अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र अब प्राइवेट अंतरिक्ष कम्पनियों के लिए भी एक खुला बाज़ार बन चुका है। कई प्राइवेट अंतरिक्ष एजेंसियां इस क्षेत्र में विकसित टैक्नॉलोजी के साथ अब अंतरिक्ष यान और रॉकेट तैयार कर रही हैं। अब तक सिर्फ इसरो ही भारत की एकमात्र एजेंसी हुआ करती थी जो रॉकेट और उपग्रह बनाने और इनको सफलतापूर्वक लांच करने का काम कर रही थी। भारत में अब बहुत सारे अंतरिक्ष ‘स्टार्ट-अप’ खुल गये है, जिन्होंने अपनी तकनीक का विकास किया है। ये ‘स्टार्ट-अप’ भारत के ‘स्पेस एक्स’ बनने की तरफ बढ़ रहे हैं। समझने की ज़रूरत है कि स्पेस एक्स अमरीका की सबसे बड़ी प्राइवेट अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र की संस्था है जोकि विश्व प्रसिद्ध उद्योगपति एलन मस्क द्वारा चलाई जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में भेजने का उद्योग अब बहुत बड़ा बाज़ार बन चुका है और ऐसे में भारत में भी अनेकों ऐसे प्राइवेट प्रतिष्ठान स्थापित हो गये है, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम स्थापित किया है। आओ भारत के कुछ प्राइवेट और सरकारी अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के बारे में जानें :-
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड 
6 मार्च, 2019 को भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के नेतृत्व में स्थापित किए गये इस कार्यालय का काम छोटे अंतरिक्ष यानों के लिए रॉकेट तैयार करना है। बेंग्लुरु में स्थित इस प्रतिष्ठान का काम उद्योगों की मदद के साथ अंतरिक्ष संचार को विकसित करना भी है। इस प्रतिष्ठान को बनाने का उद्देश्य यह था कि यह प्रतिष्ठान व्यापारिक मिशनों के काम करे और इसरो को अनुसंधान के कामों पर ही ध्यान केंद्रित करने दिया जाए। 2022 में इस प्रतिष्ठान द्वारा ‘वन वैब’ कम्पनी के 36 छोटे उपग्रह धरती के निचले आर्बिट में स्थापित किये गये थे। यह प्रतिष्ठान भारतीय सेना को भी आधुनिक संचार की सुविधाएं प्रदान करेगा।
ध्रुव स्पेस 
 हैदराबाद में स्थित यह प्राइवेट प्रतिष्ठान सन् 2012 में संजय श्रीकांच नेकांती द्वारा स्थापित किया गया था। यह कम्पनी व्यापारिक, सरकारी और अकादमिक कामों के लिए छोटे-छोटे अंतरिक्ष यान तैयार कर रही है। 30 जून, 2022 को ध्रुव अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘1-यू’ नाम के अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजने की सफलतापूर्वक जांच की थी और इसको अंतरिक्ष एजेंसी ‘इसरो’ के भविष्य के मिशनों के लिए तैयार भी किया था। इससे पहले सितम्बर, 2020 में यह कम्पनी अंतरिक्ष उपग्रहों के डिज़ाइन बनाने और उपग्रहों को तैयार करने वाली पहली भारतीय प्राइवेट कम्पनी बनी थी, जिसको दूसरे संस्थानों द्वारा भी काम मिलने शुरू हो गये थे।
स्काई रूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड 
 यह एक भारतीय निजी अतंरिक्षयान संस्थान है जो अंतरिक्ष वाहनों का निर्माण करता है और व्यापारिक अंतरिक्षयानों को अंतरिक्ष में भेजने का कार्य करता है। इसका मुख्य कार्यालय हैदराबाद, तेलंगाना में है। यह कम्पनी इसरो में काम कर चुके इंजीनियरों तथा वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई है। यह प्रतिष्ठान अपनी ‘विक्रम’ नामक श्रृंखला के तहत कम लागत वाले छोटे राकेटों को तैयार कर रहा है। इन राकेटों का विशेषता यह है कि ये कम समय में तैयार किये जा सकते हैं। एस संस्थान को पास पूरी तरह पुन: इस्तेमाल करने योग्य राकेट तैयार करने की योजना तथा तकनीक दोनों हैं। 18 नवम्बर, 2022 को ‘स्काइरूट एयरोस्पेस’ ने भारत की धरती से पहले बार निजी रूप में तैयार किये गये राकेट को दागने का कार्य सफलतापूर्वक किया था।    
