एक मुलाकात

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)
अंदर पहुंचते ही मुझे ऐसा लगा कि मैं जन्नत में आ गया हूं, जगह-जगह कलात्मक पेंटिंग्स लगी हुई थीं। झाड़-फानूसों से रोशनी बिखर रही थी। दीवारों से सटकर आदमकद अप्सराओं की मूर्तियां मादकता बिखेर रही थीं पूरे फर्श पर बेशकीमती कालीन बिछा हुआ था। हाल में हल्की गुलाबी-सी रोशनी छाई थी। हल्की धीमी आवाज में कोई इंगलिश-टयूनिंग माहौल में उत्तेजना भर रही थी। कई जोड़े डांसिंग फ्लोर पर एक-दूसरे की कमर में हाथ डाले थिरक रहे थे।
एक इठलाती, बलखाती सी बाला मेरी ओर बढ़ी चली आ रही थी। आगे बढ़कर उसने गिलास मेरे ओठों से लगा दिया। उसके अपने चेहरे पर चिपकी मुस्कुराहट, अस्त-व्यस्त कपड़ों से मेरे अंदर एक सनसनी सी पैदा कर दी। मैंने उसके नाजुक हाथों से गिलास ले लिया और एक ही सांस में पूरा उतार लिया। वह एक के बाद एक गिलास मेरी ओर बढ़ाती चली गई। मुझे बिल्कुल ही नहीं मालूम कि मैं कितने गिलास चढ़ा चुका होऊंगा। अब उसने मेरा हाथ थाम लिया और अब वह डांसिंग फ्लोर की ओर बढ़ने लग जाती है। डांसिंग फ्लोर पर मैं न जाने कब तक डांस करता रहा। मुझे याद नहीं और न ही वह कथित मित्र मुझे याद आया।
सहसा माईक पर एक स्वर उभरता है। ‘लेडीज एण्ड जेन्टलमैन’, थिरकते हुए जोड़े थम जाते हैं। प्राय: सभी की निगाहें डायस की ओर मुड़ जाती हैं। वह कोई और नहीं मेरा अपना कथित मित्र था। फ्लैश लाइट में वह हीरे का सा जगमगा रहा था। उसने मौन भंग करते हुए मेरा नाम लेकर पुकारा और कहा कि मैं डायस पर पहुंच जाऊं। बहके हुए कदमों से मैं वहां पहुंच जाता हूं।
बड़े मनोहारिक तरीके से उसने मेरा परिचय दिया। कहा, ‘दोस्तो...आप इन्हें नहीं जानते। ये एक अच्छे गीतकार हैं, तथा गायक भी हैं। इनके अंदर एक से बढ़कर एक अनमोल खजाने छुपे हुए हैं और जब ये गाते हैं तो लगता है कि कोई झरना आकाश से उतर रहा हो और मीठी स्वर लहरी बिखेर रहा हो पर...अचानक उसकी सूई ‘पर’ पर अटक जाती है। लोग अपनी सांसों को रोककर आगे कुछ सुनना चाह रहे हैं। पर वह एक लंबी चुप्पी साध लेता है। थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा, ‘हां तो दोस्तो, मैं तो इनके बारे में एक चीज बतलाना तो भूल ही गया। जानते हैं, इनकी जेब में अब भी एक सिक्का और दो चवन्नियां पड़ी हैं। वर्ष के अंतिम दिन, ये बेचारे जश्न नहीं मना पा रहे थे। रास्ते में इनसे अनायास ही मुलाकात हो गई और मैं इन्हें यहां उठा लाया। शायद मैंने ठीक किया वरना आज महफिल बिना गीत-संगीत के सूनी-सूनी सी लगती।’
उसके उद्बोधन को सुनकर मेरा सारा नशा जाता रहा। मुझे ऐसा लगा जैसे स्वर्ग से उठा कर धरती पर फेंक दिया गया होऊं। अपने आप को संयत करते हुए मैंने माईक सम्हाला और कहा, ‘मित्रो, मैं अभी तक इस व्यक्ति को नहीं जान पाया जो मुझे उठाकर यहां लाया। इन्होंने अपनी ओर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। और मैंने इन्हें एक विश्वास के साथ गले लगाया था। यह घटना ज्यादा पुरानी नहीं है अपितु चंद घंटों पहले की है। इन्होंने दोस्ती को ऐसे झटक दिया जैसे धूल पड़ने पर आदमी अपने कपड़े झाडने लगता है। अब मैं इन्हें दोस्त कहूं या दुश्मन। खैर जो भी हो, इन्होंने एक विश्वास तोड़ा है, एक दिल तोड़ा है और जब दिल टूटता है तो एक दर्द भरा गीत मुखरित होता है...’
