाज़ी का प्रदर्शन करना, अपने आपमें किसी सम्मान से कम नहीं था।
बहरहाल, जब दुनियाभर के वीडियो समीक्षक बुमराह की अंदर आती हुई तेज़ गेंदों (इन-डिपर) की समीक्षा करने में लगे हुए थे, तो बुमराह ने अपना एक नया रूप दिखाया था; एंटीगुआ में उन्होंने लेट आउटस्विंग गेंदें फेंकीं और मात्र 7 रन देकर 5 विकेट लिए। उन्होंने जिस जिस गेंद पर विकेट लिए, वह राइट-हैंड बल्लेबाज़ से बाहर निकली और लेफ्ट-हैंड बल्लेबाज़ के लिए अंदर आयी। पांच विकेट लेने में उनसे कम रन सिर्फ दो अन्य गेंदबाजों ने दिए हैं। ऑस्ट्रेलिया के एर्नी तोशैक ने 1947-48 में ब्रिस्बने में भारत के विरुद्ध मात्र 2 रन देकर 5 विकेट लिए थे और ऑस्ट्रेलिया के ही बर्ट आयरनमोंगर ने 1931-32 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6 रन देकर 5 विकेट लिए थे, जबकि दक्षिण अफ्रीका के वेरनों फिलैंडर ने 2012-13 में केप टाउन में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 7 रन देकर ही 5 विकेट लिए थे।
अपनी सफलता के बारे में बुमराह का कहना है, ‘मैं पहले इनस्विंगर फेंकता था, लेकिन जैसे-जैसे अधिक टेस्ट मैच खेलने का अवसर मिला तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ा, खासकर इंग्लैंड के दौरे के बाद और मैं आउटस्विंगर भी करने लगा। मेरी गेंदों में बहुत मेहनत होती है और मैं हमेशा अपने में सुधार लाने का प्रयास करता रहता हूं।’ तो बुमराह की सफलता का राज़ है कि वह निरंतर अपनी गेंदबाज़ी में सुधार लाते रहते हैं और चमत्कार करते रहते हैं। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि एशिया में कपिल देव, ज़हीर खान, जवागल श्रीनाथ, इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनुस, चमिंडा वास जैसे महान तेज़ गेंदबाज़ हुए हैं, लेकिन बुमराह ही एशिया के एकमात्र गेंदबाज़ हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया व वेस्टइंडीज में 5-5 विकेट लिए हैं। मुहम्मद शमी ने ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका व इंग्लैंड में 5-5 विकेट लिए हैं और मुहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज व दक्षिण अफ्रीका में 5-5 विकेट लिए हैं यानी शमी को वेस्टइंडीज में और सिराज को इंग्लैंड में यह कारनामा करना शेष है। 
बुमराह की कला का एक बेहतरीन नमूना यह है कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध बॉक्सिंग डे टेस्ट के चौथे दिन भारतीय गेंदबाज़ कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे थे। लंच से पहले की आखिरी गेंद फेंकने के लिए जैसे ही जसप्रीत बुमराह अपने रन-अप मार्क पर पहुंचे तो मुंबई इंडियंस में उनके कप्तान रहे रोहित शर्मा (जो अब भारतीय कप्तान भी हैं और उस समय विराट कोहली कप्तान थे) ने उनसे कहा, ‘आखिरी गेंद है, तुम धीमी गेंद क्यों नहीं ट्राय करते। वाइट बॉल क्रिकेट में तो तुम इसका खूब प्रयोग करते हो, तो यहां क्यों नहीं ट्राय करते?’ रोहित के सुझाव पर बुमराह ने धीमी योर्कर डाली और सेट बल्लेबाज़ शौन मार्श जाल में फंसकर आउट हो गये। यह गेंद वर्ष 2018 की सर्वश्रेष्ठ गेंद के रूप में खेल प्रेमियों की याद में चस्पा हो गई है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर