नारियल प्रेमी भीमकाय दस्यु केकड़ा

दस्यु केकड़ा एक अद्भुत जीव है। इसे अंग्रेजी में रॉबर क्रेब कहते हैं। दस्यु केकड़ा प्राय: सागर तट के निकट के नारियल के वृक्षों पर चढ़ जाता है और नारियल के कठोर आवरण को अपने मज़बूत चिमटों से तोड़कर इसके भीतर का तरल पदार्थ पी जाता है। इसीलिए कुछ लोग इसे नारियल केकड़ा भी कहते हैं। दस्यु केकड़ा जमीन पर रहने वाले केकड़ों में विश्व का सबसे बड़ा केकड़ा है। दस्यु केकड़ा प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के अनेक द्वीपों में पाया जाता है। यह जमीन पर रहने वाला केकड़ा है, किन्तु सागर से घिरे भागों में रहना अधिक पसंद करता है, क्योंकि यहां की हवा में नमी होती है, जो इसके जीवन के लिए अति आवश्यक है। दस्यु केकड़े में बहुत अधिक प्रभुत्व क्षमता एवं विलक्षण संगठन शक्ति होती है। यह हमेशा कॉलोनी बनाकर रहता है, किन्तु इसकी कॉलोनियां बहुत बड़ी नहीं होतीं।
दस्यु केकड़े की अनेक जातियां हैं, जिनकी संरचना एवं आकार में पर्याप्त विविधताएं देखने को मिलती हैं। सामान्यतया इसकी लंबाई 10 सेंटीमीटर से लेकर 30 सेंटीमीटर तक होती है, किन्तु भीमकाय दस्यु केकड़े की लंबाई 30 सेंटीमीटर से लेकर 45 सेंटीमीटर तक एवं चौड़ाई 20 सेंटीमीटर से लेकर 35 सेंटीमीटर तक होती है। इसके ऊपर के चिमटे और पैर बड़े मजबूत होते हैं। भीमकाय दस्यु केकड़ा एक अत्यंत शक्तिशाली केकड़ा है। इसकी शक्ति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह 25 से लेकर 30 किलोग्राम तक का वजन सरलता से उठा सकता है अथवा इसे खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकता है।
दस्यु केकड़ा सर्वभक्षी है। यह रात्रिचर है, अर्थात् दिन के समय पत्थरों के नीचे, चट्टानों की दरारों अथवा मांदों के भीतर छिपा रहता है और रात में भोजन की तलाश में निकलता है, किन्तु भारत के भीमकाय दस्यु केकड़े को दिन में भी भोजन की तलाश में घूमते हुए देखा जा सकता है। दस्यु केकड़ा छोटे-छोटे पौधों से लेकर सड़ा-गला मांस तक खाता है। इसके साथ ही यह छोटे-छोटे जीवों का शिकार भी कर करता है। भारत में पाए जाने वाले भीमकाय दस्यु केकड़े की गणना अच्छे शिकारी केकड़ों में की जाती है। यह विभिन्न प्रकार के क्रस्टेशियंस के कृमियों का शिकार करता है। भारतीय भीमकाय दस्यु केकड़ा भी प्राय: प्रशांत महासागर के तटों पर पाए जाने वाले भीमकाय दस्यु केकड़े के समान नारियल के वृक्षों पर चढ़ जाता है और नारियल के कठोर कवच को तोड़कर उसके भीतर का पदार्थ पी जाता है।
दस्यु केकड़े में जमीन पर रहने वाले अन्य केकड़ों के समान आंतरिक समागम और आंतरिक निषेचन पाया जाता है। इनमें नर और मादा पत्थरों के नीचे अथवा चट्टानों की दरारों में मिलते हैं और समागम करते हैं। कभी-कभी इन्हें खुले स्थानों पर समागम भी करते देखा गया है। मादा दस्यु केकड़े के निषेचित अंडे परिपक्व होने पर फूटते हैं और उनसे लारवों के स्थान पर छोटे-छोटे बच्चे निकलते हैं। दस्यु केकड़े के बच्चे अपनी लारवा अवस्था अंडे के भीतर ही पूरी कर लेते है। वयस्क दस्यु केकड़े का भी बाज, सारस, घोमरा, कौआ तथा अनेक तटीय पक्षी शिकार करते हैं। इसके साथ ही इसे कुत्ते, गीदड़, जंगली बिल्लियां और इसी प्रकार के बहुत से जीव अपना आहार बनाते हैं। 
भारत में भीमकाय दस्यु केकड़ा अंडमान, निकोबार द्वीप-समूह के अनेक द्वीपों में पाया जाता है। इसकी संख्या दक्षिणी सेंटीनल द्वीप एवं मेरो द्वीप में अधिक है। कभी-कभी ग्रेट निकोबार में भी दस्यु केकड़े मिल जाते हैं। दक्षिण सेंटीनल द्वीप और ग्रेट निकोबार द्वीप पर मानव बस्तियां हैं, जबकि मेरो द्वीप निर्जन है। यहां पर कुछ अंडमानी नारियल तोड़ने के लिए अवश्य जाते हैं, किन्तु ये स्थाई रूप से यहां नहीं रहते। अंडमान के मूल निवासी नारियल के साथ ही भीमकाय दस्यु केकड़े का भी भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। भीमकाय दस्यु केकड़े को सरलता से नहीं पकड़ा जा सकता, अत: अंडमान के मूलवासी इसे पकड़ने के लिए एक विचित्र विधि का उपयोग करते हैं। दस्यु केकड़ा प्राय: नारियल खाने के लिए इसके वृक्षों पर चढ़ता है। दस्यु केकड़ा जब वृक्ष पर काफी ऊंचाई पर पहुंच जाता है तो अंडमानी तने पर चारों तरफ घास लपेट देते हैं। दस्यु केकड़ा जब नीचे उतरता हुआ घास के संपर्क में आता है तो समझता है कि वह जमीन पर आ गया है। यह आभास होते ही वह कूद पड़ता है और जमीन पर गिरते ही बेहोश हो जाता है। अब इसे कोई भी सरलता से पकड़ सकता है। इस प्रकार शिकार के कारण दक्षिणी सेंटीनल और ग्रेटनीकोबार द्वीपों पर भीमकाय दस्यु केकड़ों की संख्या बहुत कम हो गयी है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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