गीत गाते-गाते मैं लगभग रुआंसा हो गया था। अब फफक कर रो पड़ता हूं, तमाम लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा, मैं नहीं जानता और न ही जानना उपयुक्त समझा। जिस मजबूती के साथ उसने मेरी कलाई थामी थी, उससे कहीं दूनी ताकत से मैंने उसका हाथ पकड़ा और लगभग घसीटता हुआ उसे बाहर ले आया। बाहर आते ही मैं वाक्ययुद्ध पर उतर आया था।
‘मित्र, तुमने मुझे जिगरी यार कहा-दोस्त कहा, मेरे गले में हाथ डाला और चिकनी-चुपड़ी बातें बनाकर यहां ले आए। तुमने मेरा स्वागत बड़ी गर्मजोशी के साथ किया। तुमने सबकी नजरों में मेरा मान बढ़ाया तो दूसरी ओर, तुमने मेरे साथ बड़ा ही भद्दा मजाक भी कर डाला। तुमने मुझे जलील किया। आखिर क्यों?’ मैं एक सांस में न जाने कितना कुछ बोल गया। परंतु वह न जाने किस मिट्टी का बना था कि उस पर कोई असर ही नहीं हो रहा था। बल्कि मेरे द्वारा अपमानित किए जाने के बावजूद उसके चेहरे पर पूर्व की तरह मंद-मंद मुस्कान खेल रही थी। उसने न तो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की और न ही प्रयास किया। बल्कि मेरे आंखों में आंखें डालकर उसने कहा, ‘अच्छा मित्र तो तुम मेरा नाम जानना चाहते हो! तो सुनो मेरा नाम वक्त है। लोग मुझे समय के नाम से भी जानते हैं। मैं विगत कई वर्षों का मिला-जुला रूप तुम्हारे सामने खड़ा हूं। बस कुछ ही मिनटों के बाद मैं तुमसे विदाई ले लूंगा और फिर तुम्हारे सामने एक नूतन वर्ष के रूप में-एक नई सदी के रूप में प्रकट हो जाऊंगा। सारी दुनिया एक नई सदी का बेसब्री से इंतजार कर रही है। पर मित्र जाते-जाते मैं तुमसे एक पते की बात कहे जा रहा हूं। सच कहूं तुम मेरे अब भी मित्र हो। मैंने तुम्हें हकीकत के दर्शन कराए हैं। एक वास्तविकता से परिचित कराया है। और तुम हो कि बुरा मान गए। 
मेरी एक बात हमेशा ध्यान में रखना, जिस तरह तुम अपने गीतों में नये-नए रंग भरते हो-ठीक उसी की तरह अपने जीवन में ऐश्वर्य का भी रंग भरो। जी तोड़-ईमानदारी से मेहनत करो और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ चलो। खूब धन कमाओ। बलशाली बनो। धन एक ऐसी शक्ति है जिससे तुम अध्यात्म के शिखर पर भी जा सकते हो। सिद्धार्थ किसी भिखारी के घर नहीं जन्मे थे बल्कि वो राजा के बेटे थे, राजकुमार थे। धन बल से तृप्त होने के बाद ही वह बुद्ध कहला पाए। मैं भी उन्हीं का साथ देने को तत्पर रहता हूं जो सचमुच में कुछ बनना चाहते हैं। अच्छा दोस्त अब मैं विदा ले रहा हूं सारी दुनिया मेरी बाट जोह रही है।’
सारा शहर पटाखों की गूंज से थिरक उठा। एक आतिशबाजी रंग-बिरंगी फुलझड़ियां बिखेरती हुई आसमान की तरफ उठती है। सहसा मेरा ध्यान उस ओर बंध जाता है तभी एक जोरदार धमाका होता है। काली अंधेरी रात में, नीले आकाश के बोर्ड पर एक-एक शब्द क्त्रमश: उभरते चले जाते हैं-हैप्पी न्यू ईयर’, ‘वेलकम न्यू ईअर’, ‘स्वागतम  नई शताब्दी।’ नजरें झुका कर देखता हूं, वह गायब हो चुक ा था। (समाप्त)