अग्निकुल कौस्मौस प्राइवेट लिमिटेड 
 यह एक भारतीय अंतरिक्ष यान तैयार करने वाली प्राइवेट कम्पनी है जो कि ‘आई.आई.टी.’ चेन्नई में स्थित है। इसके द्वारा ‘अग्निबाण’ जैसे अंतरिक्ष रॉकेट विकसित करने की योजना है जोकि महज़ 100 किलो वज़न के छोटे अंतरिक्ष जहाज़ को 700 किलोमीटर ऊंचे आर्बिट में पहुंचाने की समर्था वाले होंगे। यहां यह जानने की ज़रूरत है कि इस प्रतिष्ठान द्वारा रॉकेट भेजने वाले इंजन की तैयारी साल 2021 में कर ली गई थी। इसके अलावा इस कार्यालय द्वारा अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान भेजने का टैस्ट परीक्षण भी साल 2023 में किया जा चुका है। कम्पनी द्वारा दिखाई जा रही कार्यगुजारी को देखते हुए ‘महिंदरा कम्पनी’ के मालिक आनंद महिंदरा ने अग्निकुल में निवेश की साझ डाली है।
इसरो 
 भारत की सरकारी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ‘इसरो’ देश की सबसे पुरानी अंतरिक्ष एजेंसी है जोकि पिछले 55 सालों से देश की सेवा कर रही है। इसरो विश्व की 6 प्रमुख सरकारी एजेंसियों में से एक है जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास का काम करती है। इस संस्था के पास ‘साफ्ट लैंडिंग’ भाव अंतरिक्ष यान को दूसरे ग्रह या उपगृह पर आराम से उतारने की समर्था उपलब्ध है। इसरो ने कई अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में लांच किया है, जिनका काम दूरसंचार और टैलीविज़न प्रसारण में सहायता करना और मौसम संबंधी जानकारियां देना और धरती पर पैदा होने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुनामी, ज्वालामुखी का फटना, भूकम्प का आना और सूखा पड़ना आदि जैसे आपातकालीन हालातों के बारे जानकारियां देना आदि शामिल है। इसरो ने अब तक कई बड़ी-बड़ी प्राप्तियां की हैं जैसे उसके द्वारा ‘चंद्रयान-1’, ‘चंद्रयान-2’ और ‘अदित्य एल-1’ भेजकर पूरे संसार में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ज्ञान को पहली कतार में लाकर खड़ा किया गया है। सन् 2013 में मंगल ग्रह के पास अपना ‘आर्बिटर’ भेजने वाला भारत पहला देश बना था। इसरो की गम्भीर कोशिशों के कारण पहले ही कोशिश में ऐसी सफलता प्राप्त करने वाला भारत विश्व में पहला देश बना था। 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर ‘चंद्रयान-3’ को उतारने भाव ‘सोफ्ट लैंडिंग’ कराने वाला इसरो विश्व का पहला अंतरिक्ष प्रतिष्ठान बनाया था। इसके साथ ही ‘गगनयान’, ‘शुक्रयान’ और ‘चंद्रयान-4’ की तैयारी ज़ोरों के साथ चल रही है।
निसार 
 यह भारत और अमरीका का एक संयुक्त राडार प्रोजैक्ट है जिसके पास दुनिया भर की विलक्षण किस्म की राडार प्रणाली विकसित करने की समर्था है। यह दुनिया भर की आधुनिक टैक्नॉलोजी का प्रयोग करने वाला सबसे पहला राडार है जो धरती ग्रह की समस्या पैदा करने वाली प्रक्रियाओं जैसे भूकम्प आना, सुनामी आना, बर्फ के पहाड़ों का पिघल जाना, ज्वालामुखियों का फूटना और ज़मीन का खिसकना आदि जैसी गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की मदद करेगा। इससे प्राप्त होने वाला डाटा पैदा होने वाली प्राकृतिक आपदाओं वाले हालातों से अवगत कराएगा और मुश्किलों के हल के लिए सहायता भी करेगा। निसार से मिला डाटा धरती के विकास की जानकारी देगा और जलवायु में आ रही तबदीलियों संबंधी अवगत भी कराएगा। इस डाटा से भविष्य में पैदा होने वाले खतरों की जानकारी भी मिल सकेगी और इन खतरों का हल ढूंढने में सहायता भी मिलेगी।
उक्त कुछ बातों से पता चलता है कि आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र का भविष्य बहुत ही शानदार रहेगा और औद्योगिक पक्ष से भी इसके विकसित होने की काफी सम्भावनाएं रहेंगी।

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